कोरबा :कोल इंडिया लिमिटेड (Coal India Limited) मानसून के बाद अधिक कोयला उत्पादन (coal production) की बात कर रही है, लेकिन पावर प्लांटों के पास मौजूद कोयले के स्टॉक में अब तक बढ़ोतरी नहीं हो सकी है. विद्युत उत्पादन करने वाले कोयला आधारित ताप विद्युत संयंत्र कोयले के स्टॉक को लेकर चिंतित हैं. वह लगातार एसईसीएल से कम कोयला मिलने की बात कर रहे हैं. कोयला मंत्री प्रह्लाद जोशी (Coal Minister Prahlad Joshi) ने इन परिस्थितियों को गंभीरता से लिया है. हाल ही में उन्होंने कोल इंडिया के साथ ही सभी अनुषांगिक कंपनियों को निर्देश दिये हैं कि पावर प्लांटों के पास हर हाल में कम से कम 18 दिनों के कोयले का स्टॉक (18 days coal stock) होना चाहिए. एसईसीएल सहित कोल इंडिया की सभी कंपनियां यह सुनिश्चित करें कि उनके पास 18 दिन के कोयले का स्टॉक मौजूद हो.
कोयला आधारित पावर प्लांटों के पास कम से कम 15 दिनों के कोयले का स्टॉक मौजूद होना चाहिए. पावर प्लांटों के लिए निर्धारित मापदंडों के अनुसार इससे कम स्टॉक होने पर पावर प्लांट को क्रिटिकल जोन में माना जाता है. यदि कोयले की कमी हुई तो विद्युत संकट की स्थिति निर्मित हो सकती है. अंतरराष्ट्रीय बाजारों में कोयले के दाम बढ़ने के बाद अब देशभर के पावर प्लांट और कोयले का उपयोग करने वाली अन्य कंपनियां कोयले के लिए पूरी तरह से कोल इंडिया पर आश्रित हो गई हैं. विदेशों से कोयला नहीं आने के कारण कोल इंडिया पर मांग के अनुरूप कोयले की आपूर्ति को लेकर दबाव बढ़ा है. इसके कारण ही अधिक उत्पादन के बाद भी पावर प्लांटों को मापदंडों के अनुरूप निर्धारित मात्रा में कोयला नहीं मिल रहा है.
4 लाख टन का उत्पादन प्रतिदिन
वर्तमान में एसईसीएल की कोयला खदानों से प्रतिदिन 4 लाख टन कोयले का उत्पादन हो रहा है. डिस्पैच की स्थिति इससे भी बेहतर है. प्रतिदिन 4.5 लाख टन कोयला डिस्पैच भी किया जा रहा है. इतना ही नहीं एसईसीएल का दावा है कि प्रतिदिन 45 रैक कोयला ट्रेन के माध्यम से देश के विभिन्न पावर प्लांट व एसईसीएल के उपभोक्ताओं को प्रदाय किया जा रहा है. जबकि कुछ दिनों पहले तक कोयला डिस्पैच की स्थिति बेहद खराब थी. प्रतिदिन 20 से 30 रैक कोयला डिस्पैच किया जा रहा था, जिससे कोयला क्राइसिस की स्थिति निर्मित हुई थी.
वर्तमान में किसी भी पावर प्लांट के पास नहीं है 15 दिनों के कोयले का स्टॉक