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Nurse Day: कोरबा की तीन नर्सों की कहानी, जिन्होंने परिवार से पहले कोरोना मरीजों को दी तरजीह - अंतरराष्ट्रीय नर्स दिवस पर कोरबा की तीन नर्सों की कहानी

अस्पताल में भर्ती हर मरीज डॉक्टरों से ज्यादा नर्स पर निर्भर होता है. नर्सें दिन-रात मरीजों की सेवा करती हैं. कोरोना काल में ये वॉरियर्स अपनी ड्यूटी को पूरी निष्ठा से निभा रही हैं. अंतरराष्ट्रीय नर्स दिवस पर ETV भारत आपको कोरबा की तीन नर्सों की कहानी से रू-ब-रू करा रहा है. ये सभी महामारी में अपनी जान की चिंता किए बिना हर दिन घंटों तक कोरोना मरीजों की सेवा में जुटी रहती हैं.

International Nurse Day
अंतरराष्ट्रीय नर्स दिवस

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Published : May 12, 2021, 1:09 PM IST

कोरबा:डॉक्टर को यदि धरती का भगवान कहा जाता है, तो नर्स उस भगवान की सहायिका हैं. इनके बिना धरती के भगवान भी असहाय महसूस करते हैं. डॉक्टर मरीज की स्थिति देखने के बाद चले जाते हैं, लेकिन पूरी बीमारी के दौरान मरीज़ की देखभाल कर उन्हें स्वस्थ करने तक की जिम्मेदारी नर्सें निभाती हैं. कोरोना काल में भी मरीज के इलाज से लेकर वैक्सीनेशन तक में जिन्होंने सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, वे हैं नर्स. आज दुनिया International Nurse Day मना रही है. इस अवसर पर हम कोरबा जिले की कुछ ऐसी नर्सेज की प्रेरणादायक कहानी बता रहे हैं, जिन्होंने अपनी इच्छाशक्ति के बल पर पूरे कोरोना काल में न सिर्फ मरीजों की सेवा की, बल्कि अपने परिवार से भी ऊपर मरीजों को रखा.

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कोरोना ने पति को छीना, अब संक्रमित मरीजों का कर रही हैं इलाज

नर्स संयोगिता ग्वाल

गेवरा के एसईसीएल अस्पताल में पदस्थ हैं संयोगिता ग्वाल. संयोगिता की कहानी इसलिए खास है, क्योंकि जिस कोरोना से लड़ने में वह मरीजों की सहायता कर रही हैं, उसी कोरोना ने उनसे उनके पति को छीन लिया. 21 अगस्त 2020 को संयोगिता के पति सुभाष ग्वाल का निधन हो गया. वह बीमार थे और 4 साल से उनका इलाज सीएमसी वेल्लोर में हो रहा था. संयोगिता के पति कोरोना पीड़ित हुए और दुनिया से विदा हो गए. इतना ही नहीं पति की मौत के बाद जब उनका और उनके दो बेटों का टेस्ट हुआ, तो वे भी पॉजिटिव मिले. लेकिन संयोगिता का जज्बा ही था कि उन्होंने कठिनाई में भी अपनी जिम्मेदारियों को पूरा किया. संयोगिता कहती हैं कि पति की मृत्यु ने उन्हें झकझोर कर रख दिया था, बेटों की चिंता भी थी, लेकिन कोरोना से ठीक होते ही उन्होंने ड्यूटी शुरू कर दी. इससे उन्हें सुकून मिला.

संयोगिता ग्वाल

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जब लोग कोरोना से बच रहे थे, तब नर्स कविता कोसले ने उठाई जिम्मेदारी

जब कोरोना ने पहली बार देश में दस्तक दी, तब लोगों में अलग तरह का डर था. कटघोरा प्रदेश का पहला हॉटस्पॉट बना था. हालात यह थे कि लोग घर की दहलीज लांघने से भी कतराने लगे थे. ऐसे में कोरबा जिला अस्पताल में भी आइसोलेशन वार्ड बनाया गया. उस समय सिस्टर कविता कोसलेने मेट्रेन के तौर पर आइसोलेशन वार्ड की जिम्मेदारी संभाली, हालांकि ये आसान नहीं था. कविता के साथ ही अनुजा, मंजूलता, अनुसुइया और मनीषा ने भी सेवाएं दीं, तब से लेकर अब तक जिले में ही 200 से अधिक चिकित्साकर्मी कोरोना संक्रमित हो चुके हैं. जिला अस्पताल के आइसोलेशन वार्ड की जिम्मेदारी कविता अब भी संभाल रही हैं. आज भी संक्रमित मरीजों के इलाज का जज्बा बरकरार है.

कविता कोसले

गांव से बुलाकर शहर के कोविड अस्पताल में नर्स अंजलि को दी गई जिम्मेदारी

कोरोना की दूसरी लहर की शुरुआत में मरीजों की स्थिति चिंताजनक होने लगी. हालात ऐसे हो गए कि कई स्वास्थ्यकर्मियों में पैनिक जैसे हालात पैदा हो गए. जिले के ईएसआईसी अस्पताल को कोविड अस्पताल बनाया गया. यहां अंजलि किस्पोट्टा को बतौर सिस्टर इंचार्ज जिम्मेदारी दी गई. अंजलि इससे पहले तक जिले के ग्रामीण अंचल के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पोड़ी उपरोड़ा में पदस्थ थीं. उनकी कार्यकुशलता और सेवा भाव को देखते हुए उन्हें कोविड अस्पताल में बतौर इंचार्ज बनाया गया. अंजलि बताती हैं कि पीपीई किट में ड्यूटी के बीच हालात विषम होते हैं. नर्सिंग स्टाफ की संख्या सीमित होने के कारण वर्कलोड भी बढ़ जाता है, हालांकि हम टीम भावना से काम कर रहे हैं, इससे काम करने में आसानी होती है.

अंजलि किस्पोट्टा

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