छत्तीसगढ़

chhattisgarh

ETV Bharat / state

Constitution Day 2021: देश की आत्मा है संविधान, 104 संशोधन के बाद भी आज भी प्रासंगिक - Constitution Day 2021

हिंदूस्तानी संविधान में 100 से अधिक संशोधन होने के बाद भी संविधान आज भी उतना ही प्रासंगिक है जितना कि आजादी के वक्त था. फिर चाहे वह न्यायपालिका हो विधायिका या कार्यपालिका संविधान देश के तीनों स्तंभों को अपने में समेटे हुए है.

Constitution Day 2021
संविधान दिवस

By

Published : Nov 26, 2021, 8:01 AM IST

Updated : Nov 26, 2021, 2:34 PM IST

कोरबा: 26 नवंबर के दिन ही देश को अपना संविधान मिला था. 26 नवंबर 1949 को देश के संविधान सभा ने वर्तमान संविधान को विधिवत रूप से अपनाया था. हालांकि इसे लागू 26 जनवरी 1950 को किया गया था. तभी से हर साल 26 नवंबर को संविधान दिवस के रूप में मनाया जाता है. यह भारत के लिए बेहद खास है. जानकारों की माने हैं तो 100 से अधिक संशोधन होने के बाद भी संविधान आज भी उतना ही प्रासंगिक है जितना कि आजादी के वक्त था. फिर चाहे वह न्यायपालिका हो विधायिका या कार्यपालिका संविधान देश के तीनों स्तंभों को अपने में समेटे हुए है. जिला स्तर से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक संविधान का बेहद महत्व है. संविधान को देश की आत्मा की संज्ञा दी जाती है.

क्या कहते हैं जानकर

104 संशोधन के बाद भी आज भी प्रासंगिक- जानकार

देश को दिशा देने वाला है हमारा संगठन

सीनियर एडवोकेट रामायण लाल जांगड़े जोकि बामसेफ इंसाफ की तरफ से बौद्धिक पब्लिकेशन ट्रस्ट के चेयरमैन भी हैं. बताते हैं कि भारतीय संविधान देश को दिशा देने वाला है. इसे 1946 में स्थापित किया गया था. विधान परिषद के तहत और बाबा साहेब आंबेडकर को संविधान निर्माण की जिम्मेदारी दी गई थी. हमारा संविधान सभी को समानता का अधिकार देता है. हमारे संविधान में संसदीय प्रणाली हैं. अध्यक्षीय प्रणाली नहीं है. इसलिए इससे एक मजबूत लोकतंत्र का निर्माण होता है.

अमेरिका में राष्ट्रपति शासन होता है. क्योंकि वहां अध्यक्षीय प्रणाली है, लेकिन हमारे संविधान में ऐसा नहीं है. हमारा संविधान संसद से चलता है. लोकतंत्र से चलता है. इसलिए हमारा संविधान बेहद खास है. यह आम जनता का शासन है. एक तरह से हमारा संविधान पूरे विश्व के लिए मार्गदर्शक की तरह है. विश्व में बहुत से देश ऐसे हैं, जहां अध्यक्षीय प्रणाली के तहत शासन होता है. वहां लगातार आंदोलन चल रहे हैं. जो इस बात के लिए है कि शासन जनता का होना चाहिए. हमारे संविधान ने पहले ही यह व्यवस्था दी गई थी.

देश की आत्मा है संविधान

एडवोकेट नूतन सिंह कहते हैं कि हमारा संविधान देश की जान है, इसकी आत्मा है. बिना संविधान के एक लोकतंत्र की कल्पना ही नहीं की जा सकती है. हमारा देश संविधान से चलता है. हमारे देश के संविधान को लागू करने में जो प्रारूप समिति के जो सदस्य थे. उन्होंने एक बेहद चुनौतीपूर्ण संविधान का निर्माण किया है. हालांकि अंग्रेजों ने पहले से ही नियम अधिनियम लागू कर रखे थे. लेकिन हमारे संविधान में विश्व के अन्य संगठनों से अच्छी बातों को लिया गया है. उनका समावेश किया और अच्छी बातों को मिलाकर मिलाकर विश्व के सर्वश्रेष्ठ संविधान का निर्माण किया.

हमारा संविधान इसलिए भी खास है. क्योंकि हमारे संविधान में मौलिक अधिकारों के साथ ही मौलिक कर्तव्यों का भी निर्धारण किया गया है. हमारे संविधान में ऐसी कोई भी बात नहीं है. जिसे छोड़ दिया गया हो सभी चीजों को जोड़ा गया है. हमारे संविधान में स्वतंत्रता, मूल अधिकार जैसे बातों का उल्लेख है. विश्व के बहुत सारे संविधान में कर्तव्य का उल्लेख नहीं होता. जिसे लेकर मतभेद रहते हैं, लेकिन हमारे संविधान में नागरिकों को यह बताया गया है कि देश के प्रति आपका कर्तव्य क्या है.

संशोधनों के बाद भी प्रासंगिकता बरकरार

लॉ कॉलेज के प्राचार्य एसके पासवान कहते हैं कि भारत का संविधान लोगों के लिए जिस तरह से हिंदू और मुस्लिमों के धर्म रंग होते हैं. ठीक उसी तरह है. भारत का संविधान हमारे कानूनों की मां है और हमारा संविधान कार्यपालिका, न्यायपालिका और व्यवस्थापिका तीनों को कंट्रोल करता है. संविधान के खिलाफ यदि कोई कानून बने भी तो सुप्रीम कोर्ट उसे असंवैधानिक घोषित कर देता है. इसलिए हम यह कह सकते हैं कि भारत का संविधान भारत के लोगों के लिए यहां के नागरिकों के लिए बेहद महत्वपूर्ण है.

अब तक 104 बार संशोधन

संविधान पर समय-समय पर बातचीत होती रहती है. यह भी कहा जाता है कि संविधान अब प्रासंगिक नहीं रह गया है. क्योंकि इसमें ढेर सारे संशोधन हो चुके हैं. जब देश आजाद हुआ था तब से लेकर अब तक 100 से अधिक संशोधन हुए हैं. लेकिन इसकी प्रासंगिकता समाप्त नहीं हुई है. संविधान आज भी उतना प्रासंगिक है और आने वाले समय में भी प्रासंगिक होगा. हमारे संविधान में संशोधन की व्यवस्था पहले से ही दे दी गई थी. इसलिए यह बहुत सरल भी नहीं है और बहुत ज्यादा कठोर भी नहीं है.

यह हमारे संविधान की खासियत है. उदाहरण के तौर पर अमेरिका का संविधान बेहद कठोर है. जहां केवल 26 से 27 संशोधन हुए हैं. लेकिन हमारा संविधान ऐसा नहीं है. इसमें कई संशोधन हुए और यह आने वाले समय में भी प्रासंगिक रहेगा. अब न्यायालय को यह चाहिए कि वह दृढ़ इच्छाशक्ति के साथ कानूनों को लागू कराएं इसमें कोई कोताही न बरती जाए.

कैसी दिखती है मूल प्रति
- 16 इंच चौड़ी है संविधान की मूल प्रति
- 22 इंच लंबे चर्मपत्र शीटों पर लिखी गई है
- 251 पृष्ठ शामिल थे इस पांडुलिपि में

Last Updated : Nov 26, 2021, 2:34 PM IST

ABOUT THE AUTHOR

...view details