कोरबा:14 सितंबर को राष्ट्रीय हिंदी दिवस मनाया जाता है. इस दिन जिले के लीड कॉलेज शासकीय इंजीनियर विश्वेश्वरैया पीजी कॉलेज में आयोजन रखा गया था. इस दौरान छात्रों ने हिंदी विभाग में कार्यक्रमों का आयोजन किया. छात्रों और प्राध्यापकों में हिंदी विषय के प्रति सम्मान तो है ही उनका मानना है कि हिंदी अब वह हिंदी नहीं रही जिसका अध्ययन पुरातन काल में किया जाता था. इसका स्वरूप लगातार बदल रहा है. हिंदी को शुरू और वर्तमान परिवेश में पिछड़ी हुई भाषा माना जाता था. लेकिन सच ये भी है कि 250 विश्वविद्यालयों में हिंदी भाषा पढ़ाई जाने लगी (growing dominance of hindi ) है.
दूसरी भाषाओं के साथ हिंदी का रुतबा बरकरार हिंदी विभाग का अपना वर्चस्व :प्रत्येक कॉलेज में हिंदी विभाग का अपना वर्चस्व होता है यहीं से भाषा विज्ञान की शुरुआत होती है हिंदी के प्रोफेसरों का अलग सम्मान होता है. हिंदी और अंग्रेजी की तुलना की जाती है बावजूद इसके हिंदी की प्रतिष्ठा और सम्मान अब भी बरकरार (national hindi day) है.
हिंदी जरूर पहुंचेगी अपने मुकाम पर : पीजी कॉलेज में हिंदी के सहायक प्राध्यापक डॉ दिनेश श्रीवास कहते हैं कि "हिंदी की प्रासंगिकता की जब बात की जाती है.तब वह किसी भी भाषा की दृष्टि से उसको विकासमान बनाती है. मैं भी हिन्दी को इसी रूप में देखता हूं. हिंदी में जब दूसरे शब्दों का उपयोग हुआ, हिंदी के अंग्रेजीकरण की बात हो या अन्य देसी शब्दों को जब हिंदी में उपयोग किया जा रहा है.यह दरअसल हिन्दी के विकास का ही प्रतिमान है.हिंदी इस देश की उत्तराधिकारिणी भाषा है. हिंदी का दायित्व है कि वह अपने साथ ही देश के अन्य भाषाओं को भी लेकर चलती है. तब ही हमारी राष्ट्रीय सद्भाव का निर्माण होगा. विश्व में भी हिंदी का प्रभाव लगातार बढ़ रहा है. विश्व समुदाय ने उसको स्वीकार कर लिया है. विश्व भाषा के रूप में अब हिंदी की कल्पना की जा रही है. लगभग ढाई सौ विश्वविद्यालयों में हिंदी का अध्यापन हो रहा है. ज्ञान और तकनीकी की बात करें तो हिंदी उस पद पर निकल गई है और अग्रसर हो रही है. आने वाले समय में हिंदी जरूर अपने लक्ष्य तक पहुंचेगी.अंग्रेजी, हिंदी की जरूर सहयोगी है और इसे उसी रूप में हमें स्वीकार करना है. लोग भी इस बात को अगर ठान लें, तो हिंदी भी उसी मुकाम पर होगी. जिस मुकाम पर वर्तमान में अंग्रेजी है.
क्यों मनाया जाता है हिंदी दिवस : वर्ष 1918 में गांधी जी ने हिंदी साहित्य सम्मेलन में हिंदी भाषा को राजभाषा बनाने को कहा था. गांधी जी ने इसे जनमानस की भाषा भी कहा है. 1949 में स्वतंत्र भारत की राजभाषा के प्रथम पर 14 सितंबर 1949 को काफी विचार विमर्श किया गया. उसके बाद यह निर्णय लिया गया कि जो भाषा भारतीय संविधान के भाग 17 के अध्याय के अनुच्छेद 343(1) में इस प्रकार वर्णित है. संघ की राजभाषा हिंदी और लिपि देवनागरी होगी. संघ के राजकीय प्रयोजनों के लिए प्रयोग होने वाले अंकों का रूप अंतरराष्ट्रीय रूप होगा. यह निर्णय 14 सितंबर को लिया गया. इसी दिन हिंदी के मूर्धन्य साहित्यकार व्यौहार राजेंद्र सिंह का 50 वां जन्मदिन था। इस कारण हिंदी के इस दिन को श्रेष्ठ माना गया था.तभी से हिंदी दिवस मनाया जाने लगा.