Hindi Diwas Special: हिन्दी को रोचक तरीके से पाठकों के सामने करें पेश, इससे हिंदी को मिलेगी नई पहचान : प्रोफेसर डॉक्टर दिनेश श्रीवास - Professor Dinesh Srivas presenting hindi
Hindi Diwas Special:हिन्दी को रोचक तरीके से पाठकों के सामने पेश करने से हिन्दी को नई दिशा मिलेगी. ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान कोरबा निवासी प्रोफेसर डॉ दिनेश श्रीवास ने हिन्दी संबंधित कई जानकारियां दी. उन्होंने "माली" नाम की एक उपन्यास लिखी है. इस उपन्यास को भी काफी सराहा जा रहा है. hindi divas 2023
कोरबा:14 सितंबर को हिंदी दिवस है. इस दिन को हिंदी के महत्व को समझाने के लिए मनाया जाता है. जानकारों की मानें तो हिंदी के प्रति आधुनिक परिवेश में रुझान कम हुआ है. पाठकों की संख्या कम हुई है. हालांकि विश्व पटल पर हिंदी की पूछ परख बढ़ी है. हिन्दी साहित्य को रोचक तरीके से पेश किया जाए तो हिंदी और ज्यादा समृद्ध होगी.
ईटीवी भारत हिंदी दिवस के मौके पर आपको एक प्रोफेसर से मिलवाने जा रहा है. इन्होंने हिंदी भाषा में एक उपन्यास लिखा है. ये उपन्यास प्रशासनिक और मानवीय मूल्यों के बीच के संबंधों को स्पष्ट करती है. प्रोफेसर डॉ दिनेश श्रीवास कोरबा के पीजी कॉलेज में हिंदी विषय के सहायक प्राध्यापक हैं. इनकी उपन्यास "माली" हाल ही में प्रकाशित हुई है. श्रीवास कहते हैं कि हिंदी के प्रति लोगों का रुझान कम जरूर हुआ है. लेकिन यदि रोचक तरीके से हिंदी भाषा का उपयोग किया जाए तो इसमें ज्ञान वर्धन के विषय सम्मिलित किया जाएं, तो हिंदी को पाठक मिलेंगे.
उपन्यास "माली" में क्या है:डॉ दिनेश श्रीवास की उपन्यास "माली" का प्रकाशन दिल्ली की पुस्तकनामा जैसी प्रतिष्ठित प्रकाशक संस्था ने किया है. "माली" में प्रशासन और मानवीय मूल्यों का निचोड़ है. प्रशासन के भीतर किस तरह से मानवीय मूल्य का पतन हो रहा है. प्रशासनिक गलियारों में किस तरह से लोगों का उपयोग किया जाता है. महत्वाकांक्षाएं पूर्ति की भावनाएं हो या फिर क्रेडिट लेने की होड़. इन सभी को माली उपन्यास में बेहद खूबसूरती से परिभाषित किया गया है. इसे रोचक तरीके से पाठको के सामने प्रस्तुत किया गया है. इसके कारण "माली" को काफी पाठक मिले हैं. यह प्री बुकिंग में प्रकाशकों की ओर से बेस्ट सेलर पुस्तक के तौर पर भी घोषित की गई है.
विश्वपटल पर हिंदी की पूछ परख : हिंदी भाषा को लेकर डॉ श्रीवास कहते हैं कि "हिंदी के प्रति रुचि कम जरूर हुई है. लेकिन विश्व पटल पर इसकी पूछ-परख बढ़ी भी है. इसका कारण आधुनिक समय में मोबाइल संस्कृति और टेक्नोलॉजी का दुरुपयोग है. इसके कारण हिंदी की दुर्दशाहो रही है. 19वीं सदी में जब उपन्यास, कहानियों का उदय हुआ था. तब हिंदी को काफी पाठक मिले थे. काफी सराहना मिली थी. लेकिन अब वक्त बदल रहा है. पाठकों को रोचक जानकारी चाहिए. आज का मेधावी छात्र सिर्फ किस्से और कहानियों को नहीं पढ़ते हैं. मेडिकल के स्टूडेंट हो या फिर अन्य तकनीकी ज्ञान, इसे हिंदी में लिखने की जरूरत है. ऐसे विषयों को हिंदी में लिखा जाना चाहिए. मैंने भी अपने उपन्यास "माली" के माध्यम से यह प्रयास किया है कि हिंदी साहित्य को रोचक तरीके से प्रस्तुत किया जाए. मेरे अनुसार यह एक अभिनव पहल है. इस तरह के पहल होते रहना चाहिए. साहित्य को रोचक बनाकर पाठकों के समक्ष प्रस्तुत किया जाए,तब हिंदी को पाठक मिलेंगे. इसे पढ़ने वालों की कोई कमी नहीं होगी."
रायपुर में हुआ विमोचन, मिली सराहना:प्रशासनिक मूल्यों पर आधारित डॉ दिनेश श्रीवास के उपन्यास का विमोचन रायपुर में हुआ था. इस दौरान कई विश्वविद्यालय के कुलपति भी वहां मौजूद थे. सभी ने इस उपन्यास की सराहना की है. डॉ दिनेश श्रीवास के लेखन कौशल की तारीफ भी की गई है. डॉ श्रीवास खुद भी मानते हैं कि नए तरह के कलेवर देकर यदि हिंदी भाषा का उपयोग किया जाए. तो इसके पाठक बढ़ेंगे हिंदी को हाथों-हाथ लिया जाएगा.