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SPECIAL: कोरबा में सेनोस्फीयर की तस्करी का गोरखधंधा जारी, प्रशासन मामले से बेखबर

राख डंप करने के लिए बनाए गए राखड़ डैम से निकलने वाले सेनोस्फीयर की तस्करी लगातार जारी है. सेनोस्फीयर को बोरियों में भरकर इसे महानगरों में बेचा जा रहा है.

Smuggling of cenosphere in Korba
कोरबा में सेनोस्फीयर की तस्करी

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Published : Jul 31, 2020, 9:18 PM IST

कोरबा:जिले में पावर प्लांट से उत्सर्जित राख डंप करने के लिए बनाए गए राखड़ डैम से निकलने वाले सेनोस्फीयर की धड़ल्ले से तस्करी की जा रही है. राखड़ डैम से सेनोस्फीयर को छानकर ना सिर्फ स्टॉक किया जा रहा है, बल्कि महानगरों में इसे बेचा भी जा रहा है. हैरानी वाली बात यह है कि पावर प्लांट के साथ ही पुलिस भी तस्करी के इस पूरे मामले से बेखबर है. हालांकी सूचना मिलने पर पुलिस ने कुछ मामलों में ठोस कार्रवाई भी की है. सेनोस्फीयर नाम के इस कीमती पदार्थ का गोरखधंधा जिले में लंबे समय से जारी है.

कोरबा में सेनोस्फीयर की तस्करी

औद्योगिक नगरी होने के कारण जिले में एक दर्जन छोटे-बड़े पावर प्लांट संचालित हैं. इन्हीं पावर प्लांटों से हर दिन लगभग 2 टन राख निकलता है. पावर प्लांट से उत्सर्जित राख डंप करने के लिए सभी पावर प्लांटों के अपने-अपने राखड़ डैम भी बनाए हैं. जो कि शहर से काफी दूर ग्रामीण अंचल के आउटर क्षेत्रों में है.

राखड़ डैम

महानगरों में है डिमांड

पावर प्लांट से उत्सर्जित राख को पाइप के जरिए राखड़ डैम तक पहुंचाया जाता है. जब यह राख डैम में इकट्ठा हो जाती है, तब डैम में तरल रूप में मौजूद राख के उपर की एक बेहद बारीक परत झाग की तरह जम जाती है. इसे ही सेनोस्फीयर कहा जाता है. इसे कपड़े से छानकर राखड़ डैम से निकाला जाता है. महानगरों में सेनोस्फीयर की जबरदस्त मांग है. सेनोस्फीयर से चीनी मिट्टी के क्रॉकरी जैसी कई बेशकीमती चीजें बनाई जाती हैं. यही वजह है कि सेनोस्फीयर नाम के कच्चे माल की महानगरों के खुले बाजार में अच्छी खासी कीमत है.

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पुलिस ने पकड़ी थी 50 लाख की सेनोस्फीयर

4 मार्च को पुलिस ने बालको थाना क्षेत्र के रजगामार से नागपुर जाने की तैयारी में लगे सेनोस्फीयर से भरी 4 ट्रकों को रजगामार फिल्टर प्लांट के पास जब्त किया था. जिसे रजगामार हाई स्कूल के पीछे बने गोदाम में डंप करके रखा गया था. जहां से ट्रकों में लोड करके इसे नागपुर रवाना किया जा रहा था. पुलिस ने खनिज, स्वास्थ्य और पर्यावरण विभाग से पत्र लिखकर इसकी जानकारी भी मांगी थी. पुलिस ने तब यह भी कहा था कि खुले बाजार में इसकी कीमत लगभग 70 रुपये प्रति किलो के आसपास है. पकड़े गए सेनोस्फीयर की कुल कीमत पुलिस ने 50 लाख रुपये आंकी थी.

बोरियों में रखा सेनोस्फीयर

भू-विस्थापितों को भी ठेका

छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत मंडल के राखड़ डैम में भू-विस्थापितों की समिति को सेनोस्फीयर का काम आवंटित किया गया है. जबकि एनटीपीसी (NTPC) और बालको में सीधे तौर पर ठेके के जरिए यह कार्य किया जाता है. इस पर सवाल ये उठता है कि पावर प्लांट की ओर से वैधानिक प्रक्रिया के तहत सेनोस्फीयर का काम आवंटित किए जाने के बाद भी इसकी तस्करी कैसे हो रही है. यह पुलिस के साथ ही पावर प्लांट प्रबंधन की कार्यप्रणाली पर भी सवाल खड़े कर रहा है.

जिम्मेदारों पर होगी कार्रवाई

मामले में कोरबा एसपी अभिषेक मीणा का कहना है कि सेनोस्फीयर के बारे में जानकारी ली जाएगी और यदि कहीं तस्करी जैसी कोई बात है, तो इसके खिलाफ ठोस कार्रवाई भी की जाएगी.

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