कोरबा:छत्तीसगढ़ में नई सरकार के गठन के बाद धान खरीदी की प्रक्रिया में तेजी आ चुकी है. आलम यह है कि जिस अनुपात में उपार्जन केंद्रों में धान लेकर किसान पहुंच रहे हैं. उसकी तुलना में इसका उठाव नहीं हो पा रहा है. राइस मिलरों को डीओ जारी किया जा चुका है, लेकिन वह समय पर केंद्र पहुंचकर धान का उठाव नहीं कर पा रहे हैं, जिसके कारण ज्यादातर केंद्रों में बफर लिमिट क्रॉस हो चुकी है. जहां धान के संधारण के लिए जगह ही नहीं बची है. आने वाले कुछ दिनों के भीतर यदि धान का उठाव नहीं हुआ तो धान खरीदी की प्रक्रिया बंद करनी पड़ सकती है.
हर धान खरीदी केन्द्रों में वहीं स्थिति:फिलहाल जिले में प्रतिदिन औसतन 50 हजार क्विंटल से अधिक की धान खरीदी हो रही है. शुरुआत में धान खरीदी की धीमी रफ्तार के कारण, केंद्रों की बफर लिमिट को भी बढ़ाया गया है. अब अचानक लिमिट बढ़ाए जाने से समितियां व्यवस्था नही बना पा रही है. राइस मिलरों की ओर से डीओ काटे जाने के बाद भी धान का उठाव नहीं करने की वजह से समितियों में जाम के हालात पैदा हो चुके हैं.
क्षमता से अधिक धान का स्टॉक:उपार्जन केंद्र कोथारी, केरवाद्वारी में धान खरीदी बंद होने की नौबत आ गई है. दोनों उपार्जन केंद्रों में पांव रखने की जगह नहीं है. कोथारी की लिमिट 1300 क्विंटल से बढक़र 2300 क्विंटल कर दिया गया है. वहीं, केरवाद्वारी की लिमिट 1600 से बढ़ाकर 2600 क्विंटल प्रतिदिवस तय कर दी गई है. लेकिन दोनों ही उपार्जन केंद्रों में बफर लिमिट से भी अधिक धान जाम हैं.पोंडी उपरोडा ब्लॉक में भी 12 केंद्रों में बफर स्टाक पार कर गया है. वहां धान रखने के लिए जगह नहीं है. इन केंद्रों में पांच से दस हजार क्विंटल धान रखने की ही क्षमता है. ऐसे में इन केंद्रों में धान खरीदी करने में समस्या आ रही है. पोंडी उपरोडा, मोरगा, कोरबी, सिरमिना व अन्य धान खरीदी केंद्र में समस्या सबसे अधिक है.