Gongpa BSP Alliance: आरी के साथ हाथी की यारी, छत्तीसगढ़ में है इस बार तीसरे मोर्चे की तैयारी - छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव 2023
Gongpa BSP Alliance छत्तीसगढ़ में तीसरे मोर्चे को कभी गंभीरता से नहीं लिया गया. प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री अजीत जोगी ने जब अपनी पार्टी बनाई. तब लोगों को लगा की तीसरा मोर्चा मजबूत होगा. लेकिन उनके जाने के बाद तीसरा मोर्चा एक बार फिर हाशिए पर है. इस बार गोंडवाना गणतंत्र पार्टी(गोंगपा) और बहुजन समाज पार्टी(बसपा) में गठबंधन हुआ है. देखना होगा कि यह गठबंधन कितना कारगर साबित होता है. Chhattisgarh Election
कोरबा: छत्तीसगढ़ में जब भी तीसरे मोर्चे की बात हुई है तब किसी मजबूत पार्टी का नाम सामने नहीं आया. सवाल यह है कि क्या इस बार ये धारणाएं बदल जाएंगी. गोंडवाना गणतंत्र पार्टी और बहुजन समाज पार्टी दोनों के पदाधिकारी मजबूती से चुनाव लड़ने की बात कह रहे हैं. गठबंधन के बाद इनका दावा है कि उनके सहयोग के बिना इस बार छत्तीसगढ़ में सरकार नहीं बनेगी. अब यह देखना दिलचस्प होगा कि इन दावों में कितना दम है और क्या सच में छत्तीसगढ़ में इस बार तीसरा मोर्चा शक्तिशाली साबित होगा.
क्या गठबंधन के बाद बदलेंगे समीकरण :छत्तीसगढ़ में गोंगपा और बसपा दोनों ही पार्टियों का जनाधार तो है. जानकर भी यह बात स्वीकार करते हैं कि भले ही इन दोनों पार्टियों के प्रत्याशी चुनाव नहीं जीत पाते. लेकिन इतने वोट वह जरूर हासिल लेते हैं, जिससे कि किसी की हार तय हो जाती है. कोरबा के पाली तनाखार सीट पर अक्सर गोंगपा सुप्रीमो हीरा सिंह मरकाम चुनाव लड़ते रहे हैं. यहां से वह एक बार विधायक भी रहे और पिछले कई चुनाव में भाजपा को तीसरे नंबर पर धकेलते रहे हैं. अब वह इस दुनिया में नहीं है. ऐसे में उनके बेटे और पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष तुलेश्वर मरकाम पाली से चुनाव लड़ेंगे. जबकि बसपा की बात की जाए तो कोरबा और जांजगीर चांपा जिले में इनका अच्छा खासा जानाधार है. जांजगीर-चंपा के पामगढ़ सीट से बसपा के विधायक भी चुनाव जीतकर विधानसभा में पार्टी का प्रतिनिधित्व कर रही हैं. कई सीटों पर दोनों पार्टियों का ठीक-ठाक वोट बैंक है. जिससे आने वाले विधानसभा चुनाव में भाजपा-कांग्रेस जैसे पार्टियों को कुछ नुकसान उठाना पड़ सकता है.
सीटों का बंटवारा भी हुआ तय: कोरबा में बसपा के जिलाध्यक्ष फूलचंद सोनवानी ने बताया कि 25 सितंबर को हमारी पार्टी का गठबंधन हुआ है. दोनों पार्टियों के प्रदेश अध्यक्ष की मौजूदगी में गठबंधन तय हो चुका है. पदाधिकरियों ने मिलकर यह तय किया है कि प्रदेश के 90 विधानसभा सीटों पर दोनों पार्टियां मिलकर चुनाव लड़ेगी. 53 सीट पर बहुजन समाज पार्टी अपने कैंडिडेट उतरेगी. जबकि 27 सीट पर गोंगपा के प्रत्याशी चुनाव लड़ेंगे. पाली से हीरासिंह मरकाम के बेटे और गोंगपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष तुलेश्वर मरकाम चुनाव लड़ेंगे. बाकी सीटों पर नाम की घोषणा भी जल्दी ही होगी. 6 सितंबर को रायपुर में दोनों पार्टियों के संयुक्त बैठक होनी है. उम्मीद है कि इस दिन प्रत्याशियों की सूची जारी की जा सकती है.
इन सीटों पर है गोंगपा का अच्छा खासा जनाधार :छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश में गोंगपा का अच्छा खासा जनाधार है. सरगुजा और बिलासपुर संभाग की सीटों पर उनका प्रदर्शन अच्छा रहा है. वह भले ही किसी सीट पर चुनाव ना जीतें, लेकिन किसी प्रत्याशी की हार में कारगर भूमिका निभाते हैं. इसी वजह से कोरबा के पालीतानाखार विधानसभा सीट पर भाजपा तीसरे नंबर पर खिसकी हुई है. पिछले तीन चुनाव से भाजपा की लगभग यही स्थिति रही है. पाली तानाखार विधानसभा सीट के अलावा भरतपुर सोनहत, मनेन्द्रगढ़, बैकुंठपुर, प्रेमनगर, प्रतापपुर, मरवाही और कोटा की सीटों पर गोंगपा का प्रभाव है. विधानसभा चुनाव 2018 में इन 8 विधानसभा सीटों पर वोटर्स की कुल संख्या 14 लाख 64 हजार 234 थी. जिसमें से 10 लाख 98 हजार 168 वोट आदिवासियों के थे. गोंगपा पार्टी को इस चुनाव में इन 8 विधानसभा सीटों में 2 लाख 30 हजार वोट मिले थे. इन सभी सीटों पर आदिवासी वोटर्स की संख्या 75 प्रतिशत या इससे ज्यादा है.
काशीराम ने पहला चुनाव लड़ा था जांजगीर से : बहुजन समाज पार्टी की वर्तमान सुप्रीमो मायावती यूपी से हैं. लेकिन इस पार्टी के संस्थापक काशीराम ने पहला चुनाव जांजगीर लोकसभा सीट से लड़ा था. तब कोरबा लोकसभा सीट का गठन नहीं हुआ था. कोरबा जिला जांजगीर लोकसभा सीट में ही शामिल था. कांशीराम पहला चुनाव हार गए थे. इसके बाद वह यूपी चले गए, और मायावती से मिले. अपनी राजनीतिक विरासत उन्होंने मायावती को ही सौंप दी. बसपा की स्थापना कोरबा जिले में ही हुई थी. यहीं से पार्टी की शुरुआत हुई थी. यही कारण है कि कोरबा और जांजगीर चांपा जिले में अब अब भी पार्टी का जनाधार मौजूद है.