कोरबा: हाथियों को कंट्रोल में करने को लेकर योजनाएं बन रही है. कई तरह के दावे भी किए जा रहे हैं. लेकिन जमीनी स्तर पर अब तक कोई ठोस काम नजर नहीं आ रहा है. फिर भी कवायद की जा रही है कि ऐलीफेंट रिजर्व बनाने के साथ हाथियों को एक दायरे में सीमित किया जाए. चार जिले के अंतर्गत आने वाले पांच वन मंडल में ऐलीफेंट रिजर्व विकसित किया जाना है.
कहा जा रहा है कि इस कदम से जनधन की हानि रोकी जा सकेगी. लेमरू हाथी अभयारण्य इसी का एक हिस्सा है. पुनरीक्षित योजना के मुताबिक अब यह अभयारण्य तीन लाख हेक्टेयर के क्षेत्रफल में बनेगा. इससे पहले हाथियों पर नियंत्रण करने के लिए वन विभाग औपचारिक रूप से काम करेगा. एक दशक से भी ज्यादा समय से कोरबा वन मंडल सहित जिले के बड़े हिस्से में हाथियों के पहुंचने के साथ जनधन का नुकसान करने की घटनाएं होती रही है. ऐसी घटनाओं में ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों की मौत तो हो रही है. उनकी फसलों के साथ-साथ मकानों को भी काफी नुकसान हो रहा है.
बढ़ाई गई अभ्यारण्य की सीमा
ग्रामीणों को हो रहे नुकसान की वजह से ही सरकार ने हाथियों की रोकथाम के लिए लेमरू हाथी अभयारण्य बनाने का फैसला लिया था. इसका दायरा कोरबा, रायगढ़, कोरिया और सरगुजा तक होगा. पहले तय किए दायरे को एक लाख हेक्टेयर में तय किया गया था. अब इसका दायरा तीन लाख हेक्टेयर कर दिया गया है. हाथी अभयारण्य चाहे जब बने उनसे जुड़ी समस्या के आंशिक समाधान के लिए वन विभाग काम कर रहा है. वन विभाग को पांच वाहन सरकार ने दिए हैं. जिससे कि निगरानी संबंधित कामकाज किया जा सके.