छत्तीसगढ़

chhattisgarh

ETV Bharat / state

बिलों की राशि वसूलने में नाकाम साबित हो रहा बिजली विभाग, खुद ही मोर्चा संभालते हुए ये बनाया रिकवरी का प्लान

कोरबा में बिजली बिल का बकाया बढ़कर अब 200 करोड़ तक पहुंच चुका है. वहीं बिजली विभाग ने राशि वसूलने के लिए खुद की मोर्चा संभाल लिया है.

electricity bill amount
बिजली बिलों की राशि

By

Published : Nov 19, 2021, 8:32 AM IST

Updated : Nov 20, 2021, 6:14 AM IST

कोरबा: बिजली बिल का बकाया (Electricity Bill Arrears) बढ़कर अब 200 करोड़ रूपये पहुंच चुका है. लोगों में बिजली बिल नहीं भरने की प्रवृत्ति लगातार बढ़ रही है. तो वही बड़े बकायादरों से बिजली विभाग वसूली (Electricity Department Failed to Recover) करने में नाकाम साबित हो रहा है. लेकिन लोगों में इस प्रवृत्ति की शुरुआत कहां से हुई, इसे समझने के लिए थोड़ा पीछे जाना होगा. कोरबा जिले में ही राज्य के सभी प्रमुख पावर प्लांट स्थापित हैं. अफसरों की मानें तो लंबे समय से लोग बिजली बिल नहीं भर रहे हैं.

बिलों की राशि वसूलने में नाकाम साबित हो रहा बिजली विभाग

अब से 8 महीने पहले यह बकाया 170 था. जोकि वर्तमान में 200 करोड़ रूपये तक पहुंच चुका है. खासतौर पर कोरोना काल और इसके बाद से ही विद्युत वितरण विभाग (Power Distribution Department) ने आम नागरिकों के घरों में अनाप-शनाप मीटर रीडिंग कर बिजली बिलों में काफी गड़बड़ी की ओर इशारा कर रहा है. स्पॉट बिलिंग समय पर नहीं हुई है. जिसके बाद से लोगों को एकाएक बढ़ा हुआ बिल थमाया जा रहा है.

बिजली विभाग की लापरवाही उजागर, किसान को थमा दिया 2 लाख से ज्यादा का बिजली बिल

गलत रीडिंग और अनाप-शनाप बिल देखकर लोगों ने बिल भरना ही छोड़ दिया. जिसके बाद अब विभाग जागा है और मीटर रीडिंग (Meter Reading) की पूरी व्यवस्था से ठेकेदारों को अलगकर इसकी जिम्मेदारी अपने कंधों पर वापस ले ली है. विभाग ने उम्मीद जताई है कि इससे कार्यशैली में सुधार होगा और बिजली बिल भरने की प्रवृत्ति भी लोगों में जागेगी.

कोरबा में राज्य का 40 फीसदी बकाया

छत्तीसगढ़ में विद्युत वितरण विभाग (Electricity Distribution Department in Chhattisgarh) की ओर से लोगों से बिजली बिल वसूली जाने वाली राशि का कुल बकाया 500 करोड़ रुपए है. जबकि इसका 40% यानी 200 करोड़ रुपए का बिजली बिल का बकाया अकेले कोरबा में है. लोगों में बिजली बिल नहीं भरने की प्रवृत्ति के साथ ही विभागीय उदासीनता और लापरवाही भी इन परिस्थितियों के काफी हद तक जिम्मेदार है. विद्युत वितरण के अधिकारी भी कोरबा आते ही अपना तबादला करा लेने की जुगत में लगे रहते हैं. व्यवस्था उलझी हुई है, जिसे सुधारा जाना संभव नहीं हो पा रहा है.

मीटर रीडिंग का काम कर रहे वेंडरों की छुट्टी

अब तक मीटर रीडिंग और स्पॉट बिलिंग का काम विभाग ने निजी ठेकेदारों को दे रखा था. मीटर रीडिंग के लिए निजी वेंडरों को नियुक्त किया गया था. वेंडर से होते हुए बिलों का डाटा विद्युत विभाग के अफसरों तक पहुंचता था. लेकिन अब विभाग ने मीटर रीडिंग और स्पॉट बिल देने के काम से निजी वेंडरों को फ्री कर दिया है. विभाग के इंजीनियर अब खुद मीटर रीडिंग और स्पॉट बिलिंग की मॉनिटरिंग करेंगे. मीटर रीडिंग करने वाले कर्मचारी सीधे विभाग के इंजीनियरों को रिपोर्टिंग देंगे. इसके पहले निजी वेंडर बकायेदारों से सांठगांठ कर बिजली बिल में हेरफेर करने के आरोप लगते रहे हैं. इसमें विभागीय अधिकारियों की भूमिका भी संदिग्ध रही है.

बिजली बिलों की राशि

शहर के साथ ग्रामीण क्षेत्र में भी बकाया

कोरबा के दर्री, तुलसीनगर और पड़ीमार को मिलाकर 3 जोन शहरी विद्युत व्यवस्था के अंतर्गत आते हैं. जहां लगभग 50 हजार उपभोक्ता हैं.
इसके अलावा ग्रामीण क्षेत्र में विभाग के हजारों में उपभोक्ता मौजूद हैं. शहरी और ग्रामीण दोनों ही क्षेत्रों में लगभग 100-100 करोड़ रुपए के अनुपात में बिजली बिल बकाया है. इनमें ऐसे बकायेदारों की संख्या भी 1 से 4 के बीच है. जिनका बिजली बिल कब का है. 1 लाख रूपये से ज्यादा है.

टीम गठित कर रिकवरी का प्रयास

विद्युत विभाग के अधिकारी मीटर रीडिंग की व्यवस्था अपने हाथ में लेने के बाद अब टीम बनाकर बकायेदारों से रिकवरी की बात भी कह रहे हैं. कुछ मामलों में आपराधिक प्रकरण दर्ज करने की बात भी अफसरों ने कही है. हालांकि इसके बाद भी बकायेदारों से बड़े पैमाने पर वसूली नहीं हो पा रही है.

Last Updated : Nov 20, 2021, 6:14 AM IST

ABOUT THE AUTHOR

...view details