कोरबा: कोरबा से रायपुर के बीच चलने वाले हसदेव एक्सप्रेस को लॉकडाउन के चलते रेलवे प्रशासन ने बंद कर दिया था, एक बार ट्रेन को चालू करने के बाद इसे फिर से बंद कर दिया गया, जिससे आम लोगों में बेहद आक्रोश है. रेल संघर्ष समिति ने बिलासपुर डीआरएम का संकेतिक पुतला दहन कर जमकर प्रदर्शन किया. डीआरएम के खिलाफ नारे लगाकर हसदेव एक्सप्रेस को फिर से शुरू किए जाने की मांग की है.
हसदेव एक्सप्रेस बंद होने से लोगों में आक्रोश रेल संघर्ष समिति के सदस्य पुराना बस स्टैंड के समीप रेलवे फाटक पर एकत्रित हुए, जहां सभी ने रेल प्रशासन और डीआरएम के खिलाफ प्रदर्शन किया. रेल संघर्ष समिति के सदस्यों को कहना है कि डीआरएम ने लॉकडाउन के दौरान हसदेव एक्सप्रेस में सवारी कम होने की बात कहते हुए इसे बंद कर कर दिया था.
'सिर्फ हसदेव एक्सप्रेस बंद'
उन्होंने ये भी कहा कि रेलवे बोर्ड के लिए गए निर्णय के अनुसार इसे बंद किया गया है. रेलवे बोर्ड जब कहेगा वह इसे फिर से शुरू कर देंगे. रेल संघर्ष समिति का मानना है कि लॉकडाउन के दौरान ना सिर्फ हसदेव एक्सप्रेस बल्कि रायगढ़, जांजगीर से संचालित होने वाली कई ट्रेनों में भी यात्रियों की संख्या बेहद कम रही है. लेकिन सिर्फ हसदेव एक्सप्रेस को ही बंद किया गया है, जबकि अन्य ट्रेने चालू हैं. कोरबा के साथ शुरू से ही रेल प्रशासन बेहद सौतेला व्यवहार करता रहा है. इसका प्रत्यक्ष उदाहरण हसदेव एक्सप्रेस को बंद किया जाना है.
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एक बार फिर बंद रेल
कोरबा रेलवे स्टेशन में लगाए गए सूचना पटल से भी हसदेव एक्सप्रेस का नाम गायब कर दिया गया है. इसे हसदेव एक्सप्रेस को हमेशा के लिए बंद कर दिए जाने की तैयारी के तौर पर देखा जा रहा है. हसदेव एक्सप्रेस कोरबा वासियों के लिए रायपुर तक पहुंचने का सुगम जरिया रही है. कई आंदोलनों के बाद इसे शुरू किया गया था, जिसे अब एक बार फिर बंद कर दिया गया है.
रेल मंत्री ने की थी घोषणा
रेल संघर्ष समिति के रामकिशन अग्रवाल का कहना है कि पिछले साल रेल मंत्री पीयूष गोयल हरदीबाजार प्रवास पर आए थे. तब उन्होंने मंच से यह घोषणा की थी कि हसदेव एक्सप्रेस को हमेशा के लिए चलाया जाएगा. इसे कभी भी बंद नहीं किया जाएगा. रेल मंत्री की घोषणा के बाद भी हसदेव एक्सप्रेस को बंद किया जाना बेहद दुर्भाग्यजनक है.