कोरबा: पेट्रोल की बढ़ती कीमतों ने आम आदमी की कमर तोड़ दी है. पेट्रोल और डीजल की कीमतों में अब कोई खास अंतर नहीं रह गया. दोनों की ही कीमतें लगभग 85 रुपये प्रति लीटर के आसपास पहुंच चुकी हैं. ऐसे में पेट्रोल पंप में धोखाधड़ी के साथ ही कम पेट्रोल नापने से संबंधित शिकायतें बनी रहती हैं. विभाग इन पर ठोस कार्रवाई नहीं कर पाता. दूसरी तरफ आम लोग भी इस दिशा में शिकायत करना जरूरी नहीं समझते. पेट्रोल नापने की प्रक्रिया में पारदर्शिता भी नहीं होती. कई बार पेट्रोल पंप में कम पेट्रोल या डीजल नापने के कोई ठोस प्रमाण भी नहीं मिल पाते. ऐसे में जरूरत यह भी है कि आम लोग अपने अधिकारों को समझें.
पेट्रोल के फ्रॉड से बचाएगा 5 लीटर का जार मांग सकते हैं 5 लीटर का जार
पेट्रोल पंप में 5 लीटर का जार सरकार ने यह नियम बनाया है कि सभी पेट्रोल पंप संचालक पेट्रोल पंप में 5 लीटर का जार रखेंगे.यदि कोई भी उपभोक्ता यह मांग करता है कि वह पेट्रोल पंप में पेट्रोल देने वाले नोजल से 5 लीटर की मात्रा को नाप कर जांचना चाहता है, तो वह पेट्रोल पंप में तैनात कर्मचारी से 5 लीटर का जार मांग कर नोजल से इसे भरने की मांग कर सकता है.उपभोक्ताओं को यह अधिकार है कि वह 5 लीटर के जार में नोजल के जरिए पेट्रोल भरवाकर यह संतुष्टि कर सकें कि उन्हें ठीक मात्रा में पेट्रोल या डीजल नापकर दिया जा रहा है. यदि पेट्रोल पंप के कर्मचारी या संचालक इससे इंकार करते हैं, तो समझ लीजिए कि वह पेट्रोल और डीजल देने में घटतौली कर रहे हैं. जिसकी शिकायत नापतौल विभाग से की जा सकती है. पढ़ें: 9 फरवरी : छत्तीसगढ़ में बढ़े पेट्रोल और डीजल के दाम
पेट्रोल पंप पर मिलनी चाहिए इस तरह की सुविधाएं
पेट्रोल पंप में सही मात्रा में पेट्रोल, डीजल देने के साथ ही वाहन के पहियों में निशुल्क हवा, पीने का शुद्ध पानी, फोन करने का इंतजाम, चोट लग जाने पर फर्स्ट एड बॉक्स, शौचालय और शिकायत रजिस्टर होनी चाहिए. नापतौल विभाग की तरफ से दिया गया सर्टिफिकेट भी पेट्रोल पंप संचालकों को स्पष्ट तौर पर डिस्प्ले करना अनिवार्य है. ऐसा नहीं करने पर किसी भी पेट्रोल पंप संचालक पर कार्रवाई हो सकती है. कई मामले आ चुके हैं सामने
हाल ही में शहर के एक पेट्रोल पंप में कम पेट्रोल नापने के साथ ही नोजल से हवा आने का वीडियो वायरल हुआ था. कुछ दिन पहले बालको क्षेत्र के पेट्रोल पंप में भी नोजल से हवा निकलने और मीटर घूमने की चर्चाएं सोशल मीडिया में जमकर वायरल हुई थी. हैरानी वाली बात ये भी है कि बीते 1- 2 सालों में कम पेट्रोल नापने या अन्य किसी भी तरह की शिकायत नापतौल विभाग को नहीं मिली. जिसके कारण विभागीय अधिकारी भी पेट्रोल पंप संचालकों के खिलाफ ठोस कार्रवाई नहीं करते.औपचारिकता के तौर पर जांच जरूर होती हैं, लेकिन कोई बड़ी कार्रवाई किसी भी पेट्रोल पंप संचालक के खिलाफ नहीं हो सकी है.