कोरबा:साल के पहले दिन SECL कुसमुंडा कोयला खदान से प्रभावित भू-विस्थापितों का आंदोलन और भी उग्र (Korba land displaced protest ) हो गया. खदान प्रभावित लगभग 12 गांव के भू-विस्थापित रोजगार, पुनर्वास और मुआवजे की दशकों पुरानी अपनी मांगों को लेकर अर्धनग्न अवस्था में कुसमुंडा स्थित जीएम कार्यालय पहुंचे (Korba land displaced demonstrated at GM office ) और जमकर नारेबाजी शुरू कर दी. साल के पहले दिन की शुरुआत आंदोलन से होने पर अधिकारी भी सकते में हैं. भू-विस्थापित इस बार आरपार के मूड में हैं. लगभग 2 महीने से आंदोलकारी धरना दे रहे हैं.
61 दिन से जारी आंदोलन
नियमित रोजगार देने की मांग पर 61 दिनों से भू विस्थापित रोजगार एकता संघ के बेनर तले धरना दिया जा रहा है. इस बीच दो बार खदान बंदी भी की गई और आंदोलनकारी गिरफ्तार भी किये गए हैं. एसईसीएल प्रबंधन ने एक माह में उन्हें रोजगार देने का लिखित वादा किया था, लेकिन इसमें असफल रहा. रोजगार के बदले भूविस्थापितों को ठेकेदारी देने के प्रबंधन के प्रस्ताव को उन्होंने पूरी तरह ठुकरा दिया है. भू विस्थापित रोजगार एकता संघ सदस्यों का कहना है कि 'इस क्षेत्र में वर्ष 1978-2004 के मध्य भूमि का अधिग्रहण किया गया है. इसलिए तब की पुनर्वास नीति के तहत रोजगार देने की उनकी मांग जायज है, जबकि प्रबंधन वर्ष 2012 की पुनर्वास नीति के तहत उन्हें रोजगार देने की पेशकश कर रहा है.इस नीति के तहत भू-विस्थापितों को रोजगार नहीं मिलेगा'.
जिनकी जमीन से रोशन कोयला पावर प्लांट, भूमिपुत्रों का जीवन अंधकारमय? नौकरी के इंतजार में जवानी कटी