कोरबा:रंगों का पर्व होली आ गया है. लोग होली की तैयारियां करने लगे हैं. कोरोना के प्रकोप के बाद लगभग 2 वर्ष बाद इस बार होली के त्यौहार में भरपूर रौनक रहने की उम्मीद है. होली का त्यौहार खुशी और उमंग के साथ ही रंगो के लिए जाना जाता है, लेकिन वर्तमान में सिंथेटिक रंगों का उपयोग ज्यादा हो रहा है.जो कि हमारी त्वचा के लिए नुकसानदेह हो सकती है. इसलिए रंगों से होली खेलते वक्त किस तरह की सावधानियां बरतनी चाहिए.
इसके साथ ही हर्बल गुलाल या रंग का उपयोग अधिक लाभदायक होता है. घर पर किस तरह से आप हर्बल गुलाल तैयार कर सकते हैं.यह बता रहे हैं जिले के प्रसिद्ध चर्म रोग विशेषज्ञ डॉ आफताब सिद्दीकी.होली पर बरती जाने वाली सावधानियों को लेकर ईटीवी भारत ने डॉ सिद्दीकी से खास बातचीत की. जिन्होंने बताया कि होली में किस तरह की सावधानियां बरतकर आप और भी बेहतर तरीके से इसका लुत्फ उठा सकते हैं.
सवाल: होली के त्यौहार में रंगों का इस्तेमाल करते वक्त किस तरह की सावधानी बरतनी चाहिए?
जवाब: होली में अभी जो प्रचलन बढ़ा है...ज्यादातर सिंथेटिक रंगों का उपयोग हो रहा है. पहले अबीर और गुलाल का उपयोग होता था.जो कि हमारी पुरानी परंपरा रही है. ब्रिज और मथुरा से यह शुरू हुई थी. अब सिंथेटिक रंगों का उपयोग हो रहा है. जिसके बहुत सारे साइड इफेक्ट्स हैं. इसलिए होली खेलने से पहले हमें कुछ सावधानियां बरतनी होगी. सबसे पहले तो जो फिजिकल प्रिकॉशंस हम ले सकते हैं. वह लें. कई सारे आर्टिफिशियल विग मार्केट में हैं, वह पहने, चश्मा पहनकर बाहर निकलें. कान को बचाकर रखना है. यह ध्यान रखना होगा कि कान के भीतर कोई सिंथेटिक रंग ना जाए. जिससे कि इरिटेशन उत्पन्न हो. आंखों को भी बचाकर रखना है. इसके बाद जो सबसे मुख्य भाग है वह हमारे शरीर की त्वचा को बचाना है. होली खेलने के पहले हमें किसी मॉइसच्युराईजर की एक मोटी परत अपनी त्वचा पर लगा लेनी चाहिए. या ऑलिव ऑयल या फिर साधारण नारियल का तेल जरूर लगाएं. इसकी एक मोटी परत अपने पूरे शरीर पर लगा लें.
इसके बाद एक अच्छा सा सनस्क्रीन क्रीम भी अपने चेहरे पर लगा लें.बालों में भी तेल लगा लें और इसके बाद ही रंग खेलने बाहर जाएं. इससे होगा क्या कि रंग आसानी से छूट जाएंगे और जो चिट का गहरा रंग है. उसका दुष्प्रभाव भी कम होगा. इसके अलावा प्रयास यह भी करें हैं कि ड्राई होली खेलें. यदि पानी वाली होली खेल रहे हैं तो गुलाल का उपयोग करें. चिट का इस्तेमाल ना करें, ये त्वचा को नुकसान पहुंचाता है. यह चर्बी के साथ मिलकर स्थाई निशान भी बना सकता है.आजकल सिंथेटिक रंगों में हेवी मेटल व अमोनिया भी मिलाया जाता है. ताकि वह गहरा रंग छोड़े, इससे बचना है.
सवाल: यदि कोई एलर्जी वाला व्यक्ति है, जिसे पहले से कोई बीमारी है.उसे क्या सावधानी बरतनी चाहिए या ऐसी कौन सी बीमारी है, जिससे ग्रसित लोगों को ज्यादा एहतियात बरतने की जरूरत है?
जवाब: खासतौर पर जब एलर्जी की बात आती है तो जिन्हें सामान्य है. दोदरा या पिजगुल है. उन्हें रंगों से थोड़ा सा परहेज करना चाहिए.साथ ही साथ जिन्हें अस्थमा है. उन्हें रंगो से बिल्कुल बचना चाहिए. एक और जरूरी बात यह है कि जिन लोगों को हेयर डाई या मेहंदी लगाने से परेशानी होती है, रिएक्शन होता है. वह इस बात का खास ख्याल रखे हैं कि रंगों से भी उन्हें उतना ही नुकसान पहुंचेगा. इसके अलावा जिन्हें सांस की बीमारी है और ऐसे लोग जिन्हें धूप से परेशानी होती है. चमड़ी का रंग लाल हो जाता है, इस तरह के लोगों को भी रंगों से थोड़ा परहेज करना चाहिए. सिंथेटिक रंग उन पर लंबे समय तक अपना असर छोड़ सकते हैं.