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कोरबा में देवू की अधिग्रहित जमीन को लेकर किसानों का प्रदर्शन

कोरबा के रिस्दी में कोरिया की देवू कंपनी के लिए चल रहे जमीन की सीमांकन का चौतरफा विरोध हो रहा है. सोमवार को अधिग्रहित जमीन को किसानों को वापस दिलाने के लिए ग्रामीण ने जमकर प्रदर्शन किया. प्रदर्शन के समर्थन में आई माकपा और छत्तीसगढ़ किसान सभा के नेताओं ने भी जिला प्रशासन पर कई गंभीर आरोप लगाए हैं.

Demonstration of farmers regarding the land acquired
अधिग्रहित जमीन को लेकर किसानों का प्रदर्शन

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Published : May 17, 2021, 4:24 PM IST

कोरबाः जिले के रिस्दी और आसपास के इलाकों में पावर प्लांट के लिए अधिग्रहित जमीन को किसानों को वापस दिलाने के लिए ग्रामीण प्रदर्शन कर रहे हैं. ग्रामीणों के प्रदर्शन को मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी और छत्तीसगढ़ किसान सभा ने भी समर्थन दिया है. प्रदर्शन कर रहे ग्रामीणों की मांग है कि दक्षिण कोरिया की देवू कंपनी ने जो जमीन अधिग्रहित किया है, उसे वापस किसानों को लौटाया जाए. यह जमीन 1994-95 में तत्कालीन दिग्विजय सरकार ने दक्षिण कोरिया की कंपनी देवू को पावर प्लांट लगाने के लिए दी गई थी. दो दिन पहले ही इस जमीन के सीमांकन प्रक्रिया भी शुरू की गई है. जिसके बाद किसान प्रदर्शन कर रहे हैं.

कारपोरेट के लिए काम कर रही प्रशासन

प्रदर्शन में शामिल माकपा नेताओं का कहना है कि जमीन को भूमि अधिग्रहण कानून के प्रावधान के तहत नहीं लिया गया है. उन्होंने बताया कि यदि कोई कंपनी भूमि अधिग्रहण के पांच सालों के भीतर अपना उद्योग नहीं लगाती है तो उस जमीन को मूल खातेदार को लौटा देनी चाहिए. जमीन सीमांकन के खिलाफ माकपा के जिला सचिव प्रशांत झा, किसान सभा के जिला अध्यक्ष जवाहर सिंह कंवर और सीटू के जिला अध्यक्ष एसएन बनर्जी ने संयुक्त रूप से ब्यान जारी किया है. उन्होंने कहा है कि अपने-आपको दिवालिया घोषित करने के बाद देवू कंपनी का इस जमीन पर कोई स्वामित्व नहीं रह गया है. ऐसे में जमीन का सीमांकन कराने के लिए कंपनी की ओर से दिया गया आवेदन ही अवैध है. उन्होंने कहा कि कोरबा जिला प्रशासन जिस सक्रियता से काम कर रही है. उससे यह स्पष्ट है कि वह कॉर्पोरेट कंपनियों के लिए काम कर रही है.

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माकपा और किसान सभा के प्रतिनिधिमंडल किसानों से मिला

माकपा और किसान सभा के एक प्रतिनिधिमंडल ने रिस्दी गांव का दौरा भी किया है. इस दौरान प्रतिनिधिमंडल ने प्रभावित ग्रामीणों से बातचीत भी की. प्रतिनिधिमंडल में माकपा जिला सचिव प्रशांत झा, किसान सभा के अध्यक्ष जवाहरसिंह कंवर और सीटू नेता एसएन बनर्जी मौजूद थे. रिस्दी गांव के ग्रामीण भुवन सिंह कंवर, भूपेश कुमार साहू, निलम्बर सिंह कंवर ने प्रतिनिधिमंडल को बताया कि, जिस जमीन का मुआवजा 27 साल पहले केवल 8.5 करोड़ रुपए दिया गया था. वर्तमान में उसकी कीमत 850 करोड़ रुपए से ज्यादा है. उन्होंने बताया कि जमीन किसानों के नाम पर है. इस जमीन पर किसान खेती करते हैं. जिससे उनके परिवार का भरण-पोषण होता है.

प्रतिनिधिमंडल ने प्रशासन पर लगाए गंभीर आरोप

इस दौरान माकपा जिला सचिव प्रशांत झा ने जिला प्रशासन पर कई गंभीर आरोप लगाए हैं. उन्होंने प्रशासन पर कंपनी के कर्मचारियों से मिली भगत का आरोप लगाया है. उन्होंने कहा कि लॉकडाउन के बीच सीमांकन कराना प्रशासन पर कई सवाल खड़े करते हैं. प्रशासन का मूल मकसद भूमि पर काबिज किसानों को बेदखल करना है. ताकि दिवालिया कंपनी इस जमीन का उपयोग रियल एस्टेट व्यापार और अन्य कार्यों के लिए कर सके.

किसानों को जमीन वापस दिलाने की मांग

किसान सभा के जिला अध्यक्ष जवाहर सिंह कंवर ने राज्य सरकार से अपील की है कि, आदिवासियों के जल-जंगल-जमीन पर नैसर्गिक अधिकारों की रक्षा के पक्ष में वह आगे आए. जिस तरह बस्तर के आदिवासियों की टाटा के लिए अधिग्रहित जमीन को वापस किया गया है. कोरबा जिले के इस मामले में भी आदिवासियों और किसानों को जमीन वापसी की प्रक्रिया को शुरू करे. ऐसा नहीं होने पर माकपा पार्टी किसानों के पक्ष में आंदोलन करेगी.

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