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BUDGET SPECIAL: सरकार के फैसले पर टिकी हैं SECL के करीब 3 लाख कर्मचारियों की निगाहें - कोरबा के लोगों को बजट से उम्मीद

नये साल के लिए बजट आ रहा है. ऐसे में लोगों को इससे उम्मीदें भी बढ़ गई है. मध्यम वर्ग से लेकर छोटे-बड़े उद्यमियों और नौकरी पेशा लोगों की उम्मीदें कोरोना काल के बाद पहली बजट से ज्यादा ही है. छत्तीसगढ़ की ऊर्जाधानी यानी कोरबा के लोग भी इस बजट से कुछ खास उम्मीद लगाये बैठे हैं.

Expectation of laborers regarding mines in the budget 2021
बजट से मजदूरों को उम्मीद

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Published : Jan 30, 2021, 3:31 PM IST

Updated : Jan 30, 2021, 4:48 PM IST

कोरबा: एक फरवरी को केंद्रीय बजट आ रहा है. इस साल बजट से कोरबा जिले के खदानों में काम कर रहे कर्मचारियों और कोयला उद्योग में से जुड़े व्यवसायियों को बड़ी उम्मीदें हैं. बजट में कमर्शियल कोल माइनिंग का भी असर दिख सकता है. कमर्शियल कोल माइनिंग के तहत सरकार इससे जुड़े लोगों के हित में भी कई फैसले ले सकती है.

मजदूरों की बजट से उम्मीद

कोल खदानों में काम करने वाले कर्मचारी मांग कर रहे हैं कि सरकार मजदूरों के प्रति थोड़ी नरमी बरते और बंद खदानों को चालू कराया जाए. इसके अलावा जो जमीन अबतक कोल इंडिया लिमिटेड के पास नहीं आई है, उसकी प्रक्रिया पूर्ण करा नए खदानों को भी शुरू करे, जिससे जिले में रोजगार के और नए अवसर पैदा हो.

183 मिलियन टन उत्पादन का टारगेट

मौजूदा वित्तीय वर्ष में एसईसीएल के पास 183 मिलियन टन कोयला उत्पादन का टारगेट तय किया गया था. जिसे कम कर अब 172 मिलियन टन किया गया है. 27 जनवरी तक SECL की जिले में संचालित प्रमुख खदानों और अन्य कोयला खदानों को मिलाकर 104 मिलन टन कोयले का उत्पादन पूरा कर लिया गया है. हर साल SECL को कोयला उत्पादन का लक्ष्य बढ़ा दिया जाता है. कमर्शियल माइनिंग के बाद और भी तेजी से उत्खनन की तैयारी है.

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कोयला उद्योग से जुड़े हैं 2 से 3 लाख कर्मचारी

SECL की कोयला खदानों में लगभग 2 से 3 लाख अधिकारी कर्मचारी कार्यरत हैं. इसमें आधा से ज्यादा लोग कोरबा जिले से आते हैं. कमर्शियल माइनिंग के बाद उनकी सबसे बड़ी चिंता है कि मजदूरों का शोषण बढ़ सकता है और सरकारी रियायतों में कटौती की जा सकती है. कोयला कामगारों को बजट में ऐसे प्रावधानों के घोषणा की उम्मीद कर रहे हैं, जिससे मजदूरों को राहत मिले सके.

बजट से मजदूरों को उम्मीद

नए खदानों को मिले मंजूरी

SECL की कई खदानें जिले में भी प्रस्तावित हैं, लेकिन इनके संचालन को लेकर कई तरह के पेंच फंसे हुए हैं. भू-अधिग्रहण से लेकर पर्यावरणीय स्वीकृति और अन्य मामलों में कोई प्रगति नहीं आई है. इससे कोयला उद्योग में लगे कर्मचारियों की चिंता भी बढ़ी हुई है. हालांकि SECL जल्द से जल्द खदानों के विस्तार की प्रक्रिया को पूर्ण करने का दावा करता रहा है. कोल खदान में काम करने वाले मजदूर भी चाहते हैं कि नए खदानों को जल्द से जल्द मंजूरी मिले. ताकि कोयला कामगारों के सामने काम का संकट न हो.

Last Updated : Jan 30, 2021, 4:48 PM IST

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