कोरबा: पतुरियाडांड और गिधमुड़ी सेत गांव में प्रस्तावित कोल ब्लॉक का स्थानीय आदिवासी विरोध कर रहे हैं. ग्रामीणों ने इसके विरोध में कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा है. 110 लोगों के हस्ताक्षर वाले ज्ञापन में ग्रामीणों ने लिखा है कि हम अपनी जल, जंगल और जमीन को किसी भी कीमत पर कोल ब्लॉक के लिए देना नहीं चाहते.
आदिवासियों का विरोध प्रदर्शन जिला मुख्यालय से लगभग 90 किलोमीटर दूर मोरगा के वनांचल क्षेत्र के ग्राम पंचायत पतुरियाडांड, गिधमुड़ी, गंगोत्री समेत कई गावों में मदनपुर कोल ब्लॉक प्रस्तावित है. यहां कोयले की खदान का संचालन होना है. इसके विरोध में शुक्रवार को ग्रामीण जिला मुख्यालय पहुंचकर कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा है.
आदिवासियों के लिए पेसा कानून का है प्रावधान
ज्ञापन में ग्रामीणों ने कहा है कि कोरबा जिला संविधान की पांचवीं अनुसूची में शामिल है. इसमें आदिवासियों के जल, जंगल, जमीन, आजीविका और संस्कृति की रक्षा के लिए प्रावधान किया गया है. पेसा कानून 1996 में किसी भी परियोजना के पहले ग्राम सभा के अनिवार्य परामर्श का प्रावधान है. वन अधिकार मान्यता के अनुसार, ग्रामसभा को शक्ति संपन्न बनाता है, ताकि वह अपने परंपरागत संसाधनों की रक्षा करें.
जल, जंगल और जमीन की करेंगे रक्षा
ग्रामीणों का कहना है कि प्रस्तावित कोल ब्लॉक ना सिर्फ हमारी संस्कृति के लिए खतरा है, बल्कि यह हमारे अस्तित्व पर भी संकट उत्पन्न कर रहा है. उनका कहना है कि वे अपनी जल, जंगल और जमीन को निजी हाथों में नहीं जाने देंगे. साल 2015 में कोल ब्लॉक के आवंटन के पहले ग्राम सभा में यह प्रस्ताव किया गया था कि इस परियोजना को अनुमति प्रदान नहीं देंगे और न ही अपने जल, जंगल, जमीन का विनाश होने देंगे, लेकिन बावजूद इसके अडानी कंपनी के अधिकारी और प्रशासन के पटवारी और आरआई लगातार गांव में आकर सीमांकन कर रहे हैं.
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प्रस्तावित कोल ब्लॉक पर रोक लगाने की मांग
ग्रामीणों का कहना है कि कोल ब्लॉक और इससे जुड़ी सभी प्रक्रियाओं का लगातार विरोध करने के बावजूद गांव में सीमांकन की प्रक्रिया जारी है, जिस पर तत्काल रोक लगाई जाए. ग्रामीणों का कहना है कि अधिकारी ग्राम पंचायत खिरटी में कोल ब्लॉक के बाद विस्थापित होने वाले ग्रामीणों को पुनर्वास देने के लिए पहाड़ और जंगलों का सीमांकन कर रहे हैं, जिसका हम सभी विरोध कर रहे हैं.