Jaya Kishori: राम चाहते तो कर सकते थे मनमानी, लेकिन मर्यादाओं से बंधे थे, इसलिए वो हैं मर्यादा पुरुषोत्तम : जया किशोरी - Jaya Kishori Chhattisgarh
Ram Darbar in Korba कोरबा में जया किशोरी की सभा में जन सैलाब उमड़ आया. उम्मीद से दोगुनी संख्या में लोग राम दरबार के सभा स्थल पर पहुंच गए. जिससे व्यवस्था संभालने में आयोजन समिति और पुलिस प्रशासन के पसीने छूट गए. जया किशोरी के खास अंदाज ने आयोजन स्थल पर मौजूद सभी को मंत्र मुग्ध कर दिया. जब तक वह सभा से उठकर चली नहीं गईं. तब तक एक श्रद्धालु भी आयोजन स्थल से नहीं हिला.Jaya Kishori in Chhattisgarh
कोरबा में जया किशोरी
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Published : Jun 13, 2023, 7:18 AM IST
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Updated : Jun 13, 2023, 12:49 PM IST
कोरबा में जया किशोरी की कथा
कोरबा: कोरबा में राम दरबार की प्राण प्रतिष्ठा के बाद शाम को प्रख्यात कथावाचक जया किशोरी का कथावाचन हुआ. जया किशोरी ने अपने खास अंदाज से शहरवासियों को मंत्रमुग्ध कर दिया. जया किशोरी की सभा को लेकर लोगों में उत्साह इतना था कि जितने लोग पंडाल के भीतर थे. उससे दोगुनी संख्या में लोग बाहर भटक रहे थे. जो जहां था, उसने वहीं खड़े रहकर जया किशोरी को सुना. डीडीएम रोड स्थित राम दरबार परिसर में लगभग 10000 की संख्या में लोग मौजूद रहे. सभा का समापन रात को हुआ. इसके बाद राम दरबार मंदिर में पायरो और आकर्षक आतिशबाजी भी की गई.
जया किशोरी को सुनने जनसैलाब
बच्चों को राम और कृष्ण की कहानी सुनाएं : जया किशोरी ने कथा वाचन की शुरुआत बच्चों को कहानियां सुनाने से किया. उन्होंने कहा कि बेड टाइम स्टोरी में आज के पैरेंट्स सिंड्रेला और स्नोबेल की कहानियां सुनाते हैं. लेकिन हमारे पास खुद इतनी कहानियां है. अपने बच्चों को बचपन से श्री राम और श्री कृष्ण की कथाएं सुनाएं. प्रभु की लीलाएं बताएं. इन लीलाओं का अर्थ बच्चों को बताएं. तभी बच्चे भगवान से प्रेम कर सकेंगे.
जया किशोरी ने कहा कि सुंदरता का प्रेम कुछ समय का होता है. असली प्रेम स्वभाव से होता है. जब हमें किसी का स्वभाव पता चलता है, जब हम व्यक्ति के बारे में जानना शुरू करते हैं. तो हम उससे प्रेम करने लगते हैं. भगवान से प्रेम करने के लिए कथाओं के जरिए उनके स्वभाव का पता चलता है. तब जाकर ही भगवान से प्रेम होगा.
मर्यादा पुरुषोत्तम होने का अर्थ समझाया : जया किशोरी ने प्रभु श्रीराम के मर्यादा पुरुषोत्तम होने का प्रसंग भी सुनाया. उन्होंने कहा कि श्री राम के जन्म की बात करते हैं तो श्री राम के अवतार का ही नाम है मर्यादा पुरुषोत्तम. श्रीराम के लिए कई बार कहा जाता है, कि वह ये कर सकते थे, वो कर सकते थे. लेकिन ऐसा नहीं है. वो अपनी मनमानी नहीं कर सकते थे. इसलिए उनके अवतार का नाम मर्यादा पुरुषोत्तम हैं. वह मर्यादित रूप में आए थे. जो मर्यादा में बनाई गई हैं, जो नियम बनाए गए हैं. उसके अंदर रहकर ही उन्होंने काम किया. वह नियम तोड़ नहीं सकते थे.
