कोरबा:कोरोना वायरस की वहज से घोषित लॉकडाउन का असर सबसे ज्यादा प्रवासी मजदूरों पर पड़ा है. देश में जब से लॉकडाउन हुआ है, तब से मजदूरों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. सरकार भी मजदूरों को लेकर गंभीर नजर नहीं आ रही है. दूसरे राज्यों में मजदूरी करने गए लेबर सैकड़ों किलोमीटर का सफर पैदल करने को मजबूर हैं. अगर वो गलती से ट्रकों के माध्यम से किसी दूसरे जिले तक पहुंचते हैं, तो उनके साथ रिफ्यूजियों जैसा व्यवहार किया जा रहा है. ऐसे में सरकार और स्थानीय प्रशासन की मंशा पर सवाल उठना लाजमी है.
मामला कोरबा जिले के दीपका क्षेत्र का है. यहां हर दिन सैकड़ों ट्रकों का अन्य प्रदेशों से आना जाना होता है. बुधवार की रात तीन से चार ट्रकों में लोड होकर 135 प्रवासी मजदूर पहुंचे. जानकारी के अनुसार ये सभी मजदूर सूरत, हैदराबाद और तेलंगाना जैसे शहरों से पैदल ही निकले थे. बीच में किसी तरह ट्रक में लिफ्ट लेकर भटकते हुए वह दीपका पहुंच गए हैं.
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झारखंड और इलाहाबाद हैं मजदूर
इनमें से ज्यादातर मजदूर झारखंड और इलाहाबाद जाना चाहते हैं, लेकिन सार्वजनिक परिवहन के सभी साधनों के बंद होने के कारण इन्हें रास्ते का भी ज्ञान नहीं है. इसलिए वह किसी तरह भटक कर दीपका पहुंचे और जब वह ट्रक से नीचे उतर रहे थे, तभी दीपका पुलिस की नजर इन पर पड़ी. इसके बाद इन्हें वापस ट्रकों में बैठाकर जिले की सीमा के बाहर अगले बॉर्डर तक पहुंचाने का इंतजाम कर दिया गया. अब कोरबा जिले की सीमा के उस पार पहुंचने के बाद इन मजदूरों का क्या होगा..? इन्हें अपने घर तक पहुंचने के लिए कोई साधन उपलब्ध हो पाएगा..? इसका जवाब किसी के पास नहीं है.