कोरबा: 29 सालों से छत्तीसगढ़ का सबसे ऊंचा मिनीमाता हसदेव बांगो बांध खेतों और उद्योगों की प्यास बुझाता आता रहा है. लेकिन सुरक्षा और मरम्मत की दृष्टिकोण से अब ठोस प्रयास किए जाने की जरूरत है. मचाडोली गांव में मिनीमाता हसदेव बांगो बांध की नींव रखने के बाद सन 1992 में इस बांध का निर्माण कार्य पूरा हुआ. तब से लेकर आज तक मिनीमाता हसदेव बांगो बांध लगातार जरूरतों को पूरा कर रहा है. लेकिन सही समय पर बांध की मरम्मत और रखरखाव नहीं हो पा रही है. आज के दौर में इस बांध को मरम्मत की जरूरत है.
इतनी है बांध की क्षमता
मिनीमाता हसदेव बांगो बांध में अधिकतम जलभराव स्तर 359. 66 मीटर निर्धारित है. डैम का जलस्तर जब 358 मीटर के आसपास पहुंच जाता है, तब गेट खोलकर पानी नदी में छोड़ना पड़ता है. बारिश के मौसम में ही सिंचाई विभाग के कर्मचारी एकजुट होकर काम करते हैं. सभी कर्मचारी बारिश के मौसम में अलर्ट पर रहते हैं. जब भी जलस्तर बढ़ता है, तब तत्काल गेट खोल कर पानी नदी में छोड़ा जाता है.
12 वर्षों से नहीं हुई रेडियल गेट की पोताई
मिनीमाता हसदेव बांगो बांध के रेडियल गेट में लोहे के भारी-भरकम दो प्लेट है, जोकि पानी में डूबे रहते हैं. रेडियल गेट के एक प्लेट को लिफ्ट करने के बाद सामने की ओर से गेट खुलता है और पानी नदी में डिस्पैच होता है. आमतौर पर लोहे से बने रेडियल गेट पानी में डूबे हुए रहते हैं. नियमानुसार तीन से पांच साल में इनकी पुताई करने की आवश्यकता होती है.
ताकि इन्हें जंग से बचाया जा सके. लेकिन वर्तमान स्थिति यह है कि विगत 12 वर्षों से रेडियल गेट की पुताई नहीं हुई है. गेट की पुताई का प्रस्ताव स्थानीय कार्यालय से उच्च अधिकारियों को भेजा गया, लेकिन प्रस्ताव उच्च कार्यालय में लंबित होने के कारण प्रक्रिया फिलहाल अधर में अटका है.