रावण को मारने के लिए वह तत्काल सेना बुला सकते थे. उन्हें वानरों की सेना बुलाने की जरूरत ही नहीं पड़ती. जिस दिन सीता माता का हरण हुआ, उसी दिन वह सेना बुला सकते थे. उस समय भी उन्होंने मर्यादाओं को नहीं तोड़ा. वनवास में आए हैं, तो एक बनवासी की तरह ही अपना जीवन जिएं. जो उनके पास है वह उसी की तैयारी करने लगे. श्री राम को जो साथ में लेकर चलता है. वह जीवन में कभी रुक नहीं सकता, गिरता है लेकिन उठकर फिर खड़ा हो जाता है.
बिना पढ़े प्रश्न पूछने वाला उत्तर का अधिकारी नहीं होता:जया किशोरी ने प्रभु श्री राम की लंका जीतकर वापस आने के बाद हनुमान जी को उपहार में हार मिलने और फिर उसे तोड़ देने का प्रसंग भी सुनाया. इसका उदाहरण देकर उन्होंने बताया कि संसार में बुराई क्यों बढ़ती है. लोग प्रश्न करते हैं, प्रश्न भी नहीं करते अब तो सीधे इल्जाम लगाते हैं. आज के युवा बिना पढ़े प्रश्न करते हैं. वह सीधे इल्जाम लगा देते हैं. राम ने ऐसा किया, कृष्ण ने ऐसा किया. जब उनसे पूछा जाता है कि तुमने ये कहां पढ़ा. यह ज्ञान कहां से मिला, तब कहते हैं कि इंटरनेट से. तो शास्त्रों के अनुसार ऐसे लोगों को उत्तर भी नहीं देना चाहिए. ऐसे लोग उत्तर देने लायक भी नहीं होते.शास्त्रों के अनुसार जो बिना पढ़े प्रश्न करते हैं. वह उत्तर के अधिकारी नहीं होते. लेकिन समय बदल रहा है. कई बार देना पड़ता है.
किसी भी हाल में भगवान को मत छोड़िए: जया ने कहा - आज हम स्ट्रेस, डिप्रेशन में हैं. हमने भगवान को छोड़ दिया है, हमने आध्यात्म को छोड़ दिया है. हमने शास्त्रों को छोड़ दिया है. मैं कथा में आपको यह बताने नहीं आई हूं कि संन्यास ले लो, परिवार छोड़ दो, पैसे छोड़ दो, व्यापार छोड़ दो, बिल्कुल मत छोड़ो. अगर गृहस्थ चुना है तो ढंग से काम करिए. अच्छा काम करिए, खूब पैसा कमाइये. बच्चों को अच्छा जीवन दीजिए. लेकिन भगवान मत छोड़िए. भगवान और शास्त्र ही हमारी नींव हैं. भगवान की हर अदा से कुछ ना कुछ सीख लेना चाहिए.
बुरे लोग जल्दी एकत्र हो जाते हैं, अच्छाई को समय लगता है:अच्छाई और बुराई के संतुलन को जया किशोरी ने कहा कि जब किसी को डांट पड़ती है, तब लगता है कि सबको डांट पड़नी चाहिए. अक्सर बच्चे इल्जाम लगाते हैं, मैंने अकेले नहीं किया, सबने मिलकर किया. सबको डांट पड़नी चाहिए. लेकिन किसी की तारीफ हो रही हो तो, व्यक्ति यह नहीं कहता कि उसने भी किया है. वह कहता है सब कुछ मैंने किया है. एक अच्छा व्यक्ति दूसरे अच्छे व्यक्ति को सहन नहीं कर सकता. इसीलिए अच्छाई जल्दी फैल नहीं पाती. जबकि बुरे एक साथ इकट्ठे हो जाते हैं. एक दूसरे तुरंत अपना दोस्त बना लेते हैं. लेकिन एक अच्छा दूसरे को अपना नहीं बना पाता है.