कोरबा:कोरबा में आयोजित एक कार्यक्रम में विधानसभा अध्यक्ष चरणदास महंत ने सार्वजनिक मंच से अपनी सांसद पत्नी का टिकट काटने का बयान दिया (Politics on Statement of Assembly Speaker Charandas Mahant) है. महंत ने कहा, "पत्नी ज्योत्सना महंत राजस्थान, छत्तीसगढ़ व मध्य प्रदेश के 65 सीटों में अकेली महिला सांसद हैं. लेकिन लोग अब इसका भी टिकट काटने में लग गए हैं. इस बयान से प्रदेश में एक बार फिर सियासी भूचाल आ गया है. विपक्षी जहां चुटकी ले रहे हैं, तो पार्टी में भी तरह-तरह की चर्चाएं है. इस बयान के बाद प्रदेश में सियासी पारा चढ़ा हुआ है. ऐसे में ईटीवी भारत में यह पता लगाने का प्रयास किया कि महंत जैसे कद्दावर नेता के इस बयान के क्या मायने हो सकते हैं?
कौन काट रहा ज्योत्सना महंत का टिकट राज्यसभा जाने की जाहिर की थी इच्छा: महंत वर्तमान में छत्तीसगढ़ के विधानसभा अध्यक्ष हैं. इसके पहले वह प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष भी रह चुके हैं. अविभाजित मध्यप्रदेश के गृह मंत्री का दायित्व भी महंत ने संभाला है. वह प्रदेश के सीएम की दौड़ में भी शामिल थे. अब बीते कुछ समय से वह सार्वजनिक मंचों पर पार्टी के प्रति नाराजगी व्यक्त कर रहे हैं. हाल ही में जब छत्तीसगढ़ के कोटे से राज्यसभा के सांसद मनोनीत किए जाने थे. तब भी महंत ने सार्वजनिक तौर पर यह इच्छा जताई और कहा है कि "मैं कई पदों पर रहा, लेकिन अब मेरी आखिरी इच्छा राज्यसभा में जाकर देश सेवा करने की है." लेकिन कांग्रेस हाईकमान ने यूपी और बिहार के दो नेताओं को छत्तीसगढ़ के कोटे से राज्यसभा में भेज दिया था. जानकारों का कहना है कि महंत वैसे तो सुलझे हुए जनप्रतिनिधि हैं. लेकिन इस बात से कहीं ना कहीं वह व्यथित जरूर हैं.
आने वाले चुनावों में उठाना पड़ सकता है नुकसान :राजनीति के जानकार हरिराम चौरसिया का कहना है, "महंत ने जब सार्वजनिक मंच से सांसद पत्नी का टिकट कटने वाली बात कही. तब यह थोड़ा अप्रत्याशित जरूर था. कहीं न कहीं प्रदेश कांग्रेस में उहापोह जैसी स्थिति जरूर है. महंत काफी दु:खी लग रहे थे. कहीं न कहीं वह इस बात को लेकर आशंकित हैं कि उनकी पत्नी का लोकसभा टिकट काटा जा सकता है. हालांकि जिले में यदि कांग्रेस की बात करें तो यहां सब ठीक-ठाक नजर आ रहा है. लेकिन प्रदेश स्तर पर कहीं ना कहीं कुछ न कुछ जरूर चल रहा है. यह बात भी समझ के परे है कि जब महंत के पास योग्यता है, तब भी उन्हें छत्तीसगढ़ के कोटे से राज्यसभा में मौका क्यों नहीं दिया गया? कहीं न कहीं वह इस बात से व्यथित जरूर हैं. संगठन में अलगाव बिलगाव जैसी स्थिति दिखने लगी है. आने वाले विधानसभा चुनाव के पहले अगर इन परिस्थितियों को दुरुस्त नहीं किया गया. तो कांग्रेस को इसका नुकसान उठाना पड़ सकता है."
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नारी सशक्तिकरण की बातें सिर्फ दावों तक न सीमित:लंबे समय से पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय वरिष्ठ पत्रकार मनोज शर्मा कहते हैं, "राजनीति की जितनी मेरी समझ है. उसके अनुसार महंत काफी सुलझे हुए व्यक्तित्व के धनी हैं. वह कभी भी आक्रमक शब्दों का प्रयोग नहीं करते, लेकिन अब ऐसा लग रहा है कि उनकी कुछ महत्वकांक्षाएं रही हैं, जो पूरी नहीं हो पाई. राजनीति के क्षेत्र में महत्वकांक्षा का होना कोई बुरी बात भी नहीं है. लेकिन जब उन्हें पार्टी ने राज्यसभा नहीं भेजा तब यह बातें और सामने आ रही हैं. उन्होंने कहा कि उनकी पत्नी 65 सीटों में एकलौती महिला सांसद है. यूपी चुनाव के समय प्रियंका गांधी ने नारा दिया था कि लड़की हूं लड़ सकते हूं, तो महिला सशक्तिकरण की जो बातें कांग्रेस करती है.. क्या यह सिर्फ बात करने तक ही सीमित है? या सच में इसे साकार करने की दिशा में कोई ठोस कदम उठाना चाहती है? मुझे लगता है कि अपनी पत्नी के टिकट के बहाने महंत ने कांग्रेस आलाकमान को यह संदेश देने का भी प्रयास किया है, जिसमें महिला सशक्तिकरण का जो संदेश है, यह सिर्फ बात बनकर न रह जाए, पार्टी में इसे ठोस तरीके से लागू किया जाए."
प्रदेश भर में इस बयान की चर्चा:महंत ने कोरबा में जब यह बयान दिया तब मंच पर देश की कद्दावर महिला कांग्रस नेत्री विप्लव ठाकुर मौजूद थीं. जो कांग्रेस से पूर्व राज्यसभा सांसद रही हैं. चरणदास महंत ने उन्हें सुनाते हुए यह बात कहा कि महिला सशक्तिकरण के कार्यक्रम में यह मुद्दा उठाना जरूरी है. पत्नी की टिकट कटने वाली बात मैं इसलिए कह रहा हूं, क्योंकि आपका कार्यक्रम महिला सशक्तिकरण पर है. तो महिला के अधिकारों की रक्षा कौन करेगा? महंत ने जैसे ही यह बयान दिया, प्रदेश भर में इसकी जमकर चर्चा है.