कोरबा: जिस मंशा से केंद्र और राज्य सरकारों ने मिलकर कोरबा जिले में 1 सीजी बटालियन की स्थापना की थी. वह मंशा आज भी अधूरी है. अपनी स्थापना के 4 साल बाद भी बटालियन को सर्वसुविधा युक्त भवन तक नहीं मिल (NCC cadets taking training in dilapidated building)सका है. पहला तल इतना जर्जर है कि छत टूटकर गिर रहा है. भूतल की मरम्मत हुई, लेकिन वहां से भी पानी टपकता है. एनसीसी कैडेट्स की ट्रेनिंग के लिए यहां पर्याप्त संसाधन मौजूद नहीं है. जिसके कारण अन्य जिलों में भेजकर बाधा दौड़ की प्रक्रिया को पूरी करवानी पड़ रही है. 1 सीजी बटालियन की स्थापना एनसीसी कैडेट्स की बेहतर तैयारी के लिए जरूर की गई थी. लेकिन सुविधाएं नहीं होने के कारण यहां ठोस ट्रेनिंग का इंतजाम नहीं हो पा रहा है. korba latest news
कोरबा के जर्जर भवन में एनसीसी कैडेट्स ले रहे ट्रेनिंग बाधा दौड़ सबसे बड़ी खामी: एनसीसी बटालियन की व्यवस्थाओं पर चर्चा करते हुए यहां की व्यवस्था संभालने वाले कर्नल रितोब्रोतो सेनगुप्ता ने बताया कि "हमारे यहां सबसे बड़ी खामी बाधा दौड़ की है. बाधा दौड़ के लिए कम से कम 10 ऑब्सटेकल्स की हमें जरूरत है. इसका अलग ट्रेक बनता है. यह एनसीसी ट्रेनिंग के लिए सबसे जरूरी होता है. लेकिन वह यहां मौजूद ही नहीं है. बच्चों को बिलासपुर भेजकर कई बार ट्रेनिंग करवानी पड़ती है. जो व्यावहारिक तौर पर संभव हो नहीं पाता. जिसके कारण हमारे बच्चे नेशनल लेवल की प्रतियोगिता में पिछड़ जाएंगे, बाधा दौड़ एनसीसी ट्रेनिंग के लिए एक बेहद जरूरी संसाधन है.
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भवन जर्जर, फायरिंग रेंज नदारद:बटालियन प्रबंधन की ओर से यह भी जानकारी मिली कि 1 सीसी बटालियन का जो भवन रजगामार रोड स्थित पीजी कॉलेज के ठीक बगल में मौजूद है. उस भवन की हालत बेहद खराब है. खनिज न्यास मद से भवन के भूतल की मरम्मत 14 लाख रुपए से कराई गई थी, लेकिन प्रथम तल की स्थिति बेहद खराब है. छत टूट कर गिर रहे हैं. जिसके अवशेष प्रथम तल पर ही पड़े हैं. यहां छात्रों की ट्रेनिंग कराना बिल्कुल भी सुरक्षित नहीं है. हथियारों की ट्रेनिंग के लिए फायरिंग रेंज भी बटालियन में मौजूद नहीं है. जिसके लिए पुलिस के फायरिंग रेंज का उपयोग करना होता है. लेकिन यहां भी कैडेट्स को आने-जाने में कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है.
27 के पद स्वीकृत मिले सिर्फ 7:एनसीसी कैडेट्स को तैयार करने के लिए जब कभी भी बटालियन की स्थापना होती है. तब इसमें केंद्र और सरकार दोनों का ही योगदान रहता है. केंद्र सरकार द्वारा आर्मी से कर्मचारियों की नियुक्ति यहां की जाती है. वर्तमान में 1 सीजी बटालियन कोरबा में 2 ऑफिसर, 6 सूबेदार और 18 हवलदार की पदस्थापना की जा चुकी है. यह सभी आर्मी से सीधे कोरबा में अपनी सेवाएं दे रहे हैं. लेकिन 27 अन्य पद जिसमें ड्राइवर से लेकर ऑफिशियल और सफाई कर्मी तक शामिल हैं. इसके साथ ही भवन और अन्य संसाधन उपलब्ध कराना राज्य सरकार की जिम्मेदारी होती है. अधोसंरचना के तौर पर जहां तैयारी अधूरी है. 27 कर्मचारियों के स्वीकृत पद के बदले केवल 7 कर्मचारी मिले हैं. इससे भी व्यवस्था संभालने में काफी परेशानी हो रही है.
4 जिलों के इस मुख्यालय में 3500 केडेट्स ले सकते हैं ट्रेनिंग 4 जिलों का मुख्यालय, 3500 केडेट्स ले सकते हैं ट्रेनिंग:1 सीजी बटालियन को कोरबा के साथ ही जांजगीर चांपा, बलौदाबाजार और सूरजपुर जिला का मुख्यालय बनाया गया है. जहां 3500 कैडेट्स एक समय में प्रशिक्षण ले सकते हैं. वर्तमान में यहां संसाधनों की कमी बनी हुई है. जिसके कारण फिलहाल सिर्फ कोरबा जिले के ही अलग-अलग शैक्षणिक संस्था स्कूल कॉलेज के 600 केडेट्स यहां से ट्रेनिंग ले रहे हैं. हालांकि कर्नल रितोब्रोतो सेनगुप्ता ने भरोसा दिलाया है कि संसाधन उपलब्ध होते ही बटालियन का दायरा बढ़ेगा और अन्य संस्थाओं को भी यहां जोड़ा जाएगा. लगातार काम जारी है. एनसीसी की ट्रेनिंग पूरी करने वाले छात्रों को इसका खासा लाभ मिलता है. कई तरह की भर्ती और एडमिशन में 5 अंक का बोनस छात्रों को दिया जाता है. एनसीसी को सेकंड लाइन ऑफ आर्मी की संज्ञा दी गई है.