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कोरबा: दर-दर भटक रहे हैं यूपी और झारखंड के मजदूर, नहीं मिल रही मदद - कोरबा में यूपी के मजदूर

छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले में प्रवासी मजदूरों को शरण नहीं मिली. मजदूरों को पुलिस प्रशासन ने जिला बॉर्डर से बाहर भेज दिया. प्रवासी मजदूर दर-दर की ठोकरें खा रहे हैं, लेकिन सुध लेने वाला कोई नहीं है. जानकारी के मुताबिक सभी मजदूर झारखंड और इलाहाबाद जाना चाहते हैं, लेकिन सार्वजनिक परिवहन बंद होने के कारण दर-दर भटक रहे हैं.

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प्रवासी मजदूर परेशान

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Published : May 7, 2020, 10:09 AM IST

Updated : May 7, 2020, 6:17 PM IST

कोरबा:कोरोना वायरस की वहज से घोषित लॉकडाउन का असर सबसे ज्यादा प्रवासी मजदूरों पर पड़ा है. देश में जब से लॉकडाउन हुआ है, तब से मजदूरों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. सरकार भी मजदूरों को लेकर गंभीर नजर नहीं आ रही है. दूसरे राज्यों में मजदूरी करने गए लेबर सैकड़ों किलोमीटर का सफर पैदल करने को मजबूर हैं. अगर वो गलती से ट्रकों के माध्यम से किसी दूसरे जिले तक पहुंचते हैं, तो उनके साथ रिफ्यूजियों जैसा व्यवहार किया जा रहा है. ऐसे में सरकार और स्थानीय प्रशासन की मंशा पर सवाल उठना लाजमी है.

मजदूरों को नहीं मिल रही शरण

मामला कोरबा जिले के दीपका क्षेत्र का है. यहां हर दिन सैकड़ों ट्रकों का अन्य प्रदेशों से आना जाना होता है. बुधवार की रात तीन से चार ट्रकों में लोड होकर 135 प्रवासी मजदूर पहुंचे. जानकारी के अनुसार ये सभी मजदूर सूरत, हैदराबाद और तेलंगाना जैसे शहरों से पैदल ही निकले थे. बीच में किसी तरह ट्रक में लिफ्ट लेकर भटकते हुए वह दीपका पहुंच गए हैं.

मजदूरों को नहीं मिल रही शरण

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झारखंड और इलाहाबाद हैं मजदूर

इनमें से ज्यादातर मजदूर झारखंड और इलाहाबाद जाना चाहते हैं, लेकिन सार्वजनिक परिवहन के सभी साधनों के बंद होने के कारण इन्हें रास्ते का भी ज्ञान नहीं है. इसलिए वह किसी तरह भटक कर दीपका पहुंचे और जब वह ट्रक से नीचे उतर रहे थे, तभी दीपका पुलिस की नजर इन पर पड़ी. इसके बाद इन्हें वापस ट्रकों में बैठाकर जिले की सीमा के बाहर अगले बॉर्डर तक पहुंचाने का इंतजाम कर दिया गया. अब कोरबा जिले की सीमा के उस पार पहुंचने के बाद इन मजदूरों का क्या होगा..? इन्हें अपने घर तक पहुंचने के लिए कोई साधन उपलब्ध हो पाएगा..? इसका जवाब किसी के पास नहीं है.

प्रवासी मजदूर परेशान

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मजदूरों के लिए संवेदनशीलता क्यों नहीं
एक नजरिए से देखा जाए, तो कोटा में पढ़ने वाले छात्रों को घर पहुंचाने के लिए जिस तरह का समन्वय सरकार और प्रशासन ने दिखाया, वैसा समन्वय और संवेदनशीलता प्रवासी मजदूरों के संबंध में नजर नहीं आती. अगर मजदूर स्थानीय प्रशासन के गृह जिले के न हुए, तो उन्हें अगले बॉर्डर तक छोड़ दिया जाता है. जहां से उनके लिए फिर से अगले बॉर्डर तक जाने के लिए किसी न किसी वाहन का इंतजाम किए जाने की बात कही जाती है.

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बॉर्डर तक पहुंचाने का किया इंतजाम
मामले में दीपका थाने के टीआई अविनाश सिंह का कहना है कि बुधवार की रात 135 मजदूर ट्रकों में लोड होकर दीपका पहुंचे थे. यह सभी कोरबा जिले के नहीं हैं, इसलिए इन्हें यहां क्वॉरेंटाइन में नहीं रखा गया है. इन्हें कहीं भी रिहायशी इलाकों में प्रवेश नहीं करने दिया गया है. इनके लिए भोजन का इंतजाम कर इन सभी को जिले की सीमा के बाहर पहुंचाया जाएगा, क्योंकि अगली सीमा सरगुजा जिले की है. वहां के अधिकारियों से बात हुई है. अब सरगुजा प्रशासन इन्हें अगले बॉर्डर तक पहुंचाएगा.

इस संबंध में जानकारी ली जाएगी
जिले के कोविड-19 नियंत्रण के लिए नोडल अधिकारी एडीएम संजय अग्रवाल को सूचना दी गई. तब उन्होंने बताया कि आपके माध्यम से ही इसकी जानकारी मुझे मिली है. इस संबंध में विस्तृत जानकारी ली जाएगी. इसके बाद ही कुछ कहा जा सकता है.

Last Updated : May 7, 2020, 6:17 PM IST

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