कोरबा: प्राथमिक शाला गढ़कटरा में शिक्षकों ने खराब वाहन की टायर और अनुपयोगी वस्तुओं का इस्तेमाल कर सरकारी स्कूल के बच्चों में शिक्षा की अलख जगाई है, लेकिन समस्या यह है कि, स्कूल के शिक्षक गांववालों के साथ मिलकर हर साल बांस, बल्ली से स्कूल की बाउंड्री वॉल तैयार करते हैं, जिसमें अच्छी खासी मेहनत और समय लगता लगता है, लेकिन समस्या ये है कि यहां दीमक बहुत है, जो कि लकड़ी को खा जाता है, जिसके कारण बांस से बनी बाउंड्री वॉल को हर साल नए सिरे से तैयार करना पड़ता है.
कबाड़ के जुगाड़ से बना रहे नौनिहालों का भविष्य गणितीय मैदान में बदला स्कूल परिसर
शिक्षकों ने उच्चाधिकारियों को बाउंड्री वॉल निर्माण के लिए पिछले कई साल से अर्जी दे रखी है, बावजूद इसके सिस्टम इस ओर ध्यान नहीं दे रहा है. इस स्कूल के शिक्षकों ने शिक्षा में नवाचार के लिए कई पुरस्कार जीते हैं. स्कूल के टीचर्स ने गत्ते के टुकड़े और वाहन के टायर का उपयोग कर स्कूल परिसर को एक गणितीय मैदान में बदलने का प्रयास किया है.
कबाड़ के जुगाड़ से बन रहा बच्चों का भविष्य शिक्षकों ने बदली स्कूल की सूरत
प्राथमिक शाला गढ़कटरा के बच्चे अन्य स्कूल के बच्चों की तुलना में ज्यादा तेजी से सीख रहे हैं. शिक्षा ग्रहण करने की क्षमता भी उनमें ज्यादा है. सामान्यतौर पर सरकारी प्राथमिक शाला गढकटरा बेहद दयनीय और उपेक्षित होते हैं, लेकिन प्राथमिक शाला गढ़कटरा की बात अलग है. यहां के शिक्षकों ने अपने प्रयास से स्कूल की सूरत बदल दी है. अब यह स्कूल न सिर्फ जिले में बल्कि राज्य में भी अपनी खूबियों की वजह से पहचाना जाता है, जिसके लिये स्कूल के शिक्षक अजय और श्रीकांत को कई पुरस्कार मिले हैं.
कबाड़ के सामान से बन रहा बच्चों को भविष्य बाउंड्री वॉल की है जरुरत
बता दें शिक्षक अपने प्रयास के बलबूते स्कूल की सूरत बदल रहे हैं, लेकिन इस तरह का प्रयास करने वाले ज्यादातर शिक्षकों को सरकारी विभाग का सहयोग नहीं मिल पाता. वह अपने दम पर भले ही स्कूल को एक नया आयाम दे दें, लेकिन यहां की व्यवस्था कुछ ऐसी हैं कि इन्हें स्कूल की बाउंड्री वॉल जैसी छोटी सी जरूरत के लिए भी सालों का इंतजार करना पड़ रहा है. जबकि जिले में खनिज न्यास मद से शिक्षा विभाग में करोड़ों के काम चल रहे हैं. कई योजनाएं ऐसी हैं जिनकी शिकायतें भी हो चुकी हैं. बावजूद इसके प्राथमिक शाला गढ़कटरा को एक बाउंड्री वॉल नहीं मिल पा रहा है.
कबाड़ के सामान से बना रहे बच्चों के भविष्य