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SPECIAL: बंद है 'तीसरी आंख', कैसे होगी रेत खदानों में अवैध खनन की निगरानी ?

कोरबा में रेत खदानों में निगरानी के लिए प्रशासन ने सीसीटीवी कैमरे और सीमांकित क्षेत्र निर्धारित किया था. इसके बावजूद बेखौफ रेत का काला कारोबार जारी है. सीसीटीवी नाम मात्र के लगे हैं, जिसमें मॉनिटर गायब है. वहीं सीमांकित क्षेत्र के बाहर भी बिना रोक के रेत का खनन किया जा रहा है.

Illegal sand quarrying continues in Korba CCTV closed for surveillance mining is being done outside the demarcation area
कैसे होगी रेत घाटों की निगरानी, तीसरी आंख बंद

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Published : Nov 14, 2020, 5:51 PM IST

Updated : Nov 15, 2020, 2:15 PM IST

कोरबा : रेत उत्खनन को लेकर इन दिनों छत्तीसगढ़ में सियासत गरमाई हुई है. रेत घाटों में नियमों की अवहेलना से परेशान होकर प्रशासन ने रेत घाटों पर सीसीटीवी की निगरानी से लेकर कंट्रोल रूम और सीमांकित क्षेत्र के निर्धारण के लिए पुख्ता इंतजाम किए. लेकिन इसे कांग्रेस के नेता अव्यवहारिक बताने लगे. वहीं हाल ही में कोरबा पहुंचे छत्तीसगढ़ के नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने इस मुद्दे पर सरकार पर जमकर निशाना साधा.

कैसे होगी रेत घाटों की निगरानी, तीसरी आंख बंद

ईटीवी भारत ने लिया मौके का जायजा

ETV भारत ने जिले में शहर से लगे गेरवा रेत घाट का जायजा लिया और रियलिटी चेक कर यह पता लगाने का प्रयास किया कि कलेक्टर के निर्देशों का रेत घाट पर कितना पालन हो रहा है. क्या प्रशासन ने निर्देश जारी करने के बाद ऐसी कोई व्यवस्था बनाई जिससे कि जारी किए गए निर्देशों का पालन सुनिश्चित किया जा सके. देखिए ईटीवी भारत की खास रिपोर्ट

कैसे होगी रेत घाटों की निगरानी, तीसरी आंख बंद

सिर्फ नाम का सीसीटीवी कैमरा

गेरवा घाट का जायजा लेने पर हमने स्पष्ट तौर पर यह पाया कि यहां केवल एक ही स्थान पर सीसीटीवी कैमरा लगा हुआ है. वह भी वहां, जहां रॉयल्टी की पर्ची काटी जा रही है. सीमांकित क्षेत्र के बाहर उत्खनन हो रहा है या नहीं इसकी निगरानी के लिए कोई सीसीटीवी कैमरा लगाया ही नहीं गया है. कई एकड़ में फैले रेत घाट की निगरानी के लिए केवल एक सीसीटीवी कैमरा रेत घाट के संचालक ने लगाया है. हैरानी वाली बात यह है कि सीसीटीवी कैमरे में रिकॉर्ड क्या हो रहा है? इसे देखने के लिए यहां कोई भी मॉनिटर मौजूद नहीं था. अब इसकी रिकॉर्डिंग सेव कहां हो रही है. इस बारे में हमने रेत घाट में मौजूद कर्मचारियों से बात की तो उन्होंने कहा कि मॉनिटर यहां से 10 किलोमीटर दूर स्थित ऑफिस में है. जहां खदान मालिक के मोबाइल मेंं सबकुछ रिकॉर्डिंग होती है.

कैसे होगी रेत घाटों की निगरानी, तीसरी आंख बंद

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कैसे होगी निगरानी

सवाल यह उठता है कि जब अफसर रेत घाट की निगरानी पर आएंगे और कैमरे से रिकॉर्ड की गई फुटेज देखना चाहेंगे तो क्या वह रेत घाट संचालक के दफ्तर जाएंगे या फिर उसे यहां बुलाकर मोबाइल दिखाने को कहेंगे?. इतना ही नहीं मॉनिटर तो छोड़िए कैमरे को चालू करने के लिए रेत घाट में बिजली का भी कोई इंतजाम नहीं है. रेत घाट पर तैनात कर्मचारी ने भी कहा कि जब बिजली रहती है. तभी कैमरे से रिकॉर्डिंग होती है. बिजली गुल होने के दौरान रिकॉर्डिंग नहीं हो पाती. जबकि प्रशासन ने स्पष्ट तौर पर निर्देश दिए हैं कि बिजली की सुविधा उपलब्ध नहीं होने पर बैटरी की वैकल्पिक व्यवस्था से सीसीटीवी कैमरे को चलाया जाए. इसे प्रशासन और रेत घाट के संचालक ही समझ सकते हैं।

