कोरबा: जिले का कटघोरा क्षेत्र कोरोना संक्रमण काल में छत्तीसगढ़ का पहला हॉटस्पॉट बना, जहां कोविड-19 के शुरुआती दौर में करीब हजारों की संख्या में कोरोना मरीज मिले. लोग इस सदमे से आज भी बाहर नहीं निकले हैं. कोरोना के डर ने सारे त्योहारों की रौनक पर भी ग्रहण लगा दिया है, जिसका असर कटघोरा में मनाए जाने वाले शारदीय नवरात्र पर भी पड़ा है. जहां कभी गली-मोहल्लों में माता रानी की मूर्ति विराजती थी, आज उन गलियों में सन्नाटा पसरा हुआ है.
कटघोरा में फीकी पड़ी नवरात्र की रौनक बढ़ते कोरोना संक्रमण को देखते हुए दुर्गा पंडाल समितियों ने इस साल दुर्गा पूजा को लेकर दूरी बना ली. कभी बड़े पंडालों की सजावट और एक महीने पहले से तैयारियां करने वाले लोग प्रशासन की गाइडलाइंस से भी बंध गए. कोरोना काल के मद्देनजर नवरात्र को लेकर जिला प्रशासन ने दुर्गा पंडालों के लिए सख्त नियम बना दिए. कड़े नियमों को देखते हुए भी दुर्गा पंडाल समितियों ने अपने कदम पीछे कर लिए.
नहीं सजा माता रानी का पंडाल
प्रदेश में कोरोना का पहला वार झेलने वाला कटघोरा शहर इस महामारी के दंश से अब भी नहीं उबर पाया है. करीब सात महीनों बाद कटघोरा का सामान्य जनजीवन भले ही धीरे-धीरे पटरी पर लौट रहा हो, बाजार और दुकान खुल रहे हों, लेकिन शारदीय नवरात्र की रौनक इस साल यहां नजर नहीं आ रही है. अपने विशिष्ट दुर्गा पूजा, ज्योत, रास-गरबा और जगराते के लिए विख्यात कटघोरा शहर इस नवरात्रि में पूरी तरह आनंद से महरूम है. यहां आम भक्तों में ना ही नवरात्रि का जोश नजर आ रहा और न ही कही पंडाल सजे हैं.
कंटेनमेंट इलाके में नहीं है लोगों को आने की इजाजत कभी बनता था फूलों से भरा दरबार
लाखों रुपयों की लागत से बनाए जाने वाले फूलों के दरबार में विराजने वाली मां दुर्गा को इस साल एक कमरे तक ही सीमित रखा गया है. शहर के सबसे भव्य पूजा पंडाल वाली मध्यनगरी दुर्गा समिति का नजारा जितना ऐतिहासिक है, उतना ही निराश करने वाला भी. मध्यनगरी में पूजा की परम्परा भले ही कायम है, लेकिन भव्यता इस साल पूरी तरह नदारद है. यहां ना ही मां का दरबार सजा है और ना ही चहल-पहल देखने को मिल रही है.
सूने पड़े हैं माता के मंदिर 40 सालों से जहां होती थी रौनक, आज है सूनापन
नवरात्र के सूनेपन का यह हाल सिर्फ मध्यनगरी दुर्गा समिति में नहीं, बल्कि समूचे शहर में देखने को मिल रहा है. प्रशासन की गाइडलाइंस के आगे सभी समितियां नतमस्तक नजर आ रही हैं. इसी तरह पिछले 40 सालों से अपने दुर्गापूजा के लिए क्षेत्र में अलग पहचान बनाने वाले पुरानी बस्ती के चांदनी चौक का सन्नाटा हर किसी को आश्चर्य में डाल रहा है.
कोरोना ने छीनी नवरात्र की रौनक
यहां के बैगा बताते हैं कि 40 साल की रीत ना टूटे, इसलिए मां की पूजा हो रही है, लेकिन कोरोना संकट ने नवरात्र के इस आनंद और उल्लास को खत्म कर दिया है. सरकार ने भी साथ नहीं दिया, जिससे समितियों ने अपने कदम पीछे खींच लिए. जाहिर है कोरोना के बीच सार्वजनिक आयोजनों से सभी दूरी बनाने में ही अपनी भलाई समझ रहे हैं, हालांकि उन्हें भरोसा है कि आने वाले साल में हालात सुधरेंगे और शारदीय नवरात्र की रौनक फिर लौटकर आएगी.
मंदिरों में नहीं पहुंच रहे लोग जिला प्रशासन ने नहीं दी दुर्गा पूजा की अनुमति
दरअसल यह वही वार्ड क्रमांक-11 है, जहां अप्रैल के पहले हफ्ते में सिलसिलेवार तरीके से 27 मरीजों की पहचान हुई थी. जाहिर है कि क्षेत्र की सुरक्षा और संभावित खतरे को भांपते हुए ना ही प्रशासन ने मां चंडिका दुर्गा उत्सव समिति को नवरात्र पूजा की अनुमति दी और ना ही खुद समितियों ने इस बार दिलचस्पी दिखाई. कुछ इसी तरह की स्थिति दुर्गा मंदिर के पास होने वाले आयोजन की भी है. यहां भी दुर्गा समितियों ने सुरक्षा और कोरोना संक्रमण को देखते हुए सारे कार्यक्रम निरस्त कर दिए.
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कटघोरा के जिन 9 जगहों पर मातारानी की आराधना होती थी, उनमें से ज्यादातर इलाके इन दिनों कोरोना संक्रमण की चपेट में हैं. इनमें नवागांव, जेल रोड, तहसील भांठा, कारखाना इलाका, गायत्री मंदिर, मध्यनगरी बाजार मोहल्ला और अंबिकापुर रोड शामिल हैं. इसी तरह शहर से बाहर स्थित मां महामाया की भूमि खुटरीगढ़ में भी भक्तों की भीड़ पूरी तरह से गायब है. बात करें दशहरे में रावण दहन की, तो यह कार्यक्रम भी पूरी तरह फीका होगा, जिसे लेकर लोगों में मायूसी है.