कोरबा। सड़कों की हालत देखकर अब जनता के मन में एक ही सवाल उठता है कि आखिर कब सड़कों की सूरत बदलेगी. खासतौर पर जिले के पश्चिम क्षेत्र की सड़कों का बेहद बुरा हाल है. अधिकारी एक-दूसरे पर जिम्मेदारी डालकर खुद को बचाने की कोशिश कर रहे हैं. सर्वमंगला मंदिर से कुसमुंडा (kusmunda) जाने वाले मार्ग पर सोमवार को लगभग 3 से 4 घंटे तक 2 किलोमीटर लंबा जाम लगा रहा. 179 करोड़ की लागत से फोरलेन मार्ग (four line road) का काम जारी है लेकिन लापरवाही की वजह से काम धीमी गति से चल रहा है. सड़क के हालात पिछले पांच सालों से ऐसे ही बने हुए हैं. कुसमुंडा (kusmunda) पहुंचने तक पूरा मार्ग बहुत ही जर्जर है. मुसाफिर जान हथेली पर रखकर सफर करने को मजबूर हैं.
कब दूर होगी सड़क की बदहाली कौन लेगा सड़क की सुध ?
बांकी मोंगरा मेन माइंस से मेन मार्केट तक चार किमी. लंबी सड़क बदहाल है. यह सड़क ही मड़वाढ़ोढा, पुरैना, गंगानगर, बांकी बस्ती, रोहिना और अन्य गांवों को जोड़ती है. बारिश (rain) होने पर इस सड़क में पानी भर जाता है और धूप पड़ने पर धूल उड़ती है. इससे आम जनता के स्वास्थ्य पर भी बुरा असर पड़ रहा है और सड़क को लेकर लोग काफी आक्रोशित है.
सवालों के घेरे में SECL- नगर निगम
कुछ दिन पहले माकपा नेताओं ने एसईसीएल और नगर निगम (SECL and nagar nigam) पर आरोप लगाया था कि एसईसीएल द्वारा खदानों का संचालन केवल मुनाफा कमाने के लिए हो रहा है, जबकि नगर निगम (Korba Municipal Corporation) की दिलचस्पी केवल टैक्स वसूलने तक सीमित है. लेकिन अधिकारियों के साथ कई बार बातचीत के बावजूद, स्थानीय लोग और उपनगरीय क्षेत्र बांकी मोंगरा की जन समस्याओं को हल करने के लिए वे वाकई गंभीर नहीं है.
टेंडर जारी होने के बाद हुआ रद्द
माकपा और यहां की जनता ने फरवरी में भी आंदोलन किया था, तब दिखावे के लिए एसईसीएल ने फौरन लाखों रुपयों का एक टेंडर जारी किया था, लेकिन इसके बाद चुपचाप इसे रद्द कर दिया गया. सड़क के जीर्णोद्धार का काम आज तक शुरू नहीं हो पाया है. अब सड़क की लड़ाई ही एकमात्र विकल्प है. माकपा नेता (CPI(M) leader) ने आम जनता के सभी तबकों और व्यापारी संघ से भी इस आंदोलन को समर्थन देने की अपील की है. जिससे उपेक्षा के खिलाफ एकजुट होकर संघर्ष किया जा सके.
SPECIAL: सड़क जैसी मूलभूत सुविधा से महरूम ऊर्जाधानी, गड्ढों से गुजरना बन गई लोगों की नियति
13 करोड़ का ब्रिज बना लेकिन सड़क अधूरी
पश्चिम क्षेत्र के कुसमुंडा और बांकीमोंगरा के अलावा कोरबा के पश्चिम क्षेत्र में आने वाले दर्री-जमनीपाली की ओर सफर करना भी आसान नहीं है. वर्तमान में दर्री डैम के रास्ते होकर आने वाली मुख्य सड़क पूरी तरह से उखड़ चुकी है. मेजर ध्यानचंद चौक से लेकर सीएसईबी चौक तक की सड़क का निर्माण अंतिम चरण में है, लेकिन इसे जोड़ने वाली सड़क की हालत बेहद खराब है.
सफर हुआ कठिन
मुख्यालय पहुंचने के लिए दर्री से राताखार तक जाने वाली सड़क का निर्माण हो गया. यहां आठ साल पहले 13 करोड़ की लागत से गेरवा घाट पुल का निर्माण किया गया, लेकिन सड़क से पुल को जोड़ने वाले 800 मीटर की एप्रोच रोड अभी भी अधूरी है. सड़क का चौड़ीकरण कर इसे छोड़ दिया गया है. लेकिन बारिश के दिनों में सड़क में कीचड़ ही कीचड़ जमा हो जाती है. जिससे नगर निगम के पश्चिम क्षेत्र के लगभग डेढ़ लाख की आबादी प्रभावित होती है. मुख्यालय तक पहुंचने के लिए उन्हें काफी जद्दोजहद का सामना करना पड़ता है.
जाम से लोगों को होती है दिक्कतें
पश्चिम क्षेत्र के लोगों के लिए जाम में फंसना या गड्ढों में उलझ जाना आम बात है. इस क्षेत्र की जनता हिचकोले खाते हुए मुख्यालय तक का सफर तय करती है. सोमवार को घंटों तक जाम लगा रहा लेकिन, कोई भी जिम्मेदार अधिकारी मौके पर नहीं पहुंचा. औद्योगिक जिला होने के कारण कोरबा की कई सड़कें एनटीपीसी, एसईसीएल बाल्को जैसे औद्योगिक उपक्रमों के अधीन हैं. नगर पालिक निगम के अलावा और भी कई एजेंसियां हैं जो सड़क के रखरखाव, मरम्मत का काम करती हैं. बावजूद इसके सड़कों की सूरत कभी भी बदल नहीं पाई.
गड्ढों को नाम देने की तैयारी
इस मामले को लेकर वामपंथी नेताओं ने एसईसीएल और नगर पालिक निगम (SECL and nagar nigam) को ज्ञापन सौंपा है. जिसमें उन्होंने बताया है कि, जनता सड़कों की समस्या से बेहद आक्रोशित है. समस्या का समाधान नहीं हुआ तो महा चक्काजाम और आंदोलन किया जाएगा. इसके पहले 11 जुलाई से गड्ढों को नेता और अफसरों का नाम दिया जाएगा. हर गड्ढे का नामकरण किसी ना किसी जिम्मेदार अधिकारी और नेता के नाम पर किया जाएगा.
नगर निगम ने कही समीक्षा की बात
सड़कों के मामले में हाल ही में कोरबा नगर पालिक निगम में आयुक्त का पदभार ग्रहण करने वाले कुलदीप शर्मा ने बताया कि, सड़कों की समस्या उनके संज्ञान में है. बांकीमोंगरा, कुसमुंडा और इस क्षेत्र की सड़कों को लेकर अफसरों से चर्चा करेंगे और जल्द समस्या का समाधान करेंगे.