कोरबा: ऊर्जाधानी में बिजली विभाग के लाइन लॉस का आंकड़ा 35 से 40 फीसदी तक जा पहुंचा है. इसके कारण बिजली विभाग को हर महीने 6 करोड़ से भी अधिक का नुकसान हो रहा है. इसकी भरपाई के लिए विभाग ने अब डोर टू डोर सर्वे करना शुरू कर दिया है. शहरी क्षेत्र के साथ-साथ ग्रामीण क्षेत्रों में भी डोर टू डोर सर्वे कर विभाग लाइन लॉस के आंकड़ों को कम करने पर जोर लगा रहा है.
लाइन लॉस से हर महीने हो करोड़ों का नुकसान सरकार और उद्योगपतियों से बिजली बिल वसूल करने में नाकाम बिजली विभाग
शहर में 359 लाख यूनिट की सप्लाई
बिजली विभाग की ओर से शहर के 3 जोन में 359 लाख यूनिट बिजली दी जा रही है. इसके एवज में महज 225 लाख यूनिट का बिल विभाग को भुगतान किया जा रहा है. आंकड़ों की बात की जाए तो 134 लाख यूनिट बिल का भुगतान अब भी विभाग को नहीं मिला है. पिछले कुछ महीनों तक लाइन लॉस का यह आंकड़ा 35 से 40 फीसदी तक पहुंच गया था. लेकिन अब भी विभाग द्वारा लगातार डोर टू डोर सर्वे और अन्य उपाय अपनाए जाने के कारण पिछले महीने का आंकड़ा 25 से 30 फीसदी के बीच रिकॉर्ड हुआ है. विभाग ने लाइन लॉस को 15 फीसदी कम करने का लक्ष्य निर्धारित किया है. हालांकि, इसे हासिल करना विभाग के लिए किसी चुनौती से कम नहीं है.
जानिए क्या है लाइन लॉस?
विद्युत विभाग की ओर से अपने सब स्टेशन से सप्लाई की गई बिजली और उपभोक्ताओं की ओर से खपत की बिजली के अंतर को लाइन लॉस कहा जाता है. इसमें दो तरह के लॉस होते हैं, पहला तकनीकी कारणों से जबकि दूसरा बिजली की सही बिलिंग नहीं होने से दर्ज की जाती है. बिजली जितनी दूरी तक का सफर तारों के माध्यम से तय करती है. इसकी तीव्रता उतनी ही कम होती चली जाती है. इसे तकनीकी लॉस कहा जाता है. अमूमन 10 से 15 फीसदी बिजली तकनीकी लॉस के कारण लाइन लॉस के आंकड़ों में इजाफा कर देती है. वर्तमान में विभाग खपत का अनुमान लगाने के लिए ट्रांसफार्मर को भी मीटर से कनेक्ट किया जा रहा है.
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मीटर की जांच पर विभाग का फोकस
लाइन लॉस के आंकड़ों को कम करने के लिए सबसे जरूरी है मीटरों को दुरुस्त करना. विभाग वर्तमान में इसके लिए पूरा जोर लगा रहा है. वितरण विभाग द्वारा बिल से जुड़ी समस्याओं को हल करने मीटर की जांच कर उसका बीपी नंबर, वर्तमान मीटर रीडिंग और मोबाइल नंबर रजिस्टर में दर्ज करने का काम कर रहा है. किसी तरह की शिकायत होने पर उसका सामाधान इसके आधार पर ही किया जा सकेगा. दूसरी तरफ सभी उपभोक्ताओं को 'मोर बिजली एप' की भी सुविधाओं की जानकारी दी जा रही है, ताकि लोगों को दफ्तर के चक्कर न काटना पड़े.
बिजली बिल का बकाया पहुंचा 100 करोड़ के पार
बिजली विभाग हर महीने लगभग 18 करोड़ रुपए की बिलिंग करता है. जबकि उपभोक्ताओं तक बिजली आपूर्ति इससे अधिक की होती है. अब तक की स्थिति में 35 से 40 फीसदी तक लाइन लॉस की वजह से तकरीबन 6 करोड़ से अधिक का बिल विभाग के पास जमा नहीं हो पाता. वहीं उपभोक्ताओं को जारी बिल को भी पूरी तरह से वसूल नहीं किया जाता. इसके भी कई कारण हैं. वर्तमान में बिजली विभाग का बकाया बिल 100 करोड़ से अधिक है. इसलिए अब बिजली बिल वसूली अभियान तेज करने की योजना विभाग बना रहा है.