कोरबा:चैत्र नवरात्र 2 अप्रैल से शुरू होने वाला है. इससे पहले कोरबा में मां सर्वमंगला का दरबार सज चुका है. यहां हर साल की तरह इस साल भी धूमधाम से तैयारियां की जा रही हैं. तैयारियां अंतिम चरण में हैं. मां सर्वमंगला का मंदिर उर्जाधानी के लोगों के आस्था का केंद्र है. यहां छत्तीसगढ़ ही नहीं पूरे देश से श्रद्धालु पहुंचते हैं. इतना ही नहीं विदेशी भी यहां मां के सामने अर्जी लगाने पहुंचते हैं.
विदेशों से भी आती है अर्जी : कोरबा के मां सर्वमंगला मंदिर में विदेशों से भी मनोकामना ज्योति कलश प्रज्ज्वलित (Navratri Manokamna Jyoti Kalash in Korba) करने के लिए अर्जी आती है. हालांकि इस वर्ष ज्योति कलश की संख्या में गिरावट आई है. महंगाई की मार मनोकामना के लिए जलाए जाने वाले दीपों पर भी पड़ी है. वहीं इस बार कोरोनाकाल के 2 वर्ष के बाद नवरात्रि में रौनक रहने की उम्मीद है. इससे मंदिर प्रबंधन के साथ ही श्रद्धालु भी उत्साहित हैं.
मां सर्वमंगला के प्रति भक्तों की गहरी आस्था : मां सर्वमंगला का मंदिर कोरबा के साथ ही प्रदेश भर में प्रख्यात है. इस मंदिर की प्रमुख देवी दुर्गा हैं. मंदिर की स्थापना कोरेश के जमींदार में से एक राजेश्वर दयाल के पूर्वजों ने 1898 में की थी. कहा जाता है कि इस मंदिर का इतिहास 122 वर्ष पुराना है. मंदिर त्रिलोकीनाथ मंदिर, काली मंदिर और ज्योति कलश भवन से घिरा हुआ है. मंदिर में एक गुफा है, जो हसदेव नदी के नीचे से गुजरती हुए नदी के दूसरी तरफ निकलती है. इस गुफा का इस्तेमाल रानी धनराज कुंवर नदी के उस पार जाने के लिए करती थीं. मंदिर में एक मनोकामना वट वृक्ष भी है. ऐसी मान्यता है कि वहां धागा बांधने से भक्तों की मनोकामना पूर्ण होती है.