कोरबा: सीतामणी में रहने वाले गरीब बुजुर्ग से सरकारी योजना ने न सिर्फ सिर से छत छीन ली, बल्कि 5 महीने से खुले में रहने के लिए मजबूर कर दिया है. शासन की योजना के क्रियान्वयन में हुई लापरवाही की वजह से बुजुर्ग गणपत हर दिन परेशानी झेल रहा है. अधिकारियों की तरफ से प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत बनने वाले मकान का आश्वासन पाकर उसने अपना घर तुड़वा तो दिया लेकिन पूरी राशि न मिलने की वजह से वो अपना नया घर नहीं बनवा पा रहा है.
कोरबा के वार्ड नंबर 8 में रहने वाले गणपति सारथी बताते हैं कि उनके परिवार में पत्नी और 4 बच्चे हैं. झाड़ू बेचकर घर चलता है. गणपत कहते हैं कि लगभग 5 माह पहले उनके नाम पर पीएम आवास स्वीकृत किया गया. अफसरों ने सर्वे की औपचारिकता पूरी करने के बाद पुराना घर तोड़कर नए का निर्माण कराने को कहा. गणपत का कहना है कि उसन अधिकारियों से बारिश के बाद नया घर बनवाने की बता कही, लेकिन टारगेट पूरा करने के चक्कर में वे नहीं माने.
गणपत का कहना है कि अफसरों ने 2 महीने के अंदर नया घर बनने की बात कही थी, जिसके बाद उसने अपना घर तुड़वा दिया. परेशानी तब शुरू हुई, जब शासन से मिलने वाली राशि की सिर्फ पहली किश्त इनके हिस्से आई. यानी कि गणपति को महज 57 हजार रुपए घर बनवाने के लिए मिले, वो अपने पैसों और कर्ज लेकर बाकी के पैसों का इंतजाम कर रहा है, जिससे घर बन जाए.