कोरबा:जिले में पावर प्लांट से उत्सर्जित राख डंप करने के लिए बनाए गए राखड़ डैम से निकलने वाले सेनोस्फीयर की धड़ल्ले से तस्करी की जा रही है. राखड़ डैम से सेनोस्फीयर को छानकर ना सिर्फ स्टॉक किया जा रहा है, बल्कि महानगरों में इसे बेचा भी जा रहा है. हैरानी वाली बात यह है कि पावर प्लांट के साथ ही पुलिस भी तस्करी के इस पूरे मामले से बेखबर है. हालांकी सूचना मिलने पर पुलिस ने कुछ मामलों में ठोस कार्रवाई भी की है. सेनोस्फीयर नाम के इस कीमती पदार्थ का गोरखधंधा जिले में लंबे समय से जारी है.
औद्योगिक नगरी होने के कारण जिले में एक दर्जन छोटे-बड़े पावर प्लांट संचालित हैं. इन्हीं पावर प्लांटों से हर दिन लगभग 2 टन राख निकलता है. पावर प्लांट से उत्सर्जित राख डंप करने के लिए सभी पावर प्लांटों के अपने-अपने राखड़ डैम भी बनाए हैं. जो कि शहर से काफी दूर ग्रामीण अंचल के आउटर क्षेत्रों में है.
महानगरों में है डिमांड
पावर प्लांट से उत्सर्जित राख को पाइप के जरिए राखड़ डैम तक पहुंचाया जाता है. जब यह राख डैम में इकट्ठा हो जाती है, तब डैम में तरल रूप में मौजूद राख के उपर की एक बेहद बारीक परत झाग की तरह जम जाती है. इसे ही सेनोस्फीयर कहा जाता है. इसे कपड़े से छानकर राखड़ डैम से निकाला जाता है. महानगरों में सेनोस्फीयर की जबरदस्त मांग है. सेनोस्फीयर से चीनी मिट्टी के क्रॉकरी जैसी कई बेशकीमती चीजें बनाई जाती हैं. यही वजह है कि सेनोस्फीयर नाम के कच्चे माल की महानगरों के खुले बाजार में अच्छी खासी कीमत है.
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