कोरबा : छत्तीसगढ़ में कांग्रेस के 2 साल पूरे हो गए हैं. ईटीवी भारत ने कटघोरा विधायक पुरुषोत्तम कंवर से खास बातचीत की. पुरुषोत्तम कंवर ने बतौर विधायक और सरकार के 2 साल के कामकाज को लेकर चर्चा की. पुरुषोत्तम विधायक बनने के बाद पहली बार राज्यमंत्री का दर्जा पाने वाले शख्स हैं. पुरुषोत्तम कंवर के पिता वरिष्ठ आदिवासी नेता बोधराम कंवर 7 बार के विधायक रह चुके हैं. पिछले विधानसभा चुनाव में पार्टी ने पुरुषोत्तम को टिकट दिया और वह चुनाव जीते. पुरुषोत्तम ने आने वाले सालों में सड़क पुनर्वास और मूलभूत आवश्यकताओं को अपनी प्राथमिकता बताया है.
जवाब- 2 सालों के दौरान मेरा पूरा ध्यान मूलभूत आवश्यकताओं को दुरुस्त करने पर था. फिर चाहे वह पेयजल की समस्या हो, शिक्षा या फिर स्थानीय बेरोजगारों को रोजगार दिलाने का काम हो. प्रयास यही रहा कि मूलभूत समस्याओं को दूर किया जाए.
सवाल- 2 साल में कोरबा की सड़कें बद से बदतर हुईं ?
जवाब- कोरबा जिला आदिवासी जिला होने के साथ ही साथ औद्योगिक जिला भी है. यहां भारी वाहनों का भी दबाव होता है. यहां बड़े पैमाने पर भारी वाहन कोयला लेकर परिवहन करते हैं. सड़कों की हालत खराब हुई है, लेकिन उनके मरम्मत और जीर्णोद्धार का कार्य भी शुरू हो चुका है.
सवाल- कई सड़कें NHI को चली गई, क्या सड़कें राज्य और केंद्र की राजनीति में फंस गई हैं?
जवाब- सड़कों को लेकर राजनीति हो रही है, इसे मैं सही नहीं मानता. सभी की अपनी जिम्मेदारी होती है. अगर सड़क NHI को चली गई हैं तो केंद्र सरकार को इसकी मरम्मत करनी चाहिए. यदि सड़क राज्य सरकार की है तो राज्य सरकार के अधिकारियों को इसकी मरम्मत करनी चाहिए. जल्दी सड़कों की स्थिति सुधरेगी.
सवाल- सड़कों के वर्तमान हालात के लिए आप किसे दोषी मानते हैं?
जवाब- मैं किसी पर दोषारोपण नहीं करना चाहता. सड़कों के निर्माण में समय लगता है. बड़ी परियोजनाओं में सालों लग जाते हैं. कई बार अधिग्रहण की समस्या आती है और कई तरह की समस्याएं होती हैं. इसलिए बड़े काम में समय तो लगता है.
सवाल- मूल निवासियों के लिए पुनर्वास दशकों पुरानी समस्या है, कब समाधान होगा?
जवाब- पुनर्वास लंबे समय से बड़ी समस्या बनी हुई है. मेरा प्रयास है कि चाहे वह स्थानीय SECL के अधिकारी हों या फिर प्रशासन, उनसे बातचीत करके उचित मुआवजा नौकरी और पुनर्वास की व्यवस्था की जाए. खदान प्रभावित क्षेत्रों में पुनर्वास से जुड़ी समस्याएं लगातार बनी रहती हैं.
सवाल- खदानों में उत्खनन और ब्लास्टिंग से कई हादसे हुए ?
जवाब- खदान से लगे गांव में इस तरह की समस्या रहती है. उत्खनन के लिए जब ब्लास्टिंग किया जाता है, तब जो खदान के बेहद समीप वाले गांव होते वहां इसका असर होता है. प्रबंधन भी चाहता है कि ग्रामीण पुनर्वास वाले स्थल पर चले जाएं. इसलिए यदि ग्रामीण जल्द से जल्द पुनर्वास वाले स्थान पर शिफ्ट हो जाएंगे तो ये समस्या खत्म हो जाएगी.