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SPECIAL: छत्तीसगढ़ का पहला एलिफेंट रिजर्व बनने जा रहा है लेमरू, बड़ा सवाल क्या इससे हाथी-मानव के बीच संघर्ष होगा कम?

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Published : Nov 15, 2020, 3:57 PM IST

Updated : Nov 15, 2020, 7:26 PM IST

लेमरू प्रोजेक्ट में एक कॉरिडोर होगा, जिसमे हाथी रहेंगे. वन विभाग इनकी निगरानी के लिए अलग से अधिकारी और कर्मचारियों की नियुक्ति करेगा, जो हाथी की प्रत्येक गतिविधि पर नजर रखेंगे. वन विभाग के इस काॅारिडोर में लेमरू जंगल का सबसे अधिक क्षेत्र आएगा, जो जनसंख्या बाहुल्य नहीं है.

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लेमरू हाथी रिजर्व

कोरबा: प्रदेश में हाथी रिजर्व की परिकल्पना अब साकार होने जा रही है. लेमरू हाथी रिजर्व प्रदेश का पहला हाथी रिजर्व होगा. जिसके अस्तित्व में आते ही सबसे बड़ी उम्मीद यही है कि हाथी और मानव के बीच छत्तीसगढ़ में जो बीते दो दशकों से संघर्ष चला रहा है. उस पर पूरी तरह से लगाम लग सकेगी, लेकिन क्या यह उम्मीद पूरी हो सकेगी?

लेमरू एलिफेंट रिजर्व से कम होगा हाथी-मानव संघर्ष !

हाथी रिजर्व की स्थापना वन विभाग के लिए एक बड़ी चुनौती है. कागजों में जिन प्रावधानों का उल्लेख किया जा रहा है क्या धरातल पर वह योजनाएं हुबहू उतारी जा सकेंगी?.
हाथी रिजर्व के मूर्त रूप लेने के बाद उन लोगों की परेशानियों पर लगाम लगेगी या नहीं, यह अब भी एक बड़ा सवाल है जो हर आम और खास के मन में है.

लेमरू एलिफेंट रिजर्व


हाथी रिजर्व में 5 वन क्षेत्र होंगे शामिल

हाथी रिजर्व के लिए कोरबा, कटघोरा, धरमजयगढ़, सरगुजा और सूरजपुर के वनमंडलों के वनक्षेत्रों को शामिल किया जाएगा. वन मंत्री ने पहले ही यह स्पष्ट कर दिया है कि हाथी रिजर्व की परिकल्पना साकार जरूर होगी, लेकिन इसके लिए किसी भी ग्रामीण का विस्थापन नहीं होगा. हाथियों का एक बड़ा रहवास विकसित होगा. उनका दायरा सीमित किया जाएगा, जिससे वह मानव के रहवासी क्षेत्र तक ना पहुंचे. कई तरह के इंतजाम किए जाने प्रस्तावित है. जिसकी तैयारी में वन विभाग के अधिकारी लगे हुए हैं.

लेमरू हाथी रिजर्व

कोरबा जिला भी हाथी से प्रभावित

वर्तमान में हाथी रिजर्व के क्षेत्र के निर्धारण को लेकर भी तैयारियां चल रही हैं. कोरबा जिले के कटघोरा वनमंडल का पसान क्षेत्र भी हाथी प्रभावित रहा है. इस क्षेत्र को भी रिज़र्व में शामिल करने की योजना है. जबकि पूर्व में हाथी रिजर्व की योजना से बाहर किए गए सूरजपुर वनमंडल के भी कुछ क्षेत्रों को अब हाथी रिजर्व में शामिल कर लेने की बात चल रही है.लेमरू हाथी रिजर्व के वास्तविक कार्यक्षेत्र के निर्धारण के बाद अंतिम तैयारियां किया जाना अभी शेष है. हाल ही में कैंपा के सीईओ भी जिले के प्रवास पर थे, जिन्होंने 94 करोड़ रुपए की भारी-भरकम राशि केवल कैंपा मद से हाथी रिजर्व पर खर्च किए जाने की जानकारी दी. इसके लिए भी एक विस्तृत कार्य योजना तैयार की जा रही है.

लेमरू एलिफेंट रिजर्व

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180 गांव और 1995 वर्ग किलोमीटर है दायरा

लेमरू हाथी रिजर्व में प्रदेश के 5 वन मंडल के वन क्षेत्र दायरे में आएंगे. जिनके 11 रेंज में कार्य किया जाना प्रस्तावित है. कुल 180 गांव और 1995 वर्ग किलोमीटर के करीब कार्यक्षेत्र का निर्धारण किया गया है. राज्य शासन ने एलिफेंट रिजर्व में मांड नदी और बांगो बांध के कैचमेंट एरिया को भी शामिल करने का निर्णय लिया गया है. इससे अब यह दायरा बढ़कर 3500 वर्ग किलोमीटर का हो जाएगा.

