कोरबा: आम लोगों के लिए जिले की सड़कें अब नासूर बनती जा रही है. पिछले दो से ढाई साल से जिले की सड़कें बेहद बुरी स्थिति में हैं. सड़कों का नेटवर्क जिले में पूरी तरह से ध्वस्त हो चुका है. सड़कों की मरम्मत पर पानी की तरह पैसा बहाया जा रहा है, लेकिन नतीजा सिफर है. पिछले 2 दिनों से कटघोरा से कोरबा जाने वाले मुख्य मार्ग पर जैलगांव चौक के पास लंबा जाम लगा हुआ है. हालात ये है कि सड़की दोनों ओर भारी वाहनों की लंबी लाइन लगी हुई है. सड़कों के गड्ढे इतने बड़े हो चुके हैं कि वाहन इसमें से पार नहीं हो पा रहे हैं. इन सबके बाद भी प्रशासन का कोई भी अधिकारी मौके पर नहीं पहुंचा और न ही प्रशासन की इस पर अब तक नजर पड़ी है.
जैलगांव चौक में सड़क के गड्ढों के आकार बढ़ जाने के कारण पानी भर गया है. गड्ढे इतने बड़े हो गए हैं कि भारी वाहन भी इसमें फंस रहे हैं. दोपहिया और छोटे वाहन यहां से पार नहीं हो पा रहे हैं. स्थानीय लोगों ने इसकी सूचना जिम्मेदारों तक भी पहुंचाई है. लेकिन इसके बाद भी प्रशासनिक तंत्र अब भी नहीं जागा है. जिससे आम लोगों में आक्रोश है. कहीं से कोई मदद न मिलने पर स्थानीय युवाओं ने भारी वाहनों के आवागमन के सुचारू आवागमन के लिए मोर्चा संभाला. स्थानीय लोग उपलब्ध संसाधनों के आधार पर व्यवस्था बनाने की कोशिश कर रहे हैं.
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स्थानीय निवासी कर रहे मदद
नागालैंड और दिल्ली के वाहन भी यहां फंसे हैं. जिस जगह पर जाम लगा हुआ है, यहां टू लेन हाईवे प्रस्तावित है. जिसके निर्माण का काम भी कुछ समय बाद शुरू होना है. हालांकि कुछ समय पहले यहां मरम्मत भी की गई थी, लेकिन वह नाकाफी है. थोड़ी सी बरसात के बाद ही मरम्मत पूरी तरह से धुल चुकी है. फंसे हुए ट्रकों को निकालने के लिए स्थानीय लोग गड्ढों में पत्थर भरकर किसी तरह वाहनों को गड्ढे पार करने लायक व्यवस्था कर रहे हैं.
कलेक्टर की फटकार का कोई असर नहीं
निगम का ध्यान इस ओर कभी नहीं गया. जैलगांव के आगे पुराना सीएसपी कार्यालय के सामने सड़क पर बारिश का पानी भर जाता है. इसकी वजह से उस जगह पर दलदल जैसा कीचड़ जमा हो जाता है. जिसके कारण ही यहां गाड़ियां फंस जाती हैं. कलेक्टर की फटकार भी काम नहीं आई. हाल फिलहाल में कलेक्टर किरण कौशल ने जिले की सड़कों का लगातार दौरा किया था. 3 दिन तक लगातार दौरा कर कलेक्टर ने अधिकारियों को कड़ी फटकार लगाई थी. 3 दिनों के भीतर सड़कों को चलने लायक बनाने की कड़ी हिदायत भी दी थी. काम ना होने पर कार्रवाई की चेतावनी भी दी गई थी. लेकिन हफ्तो बीत जाने के बाद भी न तो सड़कें चलने लायक बन पाई और न ही किसी अधिकारी पर सड़कों की बदहाली से निपटने के लिए कार्रवाई की गई.