कोरबा : धान खरीदी की प्रक्रिया से इस साल प्रदेश के किसानों को खासी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. पिछले साल की तुलना में अब तक 43 फीसदी कम धान की खरीदी हुई है. धान खरीदी की प्रक्रिया इतनी जटिल है कि, किसान धान बेच नहीं पा रहे हैं.
जिले में 43 फीसदी घटी धान की खरीदी सरकार की ओर से धान खरीदी की तारीख बढ़ाने को लेकर भी अब तक कोई घोषणा नहीं हुई है. इस लिहाज से इस साल धान खरीदी काफी कम होने के आसार हैं.
पिछले वित्तीय वर्ष में जिले में कुल 12 लाख 96 हजार क्विंटल धान की खरीदी हुई थी, जबकि वर्तमान वित्तीय वर्ष में अब तक महज 7 लाख क्विंटल धान की खरीदी ही हो सकी है.
पिछले साल से कम हुई धान की खरीदी
ऐसे हालात में धान खरीदी की प्रक्रिया पर प्रश्न चिन्ह लग गया है. किसानों का कहना है कि 'सरकार ने जिला प्रशासन के अफसरों को कम से कम धान खरीदने के निर्देश दिए हैं'. जिसका परिणाम यह हुआ कि धान खरीदी समाप्त होने के सप्ताह भर पहले तक, पिछले साल के कुल खरीदे गए धान की तुलना में 43 फीसदी की कमी आई है.
पटवारी तय कर रहे उत्पादन
किसानों का कहना है कि 'इस साल धान खरीदी की प्रक्रिया में पहली बार पटवारियों को भी शामिल किया गया है. जबकि पिछली बार तक ऐसा कुछ भी नहीं था. किसान जब अपना धान लेकर उपार्जन केंद्र पहुंच रहे हैं, तब उन्हें पटवारी से उत्पादन प्रमाण पत्र लाने को कहा जा रहा है. पटवारी मनमाने तरीके से किसानों के खेतों में उगाए गए धान की मात्रा तय कर रहे हैं. किसान ने यदि 20 क्विंटल धान 1 एकड़ में उगा लिया है, तब भी पटवारी 1 एकड़ में केवल 10 से 12 क्विंटल धान का ही उत्पादन प्रमाण पत्र दे रहे हैं. जिससे किसान परेशान हैं'.
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7 लाख 43 हजार क्विंटल धान की खरीदी
अब तक जिले की 27 समितियों के तहत संचालित 41 उपार्जन केंद्रों में कुल 20 हजार 422 किसानों ने धान की बिक्री की है. इन किसानों से 7 लाख 43 हजार 349 क्विंटल धान की खरीदी की गई है, जबकि पिछले साल राज्य शासन ने किसानों से 12 लाख 96 हजार 970 क्विंटल धान की खरीदी की थी.