सीमांकित क्षेत्र का भी निर्धारण नहीं

रेत घाटों को पर्यावरणीय स्वीकृति तभी मिलती है, जब क्षेत्र विशेष का निर्धारण किया जाए. किसी नदी या नाले के किनारे से रेत उत्खनन के लिए एक सीमित क्षेत्र विशेष में ही अनुमति प्रदान की जाती है. जिस क्षेत्र में उत्खनन की अनुमति दी जाती है. नियमानुसार उस क्षेत्र के बाहर उत्खनन नहीं किया जा सकता. इसके लिए नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के भी कड़े निर्देश हैं. कोरबा क्रिटिकली पॉल्यूटेड शहरों में शुमार है. जिसके कारण यहां निर्देश बेहद कड़े तौर पर लागू किए जाने चाहिए, लेकिन गेरवा घाट में सीमा का निर्धारण करने के लिए कोई भी ठोस इंतजाम नहीं मिले. दो लाल रंग का झंडा लगाया हुआ जरूर मिला, लेकिन कोई स्थायी इंतजाम नहीं थे जैसे कि नियमानुसार किया जाना चाहिए. सीमांकित क्षेत्र के बाहर से भी ट्रैक्टर उत्खनन करते हुए साफ तौर पर दिख गए. नियमों की अवहेलना करते हुए ट्रैक्टर संचालक अनुमति प्राप्त क्षेत्र के बाहर से भी लगातार अवैध उत्खनन कर रहे हैं और यह प्रक्रिया जारी है.

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इस तरह के जारी किए गए थे निर्देश

रेत घाटों के संचालन के लिए कलेक्टर किरण कौशल ने अवैध रेत उत्खनन और परिवहन को पूरी तरह से रोकने के लिए जिले में अलग कंट्रोल रूम स्थापित करने के निर्देश दिए थे. निर्दशों में स्वीकृत स्थल पर सीमांकन कर चमकीले रेडियम से सीमा का निर्धारण किया जाए. यदि ऐसा नहीं किया जाता तो निर्धारित सीमा के बाहर से रेत उत्खनन करने पर संबंधित ठेकेदार को स्वीकृत लीज निरस्त करते हुए उसके विरुद्ध FIR कराई जाएगी. इसके अलावा स्वीकृत रेत खदानों में निगरानी के लिए सीसीटीवी कैमरे भी लगाए जाएंगे, जिसका 15-15 दिन का फुटेज सीडी के रूप में खनिज अधिकारी के पास जमा कराना होगा.

जिले में 19 रेत घाट, जिनमें से 15 में हो रहा उत्खनन

  • कोरबा जिले में वर्तमान में इस वर्ष 19 रेत घाटों की स्वीकृति दी गई है.
  • 4 रेत घाट तकनीकी कारणों से अभी शुरू नहीं हो पाए हैं.
  • 19 स्वीकृत रेत घाटों में कटघोरा विकासखंड में 7, कोरबा विकासखंड में 1 है.
  • पाली विकासखंड में 1, करतला विकासखंड में 5 और पोड़ी उपरोड़ा विकासखंड में 1 रेट घाट शामिल है.
  • स्वीकृत रेत घाटों में से हसदेव नदी पर 8, अहिरण नदी पर 5, बम्हनी नदी पर 2 स्वीकृत हैं.
  • देवनाला, टीटी नदी, सोन नदी और खारुन नदी पर एक-एक घाट स्वीकृत है.

    निर्देश जारी कर भूला प्रशासन

प्रशासन ने सीसीटीवी फुटेज और सीमांकित क्षेत्र से ही उत्खनन के कड़े निर्देश तो जारी किए गए, लेकिन इसकी व्यवस्था सुनिश्चित करने के साथ ही कड़ी निगरानी और नियमों के पालन के लिए कोई ठोस प्रबंध नहीं किए. जिसके कारण ही रेत घाटों में लगातार नियमों की अवहेलना हो रही है. फिर चाहे वह प्रतिबंधित अवधि में रेत का उत्खनन हो या फिर वर्तमान में अनुमति मिलने के बाद भी दायरे से ज्यादा अवैध उत्खनन. जिले में रेत के अवैध उत्खनन और परिवहन का काला कारोबार लगातार जारी है.

Last Updated : Nov 15, 2020, 2:15 PM IST

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