कोरबा: बरसात शुरू होते ही श्यांग-लेमरु मार्ग पर स्थित लगभग 20 गांव का जिला मुख्यालय से संपर्क टूट जाता है. तेज बारिश होने पर इस मार्ग में बहने वाले नालों पर बने पुल के ऊपर से पानी बहता है. जिससे आवागमन पूरी तरह से बंद हो जाता है. इस क्षेत्र के ज्यादातर लोग आदिवासी वर्ग से आते हैं. यहां के रहवासी दशकों से इस तरह की परिस्थितियों का सामना कर रहे हैं.
जिला मुख्यालय के अंतिम छोर पर स्थित गांव श्यांग, लेमरु, नकिया समेत कई गांव के लोग बरसात में बेहद विषम परिस्थिति का सामना करते हैं.
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लगातार ऐसी परिस्थितियां बनती हैं, जब नालों पर बने पुल के ऊपर से पानी बहने लगता है. लेमरु के पास नालों पर बनाए गए पुल बरसात के मौसम में पूरी तरह से जलमग्न हो जाते हैं. पानी लगभग 3 से 4 फीट ऊपर तक बहने लगता है. लेमरु मार्ग पर आगे बढ़ने पर नकिया में एक छोटा सा जलप्रपात बनता है. यह जलप्रपात बरसाती नालों से बहकर आए पानी से निर्मित होता है. रास्ते का ढलान श्यांग की ओर होने की वजह से नालों का जल स्तर बढ़ जाता है.
कार्ययोजना बनी लेकिन काम अधूरा
लेहरु से श्यांग तक की लगभग 25 से 30 किलोमीटर की सड़क PWD के अधीन है. विभाग से जानकारी लेने पर उनका कहना है कि इस सड़क के लिए बजट पास हो चुका है लेकिन काम शुरू नहीं किया गया है.