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कोरबा: किसानों ने ट्रैक्टर रैली निकालकर किया आंदोलन का समर्थन

दिल्ली में चल रहे किसान आंदोलन के समर्थन में बांकी मोंगरा के किसानों ने ट्रैक्टर रैली निकाली. छत्तीसगढ़ किसान सभा, नौजवान सभा ने 20 किलोमीटर तक ट्रैक्टर रैली निकालकर किसानों का समर्थन किया.

Farmers tractor rally in korba
किसान आंदोलन का समर्थन

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Published : Jan 26, 2021, 10:29 PM IST

कोरबा:अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति और संयुक्त किसान मोर्चा के देशव्यापी आह्वान पर बांकी मोंगरा में किसानों ने ट्रैक्टर रैली निकाली. छत्तीसगढ़ किसान सभा, नौजवान सभा ने 20 किलोमीटर तक टैक्टर रैली निकाल कर दिल्ली में हो रहे किसान आंदोलन का समर्थन किया. इस दौरान किसान बड़ी संख्या में अपने ट्रैक्टर लेकर पहुंचे. ट्रैक्टर रैली को कांग्रेस के ब्लॉक कमेटी के अध्यक्ष और एल्डरमैन ने फूल माला से स्वागत कर रैली का समर्थन किया.

कोरबा में किसानों ने निकाली ट्रैक्टर रैली

छत्तीसगढ़ किसान सभा के जिला सचिव प्रशांत झा ने दिल्ली में किसान गणतंत्र परेड में हुई हिंसा के लिए पुलिस और केंद्र सरकार को जिम्मेदार ठहराया है. उन्होंने कहा कि पलवल बॉर्डर के जत्थे की बदरपुर तक जाने की सहमति बनी थी. लेकिन इसे सीकरी के पास ही रोक देने से किसानों को बैरिकेड तोड़कर आगे बढ़ना पड़ा. उन्होंने आरोप लगाया कि देशव्यापी किसान आंदोलन को तोड़ने के लिए सरकार द्वारा ही यह हिंसा प्रायोजित की गई थी. देश के किसान इसका माकूल जवाब देंगे और 1 फरवरी को संसद भवन के पास जबरदस्त प्रदर्शन करेंगे.

पढ़ें-ट्रैक्टर रैली के दौरान हुई हिंसा के लिए ममता ने केंद्र सरकार को ठहराया जिम्मेदार

किसान सभा के नेताओं ने कहा कि, किसान जानता है कि खाद्यान्न और व्यापार को विश्व बाजार के साथ जोड़ने के बाद न्यूनतम समर्थन मूल्य की पूरी व्यवस्था ही ध्वस्त हो जाएगी. इसलिए इस देश का किसान अपनी अंतिम सांस तक आवाम के साथ मिलकर खेती-किसानी को बर्बाद करने वाले इन कॉर्पोरेटपरस्त कानूनों के खिलाफ लड़ने को तैयार है. इन कानूनों को वापस लेने और सी-2 लागत का डेढ़ गुना न्यूनतम समर्थन मूल्य देने का कानून बनाने के अलावा सरकार के पास और कोई रास्ता बचा नहीं है.

'1 फरवरी को संसद घेरेंगे किसान'

प्रशांत झा ने कहा कि हमारे देश के किसान न केवल अपने जीवन-अस्तित्व और खेती-किसानी को बचाने की लड़ाई लड़ रहे हैं, बल्कि वे देश की खाद्यान्न सुरक्षा, सार्वजनिक वितरण प्रणाली और संप्रभुता की रक्षा के लिए भी लड़ रहे हैं. उनका संघर्ष अर्थव्यवस्था के कॉरपोरेटकरण के खिलाफ भी है, जो नागरिकों के अधिकारों और उनकी आजीविका को तबाह कर देगा. इस संघर्ष के अगले चरण में 1 फरवरी को संसद पर प्रदर्शन किया जाएगा, जिसमें छत्तीसगढ़ से सैकड़ों किसान हिस्सा लेंगे.

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