कोरबाः जिले के रिस्दी और आसपास के इलाकों में पावर प्लांट के लिए अधिग्रहित जमीन को किसानों को वापस दिलाने के लिए ग्रामीण प्रदर्शन कर रहे हैं. ग्रामीणों के प्रदर्शन को मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी और छत्तीसगढ़ किसान सभा ने भी समर्थन दिया है. प्रदर्शन कर रहे ग्रामीणों की मांग है कि दक्षिण कोरिया की देवू कंपनी ने जो जमीन अधिग्रहित किया है, उसे वापस किसानों को लौटाया जाए. यह जमीन 1994-95 में तत्कालीन दिग्विजय सरकार ने दक्षिण कोरिया की कंपनी देवू को पावर प्लांट लगाने के लिए दी गई थी. दो दिन पहले ही इस जमीन के सीमांकन प्रक्रिया भी शुरू की गई है. जिसके बाद किसान प्रदर्शन कर रहे हैं.
कारपोरेट के लिए काम कर रही प्रशासन
प्रदर्शन में शामिल माकपा नेताओं का कहना है कि जमीन को भूमि अधिग्रहण कानून के प्रावधान के तहत नहीं लिया गया है. उन्होंने बताया कि यदि कोई कंपनी भूमि अधिग्रहण के पांच सालों के भीतर अपना उद्योग नहीं लगाती है तो उस जमीन को मूल खातेदार को लौटा देनी चाहिए. जमीन सीमांकन के खिलाफ माकपा के जिला सचिव प्रशांत झा, किसान सभा के जिला अध्यक्ष जवाहर सिंह कंवर और सीटू के जिला अध्यक्ष एसएन बनर्जी ने संयुक्त रूप से ब्यान जारी किया है. उन्होंने कहा है कि अपने-आपको दिवालिया घोषित करने के बाद देवू कंपनी का इस जमीन पर कोई स्वामित्व नहीं रह गया है. ऐसे में जमीन का सीमांकन कराने के लिए कंपनी की ओर से दिया गया आवेदन ही अवैध है. उन्होंने कहा कि कोरबा जिला प्रशासन जिस सक्रियता से काम कर रही है. उससे यह स्पष्ट है कि वह कॉर्पोरेट कंपनियों के लिए काम कर रही है.
कोरबा में देवू कंपनी की जमीन सीमांकन के लिए पहुंचे राजस्व अमला को झेलना पड़ा ग्रामीणों का विरोध
माकपा और किसान सभा के प्रतिनिधिमंडल किसानों से मिला