हाथियों के लिए रहवास का इंतजाम सर्वोपरि

हाथी रिजर्व की सबसे प्रमुख बात है कि जंगल के भीतर हाथियों को पर्याप्त रहवास उपलब्ध कराया जाए. इसके लिए हाथियों के रूट को चिन्हित कर वहां पानी और चारे की पर्याप्त व्यवस्था की जाएगी. जो नाले गर्मी में सूख जाते हैं. वहां पर्याप्त पानी सदैव उपलब्ध हो, इसके लिए स्टॉपडैम और एनीकट तैयार किए जाएंगे. साथ ही चारे के लिए पौधे और घास लगाने की तैयारी की जा रही है. इस संबंध में होने वाले विकास कार्यों को लेकर कई बैठकें ली गई है. कैंपा के सीईओ डॉ श्रीनिवास राव ने वनमंडलों को लेकर एक और विस्तृत कार्ययोजना तैयार करने की बात कही है. वन अमला किसी भी कीमत पर हाथियों को वन के अंदर तभी रोक सकता है. जब उनके लिए पर्याप्त चारे-पानी की व्यवस्था वनों में ही उपलब्ध हो.

नदी-नालों का कराया जाएगा जीर्णोद्धार

कैंपा मद से मिली राशि से 45% राशि नदी, नालों पर खर्च किए जाएंगे. हाथियों को सबसे अधिक जरूरत पानी की होती है. गर्मी के मौसम में पानी की तलाश में ही हाथी गांव तक पहुंच जाते हैं और नदी के किनारे विचरण करने लगते हैं. इसलिए वन मंडल में नदी-नालों का जीर्णोद्धार करना होगा. कुल लागत की 45% राशि इन्हीं सब कार्यों में खर्च की जाएगी.

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लगाए जाएंगे हाथियों के पसंदीदा पौधे

हाथियों को चारा उपलब्ध कराने के लिए उनके पसंदीदा पौधों का चयन किया जा रहा है. जिससे कि वह उसकी गंध पाकर और स्वादिष्ट पौधों के जंगल में ही मिलने से प्रभावित होकर गांव तक ना आए. इसके लिए पीपल, वट और कटहल के पौधे अधिक से अधिक मात्रा में जंगलों में रोपे जायेंगे. जिन जंगल के क्षेत्रों में बड़ा मैदान हैं. वहां घांस लगाए जाएंगे, जिससे धान की महक से हाथी अधिक आकर्षित ना हों.

24 घंटे कर्मचारी रहेंगे तैनात, पुनर्वास की जरूरत नहीं

एलीफेंट रिजर्व में आने वाले गांवों को पुनर्वास की जरूरत नहीं होगी. वन अफ़सर कहते हैं कि प्रभावित गांवों की सुरक्षा के लिए 24 घंटे कर्मचारी तैनात रहेंगे. इसके लिए ट्रेनिंग सेंटर भी बनाया जाएगा. हाथियों के इलाज के लिए एंबुलेंस की सुविधा रहेगी. गांव की सुरक्षा के लिए सोलर फेंसिंग का भी प्रावधान किया गया है. प्रारंभिक चरण में
शिविर, आवास टावर, आवास की सुविधा, सोलर फेंसिंग, सोलर हाई मास्ट लाइट, पीपुल्स रेस्क्यू कैंप, पेट्रोलिंग पार्टी, एलिफेंट पेट्रोल कैंप का निर्माण के साथ ही चारागाह का विस्तार, पौधारोपण, खरपतवार उन्मूलन, जल प्रबंधन, एनीकट निर्माण, टैंक निर्माण, तटबंध निर्माण कराए जाएंगे. इन सभी कार्यों को अन्य की तुलना में तरजीह दी जा रही है.

क्या है लेमरू प्रोजेक्ट

लेमरू प्रोजेक्ट में एक कॉरिडोर होगा, जिसमे हाथी रहेंगे. वन विभाग इनकी निगरानी के लिए अलग से अधिकारी और कर्मचारियों की नियुक्ति करेगा, जो हाथी की प्रत्येक गतिविधि पर नजर रखेंगे. वन विभाग के इस काॅारिडोर में लेमरू जंगल का सबसे अधिक क्षेत्र आएगा, जो जनसंख्या बाहुल्य नहीं है.

कोरबा में हाथी से प्रभावितों की संख्या

  • कोरबा जिले में पहली बार हाथी सितंबर 2000 में आए थे.
  • पिछले 20 सालों में हाथी के हमले में 71 लोगों की मौतें हुई.
  • हाथी के हमलों में 30 से ज्यादा लोग घायल हुए.
  • हाथियों ने 200 मकानों को क्षतिग्रस्त किया.
  • दो दशकों में 5 हजार किसानों की फसल रौंदी
Last Updated : Nov 15, 2020, 7:26 PM IST

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