कोरबा/पलामूः‘स्पाइनल मस्क्यूलर एट्रॉफी’ टाइप-1 नाम की दुर्लभ बीमारी से जूझ रही झारखंड के पलामू की रहनेवाली दो साल की सृष्टि रानी को नयी जिंदगी देने के लिए कोल इंडिया आगे आया है. मासूम बच्ची को लगने वाले इंजेक्शन के लिए कंपनी ने 16 करोड़ रुपये की आर्थिक सहायता मंजूर की है. सृष्टि के पिता सतीश कुमार रवि ने ईटीवी भारत को फोन के जरिए इसकी जानकारी दी. सृष्टि के पिता छत्तीसगढ़ के कोरबा जिला स्थित एसईसीएल के दीपका कोयला क्षेत्र में कार्यरत हैं. उन्होंने कोल इंडिया के साथ मीडिया और दूसरे मददगारों को धन्यवाद दिया है.
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सृष्टि करीब 10 महीने से वेंटीलेटर पर है. ‘स्पाइनल मस्क्यूलर एट्रॉफी’ (एसएमए) एक दुर्लभ बीमारी है. इसके इलाज के लिए यूएस से इंजेक्शन मंगाया जाता है, जिसकी कीमत 22 करोड़ रुपए है. टैक्स में राहत के बाद इसकी कीमत करीब 16 करोड़ रुपए हो जाती है. उम्मीद है कि दो से तीन हफ्ते के भीतर सृष्टि को यह इंजेक्शन लग जाएगी.
ये है पूरा मामला
एसईसीएल के दीपका कोयला क्षेत्र में कार्यरत ओवरमैन सतीश कुमार रवि की बेटी सृष्टि रानी ‘स्पाइनल मस्क्यूलर एट्रॉफी’ (एसएमए) नामक एक बेहद ही दुर्लभ बीमारी से ग्रस्त है. अमूमन छोटे बच्चों में होने वाली इस बीमारी में स्पाइनल कॉर्ड और ब्रेन स्टेम में नर्व सेल की कमी से मांसपेशियां सही तरीके से काम नहीं कर पातीं और धीरे-धीरे यह बीमारी प्राणघातक होती चली जाती है. इसका इलाज बेहद महंगा है और इलाज में इस्तेमाल होने वाले इंजेक्शन ‘जोलजेंस्मा’ की कीमत 16 करोड़ रुपये है. अब कोल इंडिया ने अपने परिवार की बिटिया के इलाज के लिए 16 करोड़ रुपये की राशि स्वीकृत की है.
इतनी ऊंची कीमत पर इंजेक्शन खरीद पाना नहीं था संभव
एसईसीएल के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि “सतीश जैसे कर्मी द्वारा अपनी बच्ची के इलाज के लिए इतनी ऊंची कीमत पर इंजेक्शन खरीद पाना संभव नहीं था. कंपनी ने न सिर्फ अपने परिवार की बेटी की जान बचाने के लिए यह बड़ी पहल की है, बल्कि सार्वजनिक क्षेत्र के अन्य उपक्रमों और दूसरे संस्थानों के लिए भी एक मिसाल पेश की है. जो इस धारणा पर कार्य करते हैं कि कर्मी और उनका परिवार उनकी सबसे बड़ी पूंजी हैं और उनकी जिंदगी बचाना संस्थान का प्राथमिक कार्य है।”
विदेश से आयात कर सृष्टि को लगेगी इंजेक्शन