कोरबा:अनलॉक की प्रक्रिया के बाद भी जन शिकायत निवारण प्रणाली का बेहद बुरा हाल है. लोग दूर-दराज के ग्रामीण अंचलों से जिला मुख्यालय तक का सफर पूरा करते हैं. वह इस उम्मीद में मुख्यालय पहुंचते हैं कि उनकी शिकायतों का निराकरण हो जाएगा. सरकारी अफसर भी मीटिंग करते हैं, हर हफ्ते समय सीमा की बैठक भी होती है. जिला स्तर के सभी 24 से ज्यादा विभागों ने जनता की शिकायतों के निराकरण के लिए हेल्प डेस्क भी बनाया है, लेकिन बात जब काम करने की आती है तो सारे दावे धरे के धरे रह जाते हैं. लोग आवेदन जमा करते रहते हैं और शिकायतों का पुलिंदा बढ़ता रहता है.
आवेदन लिखने तक की सुविधा देने का था दावा
कोरोना काल के पहले प्रशासन ने दूरदराज से आए लोगों की शिकायतों के निराकरण के लिए सभी विभागों में हेल्प डेस्क बनाया था. दावा किया गया था कि ऐसे व्यक्ति जो आवेदन लिखने में सक्षम नहीं है, उनके आवेदन लिखने के लिए कर्मचारी तैनात रहेंगे, इस तरह विभाग हर छोटी से छोटी शिकायत स्वीकार करेंगे और जल्द इन शिकायतों का निराकरण होगा.
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कोरोना काल की वजह से यहीं व्यवस्था अब अधिकारियों के नियमित कार्यशैली में शामिल हो चुकी है. अनलॉक होने के बाद भी यह हेल्पडेस्क सिर्फ और सिर्फ औपचारिकता बनकर रह गई है. विभाग अपने-अपने कार्यालयों के सामने हेल्पडेस्क का एक पोस्टर चस्पा कर सिर्फ जिम्मेदारी पूरी कर रहा है.