कोरबा: एसईसीएल गेवरा क्षेत्र के सैनिक माइनिंग कैंप में कोयला ट्रांसपोर्ट कंपनी एसीबी/जीटीपी के दफ्तर में लूट के आरोपी अब भी पुलिस की पकड़ से बाहर हैं. पुलिस के अनुसार अब तक की जांच में कंपनी का कैशियर ही लूट का मास्टरमाइंड प्रतीत हो रहा है. जिससे आगे की पूछताछ के लिए पुलिस ने अदालत से आरोपी की रिमांड मांगी थी. अदालत ने पुलिस को कैशियर जवाहर लाल प्रसाद को 9 अक्टूबर तक रिमांड पर रखने की मंजूरी दे दी है. संभावना यही है कि आगे की पूछताछ में पुलिस मामले की तह तक पहुंचने में कामयाब हो सकेगी.
कोयला ट्रांसपोर्ट कंपनी के दफ्तर में रविवार की रात हुई लूट की वारदात में लगभग 20 से 30 लाख रुपए की लूट होने की रिपोर्ट दर्ज हुई थी. जिस पर एफआईआर दर्ज करने के बाद पुलिस ने जांच शुरू की. जांच के दौरान कंपनी के अंदर के लोगों की ही भूमिका संदिग्ध नजर आई. संदेह के आधार पर पुलिस ने कैशियर को गिरफ्तार कर पूछताछ शुरू की. जिसमें कई तरह की बातें निकल कर सामने आई.
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संदेह के आधार पर ही पुलिस ने कैशियर के खिलाफ एफआइआर दर्ज कर उसे गिरफ्तार किया है. बार-बार बयान बदलने के कारण वारदात की तह तक पहुंच पाना फिलहाल पुलिस के लिए संभव नहीं हो पाया है. हालांकि पुलिस का दावा है कि वह इस केस के आरोपियों को जल्द ही गिरफ्तार कर लेगी.
उठ रहे कई सवाल
पुलिस को मौके पर से जिस अलमारी से चोरी होने की बात बताई गई, उस अलमारी को लॉक नहीं किया गया था. दफ्तर के भीतर दाखिल होने का जो रास्ता था, उसे भी सुनियोजित तरीके से चोरी करने वाले लोगों को बताया गया था. उपलब्ध सबूत के अनुसार जिस रास्ते से चोर कंपनी के दफ्तर में दाखिल हुए थे वहां से किसी अनजान का अंदर आना संभव नहीं है.
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पुलिस को बताया गया था कि लूट की रकम लगभग 30 लाख हो सकती है. जिस रकम के बारे में बताया गया था, बैंक से जिस ट्रांजैक्शन की बात कही गई थी. उसी डेट पर कैशियर से बरामद की गई रकम को बैंक से निकाला गया था. मतलब यह हुआ कि जिस रकम को चोरी होना बताया गया था. वही रुपये कैशियर के घर से बरामद किए गए है. जिससे कि कैशियर पर शक गहरा होता गया.
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