कोरबाः एसईसीएल गेवरा दीपका खदान में ऊर्जा भू-विस्थापित किसान कल्याण समिति ने SECL प्रबंधन और जिला प्रशासन के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. समिति के लोग अपनी मांगों को लेकर जमकर विरोध-प्रदर्शन कर रहे हैं. एक तरफ कलेक्टर रानू साहू ने अपना पदभार ग्रहण किया, तो वहीं दूसरी ओर ऊर्जाधानी भू-विस्थापित किसान कल्याण समिति ने आंदोलन शुरू कर दिया है.
बड़ी संख्या में समिति के लोगों ने दीपका खदान पहुंचकर उत्पादन कार्य को बाधित कर दिया. सभी अपने बच्चों के साथ खदान पहुंचे थे, जिन्हें रोकने के लिए पुलिस-प्रशासन और CISF के जवान लगे हुए थे. भू-विस्थापित समिति के सदस्यों ने खदान के ओबी (ओवरबर्डन या मिट्टी कटिंग) उत्पादन क्षेत्र एवं कोयला उत्पादन क्षेत्र में पहुंचकर कार्य को रुकवा दिया. जिसे देखते हुए एसईसीएल के आला अधिकारी खदान पहुंचे. उन्हें भी भू-विस्थापितों के गुस्से का सामना करना पड़ा.
SECL के खिलाफ भू-विस्थापित किसानों का विरोध
उर्जाधानी भू-विस्थापित किसान कल्याण संघ का कहना है कि SECL उनकी जायज मांगों को पूरा नहीं करता है, इसलिए उन्हें हमारे इस विरोध का सामना करना पड़ेगा और हम अपनी जायज मांग लेकर रहेंगे. उनका कहना है कि एसईसीएल उनकी मांगों की हमेशा अनदेखी करता है, इसी का वो विरोध कर रहे हैं.
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संगठन की मांगें-
- 1. परियोजना एवं एरिया स्तर पर पुनर्वास समिति का गठन किया जाए.
2. सभी खातेदार के लिए रोजगार, चार गुना मुआवजा और बेहतर पुनर्वास की व्यवस्था किया जाए.
3. प्रभावित परिवारों के बेरोजगारों द्वारा बनाई गई सरकारी समितियों, फार्म, कंपनी को ठेका कार्य में 20% आरक्षण दिया जाना चाहिए. स्थानीय बेरोजगारों को प्राथमिकता दी जाए.
4. लंबित रोजगार मुआवजा बसाहट के प्रकरणों का तत्काल निराकरण किया जाए.
5. गांव के आंशिक जमीन अधिग्रहण पर रोक लगाई जाए.
6. भू-विस्थापित किसान परिवार के बच्चों को निःशुल्क प्राथमिक उच्च शिक्षा दी जाए.
7. जिला खनिज न्यास निधि का उपयोग प्रभावित ग्रामों की शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार पर खर्च की जाए.
8. पूर्व में अधिग्रहित जमीन वास्तविक खातेदारों को वापस हो. नए अधिग्रहण कानून का पालन किया जाए.
9. एशिया में सबसे ज्यादा कोयला उत्पादन करने वाले कोरबा जिले में माइनिंग कॉलेज खोला जाए.
10. कोयला उत्पादन के नाम पर हैवी ब्लास्टिंग कर आमजनों के जानमाल को नुकसान पहुंचाना बंद किया जाए.