कोरबा:देश के तीसरे सबसे बड़े ओपन कास्ट कोल माइंस दीपिका के कोयला स्टॉक में भीषण आग (coal stock Fire in Deepka mine) लगी हुई है. यह आग लगभग 2 हफ्ते से धधक रही है. जिसे बुझाने के ठोस प्रयास अबतक नहीं हो सके हैं. कोल इंडिया के एसईसीएल प्रक्षेत्र के अंतर्गत आने वाली इस खदान की आग को बुझाने के व्यापक प्रबंध करने के बजाए प्रबंधन इसे छुपाने का प्रयास कर रहा है. एसईसीएल बिलासपुर (SECL Bilaspur) के जनसंपर्क अधिकारी सनीष चंद्रा से इस विषय में जानकारी लेने पर उन्होंने बताया कि माइंस में आग लगने की घटना नहीं हुई है. जबकि ईटीवी भारत के पास दीपका कोल माइंस में लगी आग के एक्सक्लूसिव वीडियो फुटेज मौजूद हैं.
दीपका खदान के कोयला स्टॉक में लगी रोड सेल के 5 में से 4 स्टॉक में लगी आग
दीपका खदान में वर्तमान में रोड सेल के जरिए बेचे जाने वाले कोयले में आग लगी हुई है. खदान में रोड सेल के लिए पांच स्टॉक की व्यवस्था है. जिसमें से स्टॉक क्रमांक 4 को छोड़ दिया जाए तो स्टॉक क्रमांक 16, 17, 18 और 19 में आग लगी हुई है. आग लगातार फैल रही है. कुछ स्थान ऐसे भी हैं जहां मिट्टी डालकर आग को बुझाने का प्रयास किया गया है, लेकिन ऊपर से तो मिट्टी डाल दी गई है लेकिन अंदर ही अंदर आग धधक रही है. जिससे लगातार कोयले के स्टॉक को नुकसान पहुंच रहा है. यह कोयला कंपनी के लिए एक बड़े नुकसान का कारण भी बन सकता है.
मानिकपुर कोयला खदान के डंपिंग में भीषण आग
आग से हर दिन 100 टन कोयले का नुकसान
इस घटना के विषय में आधिकारिक सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार लगभग हर दिन 100 टन कोयले का नुकसान हो रहा है. स्टॉक से कोयला लोड करते समय पानी डालकर बुझाया जाता है, लेकिन बावजूद इसके हर दिन लगभग 100 टन कोयला जलकर खाक हो रहा है. जिसे बुझाने के समुचित इंतजाम एसईसीएल प्रबंधन के पास मौजूद ही नहीं है.
दो तरह के कोयले का उत्पादन, वर्तमान में सिर्फ एफ ग्रेड
दीपका देश की तीसरी सबसे बड़ी ओपन कास्ट कोल माइंस (Open cast coal mines) है. यहां एफ ग्रेड और जी ग्रेड के कोयले का उत्पादन होत रहा है. वर्तमान में ज्यादातर उत्पादन केवल एफ ग्रेड कोयले का हो रहा है. इस कोयले का उत्पादन ब्लास्टिंग के जरिए किया जाता है. इसलिए इसकी कीमत सरफेस कोयले से कुछ कम होती है. बावजूद इसके पिछले नीलामी में एफ ग्रेड कोयले की कीमत 2500 से 3000 रुपये प्रति टन के मध्य है. (F grade coal price)
ईंट पकाने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले कोयले में मिला सोना!
कहां हो रहा कोयला सप्लाई?
खदान से रोड सेल के जरिए कोल वाशरी और पावर सेक्टर दो ही स्थानों पर कोयले का परिवहन किया जाता है. बेहतर क्वॉलिटी का कोयला सीधे पावर प्लांट को विद्युत उत्पादन के लिए जाता है. जबकि इससे एक कैटेगरी कम क्वॉलिटी वाला कोयला कोल वाशरी को भेजा जाता है. दीपका कोयला खदान से प्रतिवर्ष लगभग 35 मिलियन टन का सालाना कोयला उत्पादन किया जाता है. वर्तमान में कोयला स्टॉक में लगी आग से उत्पादन पर भी प्रभाव पड़ेगा. स्टॉक में आग लगने के कारण जहां उत्पादन गिर जाता है, वहीं कंपनी की कार्यक्षमता में भी गिरावट दर्ज की जाती है.
कोरबा: SECL की खदान में ब्लास्ट से 7 साल की बच्ची घायल, गुस्से में लोग
प्रबंधन ने नकारी आग लगने की बात
कोयला स्टॉक में लंबे समय से आग लगी हुई है. हालांकि कर्मचारियों और विश्वस्त सूत्रों की मानें तो आग लगने की घटना गर्मी के दिन में होती रहती है, लेकिन इसे समय रहते बुझाया भी जाता है. वाटर स्प्रिंकलर के साथ ही अन्य तरह के उपाय कंपनी करती है, लेकिन इस बार जो आग लगी है वह विकराल रूप भी ले रही है. जिसे बुझाने के लिए व्यापक पैमाने पर इंतजाम किए जाने चाहिए. एसईसीएल बिलासपुर के जनसंपर्क अधिकारी सनीष चंद्रा ने कहा कि दीपका खदान प्रबंधन से इस विषय में जानकारी ली गई है. वहां किसी भी तरह की कोई घटना नहीं हुई है. उत्पादन में कुछ गिरावट हुई है, वह एक सतत प्रक्रिया है. यदि आग लगती है तो उसे बुझाने का भी प्रयास कंपनी करती है. हमारे पास इसके लिए पूरे इंतजाम हैं. फिलहाल ऐसी कोई बड़ी घटना नहीं हुई है.