कोरबा:बुधवार की शाम जिले भर में देवउठनी एकादशी का पर्व धूमधाम से मनाया गया. विधि-विधान से लोगों ने अपने घरों में शालिग्राम के साथ तुलसी विवाह कर पर्व की खुशियां बांटी. देर शाम से ही बाजारों में रौनक थी, एकादशी के मौके पर लोगों ने गन्ने के साथ ही सभी जरूरी सामानों की खरीदारी की.
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शाम ढलते ही तुलसी विवाह का त्योहार मनाया गया. पुरुषोत्तम मास के बाद कार्तिक महीना शुरू हो गया है. इस पावन महीने में त्योहारों की शुरुआत हो जाती है. इसी माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को देवउठनी एकादशी कहा जाता है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को भगवान विष्णु चार माह के लिए सो जाते हैं और कार्तिक शुक्ल एकादशी को जगते हैं. चार माह की इस अवधि को चतुर्मास कहते हैं. देवउठनी एकादशी के दिन चतुर्मास का अंत हो जाता है और शादी-विवाह के का काम शुरू हो जाता हैं.
लोगों ने जमकर की आतिशबाजी
हिंदू धर्म में एकादशी व्रत का बहुत बड़ा महत्व है. हिंदी चंद्र पंचांग के अनुसार पूरे वर्ष में चौबीस एकादशी पड़ती हैं, लेकिन यदि किसी वर्ष में मलमास आता है, तो उनकी संख्या बढ़कर 26 हो जाती है. इनमें से एक देवउठनी एकादशी है. मान्यता है कि एकादशी का व्रत करने वाले पितृ मोक्ष को प्राप्त कर स्वर्ग में चले जाते हैं. इन्हीं मान्यताओं के साथ बुधवार की देर शाम लोगों ने अपने घरों के बाहर जमकर आतिशबाजी की और दीये जलाकर खुशियां मनाई.
देवउठनी एकादशी पर क्या नहीं करना चाहिए
- एकादशी पर किसी पेड़ पौधों की पत्तियों को नहीं तोड़ना चाहिए.
- एकादशी वाले दिन पर बाल और नाखून नहीं कटवाने चाहिए.
- एकादशी वाले दिन पर संयम और सरल जीवन जीने का प्रयास करना चाहिए.इस दिन कम से कम बोलने की कोशिश करनी चाहिए और भूल से भी किसी को कड़वी बातें नहीं बोलनी चाहिए.
- हिंदू शास्त्रों में एकादशी के दिन चावल का सेवन नहीं करना चाहिए.
- एकादशी वाले दिन पर किसी दूसरे का दिया गया भोजन नहीं करना चाहिए.
- एकादशी पर मन में किसी के प्रति विकार नहीं उत्पन्न करना चाहिए.
- स्थिति पर गोभी, पालक, शलजम आदि का सेवन ना करें.
- देवउठनी एकादशी का व्रत रखने वालों को बिस्तर पर नहीं सोना चाहिए.