कोरबा: बिजली बिल का बकाया (Electricity Bill Arrears) बढ़कर अब 200 करोड़ रूपये पहुंच चुका है. लोगों में बिजली बिल नहीं भरने की प्रवृत्ति लगातार बढ़ रही है. तो वही बड़े बकायादरों से बिजली विभाग वसूली (Electricity Department Failed to Recover) करने में नाकाम साबित हो रहा है. लेकिन लोगों में इस प्रवृत्ति की शुरुआत कहां से हुई, इसे समझने के लिए थोड़ा पीछे जाना होगा. कोरबा जिले में ही राज्य के सभी प्रमुख पावर प्लांट स्थापित हैं. अफसरों की मानें तो लंबे समय से लोग बिजली बिल नहीं भर रहे हैं.
अब से 8 महीने पहले यह बकाया 170 था. जोकि वर्तमान में 200 करोड़ रूपये तक पहुंच चुका है. खासतौर पर कोरोना काल और इसके बाद से ही विद्युत वितरण विभाग (Power Distribution Department) ने आम नागरिकों के घरों में अनाप-शनाप मीटर रीडिंग कर बिजली बिलों में काफी गड़बड़ी की ओर इशारा कर रहा है. स्पॉट बिलिंग समय पर नहीं हुई है. जिसके बाद से लोगों को एकाएक बढ़ा हुआ बिल थमाया जा रहा है.
बिजली विभाग की लापरवाही उजागर, किसान को थमा दिया 2 लाख से ज्यादा का बिजली बिल
गलत रीडिंग और अनाप-शनाप बिल देखकर लोगों ने बिल भरना ही छोड़ दिया. जिसके बाद अब विभाग जागा है और मीटर रीडिंग (Meter Reading) की पूरी व्यवस्था से ठेकेदारों को अलगकर इसकी जिम्मेदारी अपने कंधों पर वापस ले ली है. विभाग ने उम्मीद जताई है कि इससे कार्यशैली में सुधार होगा और बिजली बिल भरने की प्रवृत्ति भी लोगों में जागेगी.
कोरबा में राज्य का 40 फीसदी बकाया
छत्तीसगढ़ में विद्युत वितरण विभाग (Electricity Distribution Department in Chhattisgarh) की ओर से लोगों से बिजली बिल वसूली जाने वाली राशि का कुल बकाया 500 करोड़ रुपए है. जबकि इसका 40% यानी 200 करोड़ रुपए का बिजली बिल का बकाया अकेले कोरबा में है. लोगों में बिजली बिल नहीं भरने की प्रवृत्ति के साथ ही विभागीय उदासीनता और लापरवाही भी इन परिस्थितियों के काफी हद तक जिम्मेदार है. विद्युत वितरण के अधिकारी भी कोरबा आते ही अपना तबादला करा लेने की जुगत में लगे रहते हैं. व्यवस्था उलझी हुई है, जिसे सुधारा जाना संभव नहीं हो पा रहा है.