कोरबा:बालको के मजदूर वामपंथी नेताओं ने केंद्र सरकार के किसान बिल का विरोध करते हुए महात्मा गांधी का जन्म दिवस मनाया. मजदूर नेताओं ने कहा कि अगर गांधी जी आज के परिवेश में जीवित होते तो वह कड़े शब्दों में इस किसान बिल का विरोध करते. आजादी से पहले भी उन्होंने किसानों की बेहतरी के लिए कई तरह के काम किए थे. मजदूर नेताओं ने गांधी जी को याद करते हुए कहा कि अंग्रेजों के दमन, शोषण और बर्बरता से जो चंपारण पश्चिमी और उत्तरी बिहार, नेपाल के सीमा से लगा था, वहां के किसानों को मुक्ति दिलाने के लिए बापू 10 अप्रैल 1917 को पटना, हाजीपुर होते हुए चंपारण की ओर निकल पड़े थे.
अंग्रेजी हुकूमत ने उन्हें चंपारण जाने और किसानों से मिलने से रोकने के लिए निषेधाज्ञा यानी धारा 144 लागू कर बापू को रोकने की पूरी कोशिश की, लेकिन सभी रुकावटों को पार करते हुए बापू अखिल चंपारण के किसानों के बीच पहुंचे और वहां से किसान सत्याग्रह शुरु किया. उसी समय मुजफ्फरपुर में ही देश के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद बापू से मुलाकात कर उस सत्याग्रह के हिस्सा बने. मजदूर नेताओं ने कहा कि आज जब सब गांधी जयंती मना रहे हैं. तब देश के सत्ता पर बैठे हुए लोगों के द्वारा किसानों पर बर्बर हमले किए जा रहे हैं. अगर बापू आज हमारे बीच होते तो देशभर के लाखों किसानों के साथ सड़कों पर होते, महलों मे नहीं.
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मजदूर नेताओं ने आगे कहा कि बापू के जन्मदिन को यादगार बनाने के लिए वे जगदलपुर में एनएमडीसी द्वारा निर्माणाधीन 3 मिलियन टन क्षमता वाली नगरनार स्टील प्लांट को भारत सरकार के द्वारा निजीकरण किए जाने के सभी प्रयासों के खिलाफ एकजुटता भाईचारा का अभियान चलाएंगें.