कोरबा:शहर के गेवरा घाट स्थित नहर में हादसे के 2 दिन बाद भी 18 साल के युवक मजहर का कुछ भी पता नहीं चल सका है. अब तीसरे दिन गुरुवार को मजहर की तलाश के लिए रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू किया गया है. जबकि मंगलवार को एसईसीएल सुभाष ब्लॉक कॉलोनी में निवासरत 23 वर्ष के आरिफ का शव कार में ही फंसा हुआ मिला था. पोस्ट मॉर्टम के बाद शव को विधि विधान से बुधवार को सुपुर्द-ए-खाक किया गया. एक ही मोहल्ले के 2 युवाओं के लापता और एक के मौत की पुष्टि के बाद पूरे क्षेत्र में शोक का माहौल है.
सोमवार की रात हुआ था हादसा
दोनों युवक शहर के एसईसीएल, सुभाष ब्लॉक कोरबा के निवासी हैं.दोनों ही के पिता एसईसीएल कर्मी भी हैं. आरिफ की उम्र 23 साल और मजहर की उम्र 18 वर्ष है. मजहर इस वर्ष 12वीं कक्षा की परीक्षा देने वाला था.तीन दिन पहले ही उसका जन्मदिन मनाया गया था. दोनों दोस्त आरिफ के बड़े भाई को छोड़ने सोमवार की रात 11 बजे अपनी कार से कटघोरा गए हुए थे. सुबह तक जब दोनों घर नहीं लौटे तो छानबीन शुरू की गई.
गेवरा घाट नहर में हुआ हादसा कोरबा: घर से लापता 2 में से 1 युवक की नहर में मिली लाश
सीसीटीवी से मिली जानकारी
इस दौरान पता चला कि दर्री, मस्जिद के पास एक दुकान के सीसीटीवी कैमरे में उनकी कार को रात के 12:45 बजे गुजरते हुए देखा गया है. इसी आधार पर जांच आगे बढ़ी.इसके बाद मंगलवार की शाम लापता युवक मजहर के बड़े भाई मेहसर ने गेवरा घाट के नहर में एक कार को देखा. जिसकी तत्काल पुलिस को सूचना दी गई और कार को बाहर निकाला गया.कार में आरिफ फंसा हुआ था और उसकी मौत हो चुकी थी.
पानी अधिक होने से गोताखोर हो रहे परेशान
मजहर की तलाश के लिए पुलिस की अगुवाई में लगातार रेस्क्यू ऑपरेशन चल रहा है.गोताखोर दिनभर नहर में गोता लगाते रहे.राताखार से लेकर उरगा तक खोजबीन की गई.नहर का पानी कम नहीं किए जाने से गोताखोरों को काफी परेशानी झेलनी पड़ रही है. गुरुवार को नए सिरे से अभियान शुरू किया गया है. बुधवार को देर शाम तक अभियान चलाया गया. शाम होने तक भी कुछ हासिल नहीं होने के बाद अभियान को रोकना पड़ा था.
ना रेलिंग ना ही स्ट्रीट लाइट
जिस स्थान पर यह हादसा हुआ है, वहां नहर के किनारे ना तो रेलिंग है ना ही स्ट्रीट लाइट ही लगी है. गेरवा घाट पुल बनने के लगभग 7 वर्ष बाद भी महज 900 मीटर के अप्रोच रोड का निर्माण प्रशासन पूरा नहीं करा सका है.यह सड़क सालों से जर्जर है. कुछ समय पहले तो यहां से दुपहिया वाहन चालकों को भी गुजरने में काफी मशक्कत करनी पड़ती थी.अब यहां जर्जर सड़क पर डब्ल्यूबीएम कार्य को किया गया है, लेकिन डामरीकरण नहीं हुआ है. स्ट्रीट लाइट और रेलिंग जैसे बुनियादी कार्य भी अधूरे हैं. यदि नहर के किनारे रेलिंग का इंतजाम कर दिया गया होता तो संभवत: इस तरह के हादसे रोके जा सकते थे.