कोरबा:वनांचल क्षेत्र के ग्रामीण बैंकिंग सिस्टम से त्रस्त हैं. हालात ये हैं कि गांव से शहर तक 80 किलोमीटर का फासला तय करने के बाद भी उन्हें सरकारी योजनाओं की राशि नहीं मिल रही है. ग्रामीण अंचलों में बैंक ने अपने कियोस्क सेंटर पहले ही बंद कर रखे हैं. ग्रामीण गाड़ी का इंतजाम कर किसी तरह लंबी दूरी तय करने के बाद शहर पहुंचते हैं. सुबह से शाम तक लंबी कतार में खड़े रहने के बाद भी उन्हें अपने ही बैंक खाते में जमा राशि नहीं मिलती है.
जिला मुख्यालय से लगभग 80 किलोमीटर दूर लेमरू और श्यांग क्षेत्र के ग्रामीणों के खाते खोले गए हैं. लेमरू के पास स्थित कुदरीचिंगार ग्राम पंचायत से बड़ी तादाद में ग्रामीण अपने खातों में जमा की गई राशि को आहरित करने के लिए बैंक पहुंचते हैं, लेकिन कई नियम बताकर उन्हें, उनके ही खातों में जमा राशि नहीं दी जाती है. ग्रामीणों का कहना है कि वह सुबह 10 बजे ही बैंक पहुंच गए जाते हैं. लाइन में खड़े-खड़े शाम हो जाते हैं लेकिन उन्हें उनकी राशि नहीं मिलती. ग्रामीण बताते हैं कि बैंककर्मी ज्यादा भीड़ बताकर ग्रामीणों को वापस भेज देते हैं और अगले दिन आने को बोलते हैं.
80 किलोमीटर का सफर
ग्रामीण लेमरू से गाड़ी बुक करके शहर पहुंचते हैं. गाड़ी के किराए में ही हजारों रुपये खर्च हो जाते हैं. वो भी इस आस में कि बैंक जाने पर उन्हें राशि मिल जाएगी, लेकिन बैंक प्रबंधन ने उन्हें सुबह से शाम तक कतार में खड़े रखने के बावजूद राशि नहीं दी. ग्रामीणों में इसे लेकर खासा नाराजगी है. इस क्षेत्र के ज्यादातर ग्रामीण आदिवासी वर्ग से आते हैं.
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