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SPECIAL: मिडिल क्लास के लिए ऑनलाइन पढ़ाई बनी मुसीबत - ऑनलाइन पढ़ाई

कोरोना काल में बच्चों के लिए सराकर ने ऑनलाइन क्लासेस की सुविधा शुरू की. बच्चों की पढ़ाई तो हो रही है, लेकिन इसमें कई तरह की परेशानियां सामने आ रही है. बच्चों से लेकर उनके अभिभावकों दोनों का मानना है कि बच्चे उतना नहीं सीख पाते, जितना कि वह स्कूल जाकर सीखते हैं.

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मिडिल क्लास के लिए ऑनलाइन पढ़ाई बनी मुसीबत

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Published : Feb 5, 2021, 5:52 PM IST

कोरबा: कोरोना काल में बच्चों की पढ़ाई प्रभावित न हो इसके लिए सरकार ने ऑनलाइन पढ़ाई की सुविधा शुरू की. सरकार की इस पहल को लोगों ने भी काफी सराहा. लेकिन ऑनलाइन क्लास की सुविधा शुरू हुए महीनों बीत जाने के बाद भी बच्चे और उनके अभिभावक अभी भी इससे पूरी तरह से कंफर्टेबल नहीं हुए हैं.

मिडिल क्लास के लिए ऑनलाइन पढ़ाई बनी मुसीबत

घर में एक ही स्मार्टफोन होने से होती है परेशानी

कई मिडिल क्लास परिवार ऐसे हैं, जहां एक ही स्मार्टफोन है और परिवार में ऑनलाइन क्लास अटेंड करने वाले बच्चों की तादाद दो या तीन है. ऐसे परिवार ऑनलाइन क्लास के कल्चर को पूरी तरह से अपना नहीं सके हैं. अभिभावकों का कहना है कि एक स्मार्टफोन होने की वजह से दो में से एक बच्चे की क्लास हर दिन मिस हो जाती है. ऐसे में कई बार पड़ोसी का मोबाइल फोन मांगने तक की नौबत आ जाती है. चिंता की बात ये है कि इसकी भरपाई का उनके पास कोई विकल्प नहीं है.

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अभिभावकों को होती है दिक्कत

कुछ अभिभावकों का ये भी कहना है कि बच्चों को स्मार्टफोन देने से उनका अपना काम प्रभावित हो रहा है. वे कहते हैं कि ऑनलाइन क्लासेस की वजह से वे फोन ऑफिस नहीं ले जा पाते हैं. खास कर दुकानदारों को इससे खासी परेशानी होती है, क्योंकि उन्हें कई व्यापारियों के कॉल अटेंड करने होते हैं.

स्कूल के प्रिंसिपल आए दिन फीस के लिए करते हैं परेशान

बच्चों के पेरेंट्स का ये भी कहना है कि स्कूल के शिक्षक मोबाइल के जरिए ही ऑनलाइन असाइनमेंट भेज देते हैं, लेकिन घर पर किस तरह की परेशानी हो रही है इससे उन्हें कोई मतलब नहीं होता. कुछ पेरेंट्स का कहना है कि स्कूल की ओर से फीस के लिए काफी परेशान किया जा रहा है. एक अभिभावक ने बताया कि कुछ दिन पहले ही स्कूल के प्रिंसिपल ने धमकाते हुए उनसे कहा कि फीस तो हर हाल में भरना होगा.

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घर पर नहीं हो पाती स्कूल जैसी पढ़ाई

दसवीं क्लास की छात्रा अंजलि और सुमन कहती हैं कि मोबाइल के माध्यम से ऑनलाइन क्लास अटेंड करना अलग अनुभव है. टीचर समझाते हैं, तो समझ में भी आ जाता है. लेकिन कई बार डाउट्स क्लियर नहीं हो पाते हैं. वे बताती हैं कि स्कूल में होने वाली पढ़ाई ज्यादा बेहतर होती है. वहां हम अपने डाउट्स आसानी से दूर कर सकते हैं और शिक्षक जब सामने होकर हमें पढ़ाते हैं, तब कांसेप्ट भी क्लियर रहता है.

लाखों ने कराया रजिस्ट्रेशन

ऑनलाइन क्लास का कांसेप्ट जब छत्तीसगढ़ सरकार ने शुरू किया था, तब पढ़ई तुंहर द्वार के जरिए पढ़ाई शुरू हुई. लाखों शिक्षक और छात्रों ने पोर्टल पर अपना रजिस्ट्रेशन कराया. क्लासेस शुरू हुईं, लेकिन अब यह व्यवस्था बोझिल होती जा रही है. अभिभावक रीना कहती हैं कि बच्चे ऑनलाइन क्लासेस ज्यादा से ज्यादा 1 या 2 घंटे तक ही अटेंड कर पाते हैं. इसके बाद वह घूमते-फिरते रहते हैं. उन्हें कंट्रोल करना भी मुश्किल हो जाता है.

बहरहाल, ऑनलाइन क्लासेस चल तो रही हैं, लेकिन उतनी कारगर नहीं साबित हो रही. बच्चों और अभिभावकों दोनों का मानना है कि बच्चे उतना नहीं सीख पाते, जितना कि वह स्कूल जाकर सीखते हैं.

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