छत्तीसगढ़

chhattisgarh

ETV Bharat / state

बैंकिंग सिस्टम से ग्रामीण त्रस्त, नहीं मिल रही सरकारी योजनाओं की राशि - तेंदूपत्ता संग्रहण

कोरबा के वनांचल क्षेत्र में ग्रामीणों को बैंकिग सिस्टम के कारण परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. ग्रामीण दूर-दूर से पैसे निकालने बैंक आते हैं, लेकिन बैंको में ग्रामीणों को राशि नहीं मिल पा रही है.

Villagers not getting the amount from banks
बैंको में इंतजार करते ग्रामीण

By

Published : Aug 25, 2020, 9:24 PM IST

Updated : Aug 26, 2020, 5:39 AM IST

कोरबा:वनांचल क्षेत्र के ग्रामीण बैंकिंग सिस्टम से त्रस्त हैं. हालात ये हैं कि गांव से शहर तक 80 किलोमीटर का फासला तय करने के बाद भी उन्हें सरकारी योजनाओं की राशि नहीं मिल रही है. ग्रामीण अंचलों में बैंक ने अपने कियोस्क सेंटर पहले ही बंद कर रखे हैं. ग्रामीण गाड़ी का इंतजाम कर किसी तरह लंबी दूरी तय करने के बाद शहर पहुंचते हैं. सुबह से शाम तक लंबी कतार में खड़े रहने के बाद भी उन्हें अपने ही बैंक खाते में जमा राशि नहीं मिलती है.

बैंको में इंतजार करते ग्रामीण

जिला मुख्यालय से लगभग 80 किलोमीटर दूर लेमरू और श्यांग क्षेत्र के ग्रामीणों के खाते खोले गए हैं. लेमरू के पास स्थित कुदरीचिंगार ग्राम पंचायत से बड़ी तादाद में ग्रामीण अपने खातों में जमा की गई राशि को आहरित करने के लिए बैंक पहुंचते हैं, लेकिन कई नियम बताकर उन्हें, उनके ही खातों में जमा राशि नहीं दी जाती है. ग्रामीणों का कहना है कि वह सुबह 10 बजे ही बैंक पहुंच गए जाते हैं. लाइन में खड़े-खड़े शाम हो जाते हैं लेकिन उन्हें उनकी राशि नहीं मिलती. ग्रामीण बताते हैं कि बैंककर्मी ज्यादा भीड़ बताकर ग्रामीणों को वापस भेज देते हैं और अगले दिन आने को बोलते हैं.

बैंक में राशि लेने पहुंची ग्रामीण महिला

80 किलोमीटर का सफर

ग्रामीण लेमरू से गाड़ी बुक करके शहर पहुंचते हैं. गाड़ी के किराए में ही हजारों रुपये खर्च हो जाते हैं. वो भी इस आस में कि बैंक जाने पर उन्हें राशि मिल जाएगी, लेकिन बैंक प्रबंधन ने उन्हें सुबह से शाम तक कतार में खड़े रखने के बावजूद राशि नहीं दी. ग्रामीणों में इसे लेकर खासा नाराजगी है. इस क्षेत्र के ज्यादातर ग्रामीण आदिवासी वर्ग से आते हैं.

बंद पड़ा बैंक

फर्जी हस्ताक्षर के जरिए किसानों से ठगी, बैंक के 3 कर्मचारियों पर FIR दर्ज

सरकारी योजनाओं की है राशि

ग्रामीणों के लिए सरकार कई योजनाएं चला रही है. जिसमें तेंदूपत्ता संग्रहण, राजीव गांधी किसान न्याय योजना, मनरेगा सहित ऐसी कई योजनाएं हैं, जिसके तहत सरकार डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर स्कीम के तहत, राशि सीधे ग्रामीणों के खाते में डालती है. विपरीत परिस्थितियों में थोड़े से पैसे भी ग्रामीणों के लिए बड़ा महत्व रखती है. सरकार ने ग्रामीणों के खातों में राशि तो डाल दी, लेकिन बैंक से यह राशि उन्हें निर्बाध रूप से मिल रही है या नहीं, यह सुनिश्चित नहीं किया.

खुली बैंकिंग सेवाओं की पोल

ग्रामीणों का कहना है कि खाता खोलने के लिए बैंककर्मियों ने गांव जाकर घर-घर सर्वे किया था. जनधन के खाते मुफ्त में खोल कर दिए थे. काफी समय पहले लेमरू में बैंक ऑफ इंडिया का कियोस्क सेंटर भी संचालित होता था. जो कि वर्तमान में बंद है. गांव में कोई एटीएम भी नहीं है. यदि दूर कहीं एटीएम है भी तो आदिवासी वर्ग से आने वाले ग्रामीण उसे ठीक तरह से इस्तेमाल करना नहीं जानते. ग्रामीण क्षेत्रों में बैंकिंग व्यवस्था पूरी तरह से ठप है. जिसके कारण ग्रामीणों को पैसे निकालने तक के लिए शहर का लंबा सफर तय करना पड़ता है. अब शहर आकर भी ग्रामीणों को खाली हाथ वापस लौटना पड़ रहा है.

बैंक मैनेजर से नहीं मिल सकी जानकारी

ग्रामीणों की इस समस्या के बारे में बैंक प्रबंधन से जानकारी लेने की कोशिश की गई. लेकिन अंदर से लॉक बैंक के सुरक्षाकर्मी ने आकर कहा कि साहब बात नहीं करेंगे. अंदर जरूरी काम चल रहा है.

Last Updated : Aug 26, 2020, 5:39 AM IST

ABOUT THE AUTHOR

...view details