कोरबा:छत्तीसगढ़ के कोरबा लोकसभा क्षेत्र से 13 प्रत्याशी मैदान में हैं. इन 13 प्रत्याशियों में से सिर्फ 2 प्रत्याशी कोरिया जिले से हैं. कोरबा लोकसभा में 8 विधानसभा सीट है. इसमें 4 सीट आदिवासियों के लिए आरक्षित सीटें हैं. इस बार 2 आदिवासी आरक्षित सीट भरतपुर-सोनहत और मरवाही से कोई भी प्रतिनिधि नहीं है.
मरवाही से एक भी प्रत्याशी नहीं
हर लोकसभा चुनाव की तरह इस बार भी कोरिया जिला और मरवाही विधानसभा क्षेत्र उपेक्षा की मार झेलने की स्थिति में है. इस बार भी अकेले कोरबा जिले से 11 प्रत्याशी मैदान में हैं. कोरिया जिले से 2 और मरवाही से आंकड़ा शून्य है. इस बार उम्मीद जताई जा रही थी कि, कोरिया जिले से कांग्रेस और भाजपा अपना प्रत्याशी उतार सकती है. अब तक का किस्सा यह रहा है कि हर बार कोरबा शहर से प्रत्याशी को चयनित किया गया है. इस बार भी एक प्रत्याशी कोरबा विधानसभा और दूसरा प्रत्याशी कटघोरा विधानसभा से चुने गए हैं.
मरवाही से अजीत जोगी हैं विधायक
इसमें सबसे दिलचस्प बात यह है कि, कांग्रेस और भाजपा सबसे ज्यादा कोरिया और मरवाही को ही साधने में लगी रहती है. मरवाही से अजीत जोगी विधायक हैं, ऐसे में कांग्रेस और भाजपा के लिए मरवाही सबसे महत्वपूर्ण क्षेत्र माना जा रहा है. पिछली बार कांग्रेस यहां से लीड लेने के बावजूद हार गई थी. जब हर मायने में मरवाही और कोरिया जिले की सीटें दोनों ही पार्टियों के लिए महत्वपूर्ण हैं, तो वहां से प्रत्याशी क्यों नहीं चुने जाते हैं.
जिले में जागरूकता की कमी
वरिष्ठ पत्रकार गेंद लाल शुक्ल बताते हैं कि, कोरबा जिले के लोगों में कोरिया जिले के लोगों से जागरूकता अधिक है. कोरिया जिले में जागरूकता की कमी के कारण यहां से प्रतिनिधित्व नहीं मिल पाता है. उन्होंने बताया कि, जो राजनीति के प्रतिष्ठित चेहरे हैं वो कोरबा में ज्यादा हैं. कोरबा के नेताओं में कोरिया के मुकाबले योग्यता ज्यादा है. जागरूकता और योग्यता की कमी के कारण कोरिया को प्रतिनिधित्व नहीं मिलना एक बड़ी वजह है. हालांकि उन्होंने यह भी बताया कि, केंद्र की योजनाओं का लाभ कोरिया जिले को मिलता है, लेकिन फिर भी यहां विकास की गति बहुत धीमी है.