कोरबा: कोरबा के किसान मिनी सीडलिंग यूनिट से अब सब्जी की पैदावार कर लाभ कमा सकते हैं. दरअसल, उद्यानिकी विभाग के मिनी प्लक टाइप सीडलिंग यूनिट से किसानों को सीधे अंकुरित पौधे मिलेंगे. इसे स्थानीय बोली में किसान "थरहा" कहते हैं. उद्यानिकी विभाग ने इस तरह के दो यूनिट पताड़ी और पंडरीपानी में लगाये हैं. जहां से किसानों को इसका लाभ मिल रहा (vegetable production from mini seedling unit in korba) है.
इस प्रक्रिया में बीज की मृत्यु दर होगी कम: बताया जा रहा है कि जब खेतों में बीज छिड़ककर फसल तैयार की जाती है. तब बीज से अंकुरित होने वाले पौधे 60 से 65 फीसद ही होती है. जबकि सीडलिंग यूनिट ने पारंपरिक खेती की पद्धति को और भी उन्नत बनाने का प्रयास किया है. जिसके द्वारा बीज से 95 फीसद पौध तैयार हो जाते हैं. बीज की मृत्यु दर काफी कम है. किसानों की मेहनत को बेहतर परिणाम में परिवर्तित करने के लिए उद्यानिकी विभाग न्यूनतम दरों पर किसानों को थरहा उपलब्ध करा रहा है.
इस तरह बढ़ेगी उत्पादकता:उद्यानिकी विभाग ने फिलहाल जिले में दो विकासखंड में सीडलिंग यूनिट की स्थापना की है, जिसमें कोरबा के पताड़ी और कटघोरा के पंडरीपानी में काम चल रहा है. दोनों स्थानों पर मिनी प्लक टाइप सीडलिंग यूनिट तैयार है. जहां से 10 लाख स्वस्थ थरहा पौधों को तैयार कर किसानों को उपलब्ध कराए जाने का लक्ष्य है. जिले के किसानों की उत्पादकता को बढ़ाने के लिए खास तौर पर सब्जी की फसल को उन्नत बनाने के सरकार के प्रयासों को उद्यानिकी विभाग अंजाम दे रहा है. जागरूक किसानों को रियायती दर पर सब्जियों के पौधे उपलब्ध कराए जा रहे हैं. सीडलिंग यूनिट से तैयार पौधे रोग रहित स्वस्थ और अधिक उत्पादकता देने वाले होते हैं. जिससे किसानों की उत्पादकता में इजाफा होगा.