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कोरबा मेडिकल कॉलेज की मान्यता दो साल बाद भी अटकी, सांसद ने केंद्रीय मंत्री को सौंपा ज्ञापन - कोरबा मेडिकल कॉलेज को दो साल बाद भी मान्यता नहीं

कोरबा में मेडिकल कॉलेज संचालन (Medical College Operation in Korba) करने के लिए केंद्र ने साल 2020 में विशेष योजना के तहत अनुमति दी थी. लेकिन अब तक इस कॉलेज को मान्यता नहीं मिल सकी है.

MP submitted memorandum to the Union Minister
सांसद ने केंद्रीय मंत्री को सौंपा ज्ञापन

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Published : Mar 23, 2022, 7:41 PM IST

कोरबा:दिल्ली में सांसद ज्योत्सना महंत (MP Jyotsna Mahanta) ने केन्द्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री मनसुख मंडविया से मुलाकात की. सांसद ने इस दौरान कोरबा मेडिकल कॉलेज (Korba Medical College) को जल्द से जल्द मान्यता प्रदान करने की बात की. इसके लिए सांसद ने इसी सत्र से चिकित्सा शिक्षा शुरु करने समेत दूसरे विषयों को लेकर ज्ञापन केंद्रीय मंत्री को सौंपा. आपको बता दें कि कोरबा जिले में मेडिकल कॉलेज संचालित करने की अनुमति मिल चुकी है. लेकिन अनुमति के 2 साल बाद भी मान्यता नहीं मिल सकी है. जिसके कारण MBBS की 100 सीटों में प्रवेश प्रक्रिया शुरु नहीं हो सकी है.

बढ़ेंगी चिकित्सा सुविधाएं : सांसद ने इस दौरान केंद्रीय मंत्री से आग्रह किया कि वो जल्द से जल्द इस ओर कदम उठाएं. सांसद के मुताबिक कोरबा आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र है. ऐसे में यहां की जनता को मेडिकल कॉलेज को लेकर काफी आशाएं हैं.यदि कोरबा में मेडिकल कॉलेज की सुविधा हुई तो लोगों को अच्छी चिकित्सा सेवा मिलने में मदद मिल सकेगी.इसके लिए सांसद ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री को चिकित्सा महाविद्यालय में दी जाने वाली स्वास्थ्य सुविधाओं का जायजा लेने कोरबा आने का न्यौता भी दिया है.

ये भी पढ़ें-कोरबा मेडिकल कॉलेज को जल्द मिल सकती है मान्यता, दिल्ली से पहुंची एनएमसी टीम

विशेष योजना के तहत मिली अनुमति :भारत सरकार ने केंद्र प्रायोजित योजनाओं (सीएसएस) के तहत मेडिकल कॉलेज स्थापित किए जाने की अनुमति दी थी. इस मामले में वंचित, पिछड़े और आकांक्षी जिलों को प्राथमिकता दी गई है. कोरबा भी आकांक्षी जिलों में शामिल है. कोरबा में मेडिकल कॉलेज को वर्ष 2020 में अनुमति दी गई थी. इस विशेष योजना के तहत यह तय किया गया कि जिला अस्पताल या रेफरल अस्पताल में मेडिकल कॉलेज अस्पताल का संचालन होगा. राज्य सरकार के साथ सामंजस्य बिठाकर काम किया जाना था. खर्च का बंटवारा केंद्र और राज्य के बीच 60:40 फीसदी का रखा गया है. लेकिन कोरबा में मान्यता को लेकर अब भी पेंच फंसा हुआ है.

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