कोरबा:छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलन के संयोजक आलोक शुक्ला शनिवार को कोरबा प्रवास पर थे. इस दौरान उन्होंने छत्तीसगढ़ में जल, जंगल, जमीन की लड़ाई के साथ विस्थापन से होने वाली समस्याओं से जुड़े मुद्दों पर ETV भारत से खास बातचीत की. छत्तीसगढ़ में आवंटित कोल ब्लॉक में गड़बड़ियों के मुद्दे पर आलोक शुक्ला लगातार मुखरता से बोलते रहे हैं. उनका सरकारों पर सीधा आरोप है कि जब बात कॉरपोरेट परस्ती की आती है, तब सभी पार्टियों का रुख एक जैसा होता है.
सवाल: जिनकी जमीन गयी आज वह लोग कहां है?
जवाब: छत्तीसगढ़ में खनन का मामला हो या फिर पूरे प्रदेश में पर्यावरण असंतुलन का मुद्दा. सवाल कई हैं लेकिन इनका जवाब नहीं मिलता, लोगों की आजीविका और उनका जो अस्तित्व है जो उनके जीवन का आधार है, जल, जंगल और जमीन उस पर लगातार हमला हो रहा है. सवाल यह है कि खनन परियोजनाएं में जिन आदिवासियों की या जिन लोगों की जमीन गई है आज वह कहां है? उनका कुछ पता नहीं चलता. सरकार एक भी ऐसा उदाहरण नहीं बता सकती जहां किसी विस्थापित व्यक्ति ने कहा हो कि उन्हें बढ़िया पुनर्वास मिला और उनका जीवन स्तर सुधरा है. पुनर्वास और विस्थापन के समस्याओं के कारण ही आज आदिवासी क्षेत्र के लोग अपनी जमीन नहीं देना चाहते.
लेकिन बावजूद उन पर कई तरह के हमले हो रहे हैं. ग्राम सभाओं को बायपास करके सरकार जमीनों को हथियाना चाहती है. हसदेव अरण्य के लोग लगातार एक दशक से लड़ रहे हैं. वह संगठित हैं और अपने संवैधानिक अधिकारों के लिए वह लगातार डटे हुए हैं. जिसके कारण वहां से ग्राम सभाओं का अनुमोदन नहीं हो पा रहा है.
जवाब: हसदेव अरण्य क्षेत्र में आवंटित कोल ब्लॉक के आवंटन में कुल 20 कोल ब्लॉक को चिन्हित किया गया है. जिसमें से 7 का आवंटन सरकार ने कर दिया है. परसा केटेवासन और चोटिया का संचालन शुरू हो चुका है. जबकि मदनपुर साउथ, पतुरिया, गिधमुड़ी को अधिसूचित किया गया है. 2015 में सभी कोल ब्लॉक का आवंटन मोदी सरकार ने किया. इसके पहले इन सभी के आवंटन को सुप्रीम कोर्ट ने रद्द कर दिया था. छत्तीसगढ़ के ज्यादातर इलाके पांचवी अनुसूची में आते हैं, पेसा कानून यहां पर लागू हैं. जिसके तहत आदिवासियों को वन अधिकार के साथ ही जंगल प्रबंधन का भी अधिकार मिलता है. पहले दिन से हम यह बात कह रहे हैं कि इसके लिए ग्राम सभाओं की अनुमति बेहद जरूरी है. ग्राम सभा के अनुमोदन के बिना किसी भी कोल ब्लॉक आवंटित नहीं किया जा सकता जबकि अधिकारियों ने फर्जी तरीके से कुछ कोल ब्लॉक का आवंटन जारी कर दिया है. फर्जी ग्राम सभा का सर्टिफिकेट जारी किया गया है. हम लगातार संघर्ष कर रहे हैं अगर जरूरत पड़ी तो कोर्ट भी जाएंगे.
सवाल:हाल ही में मंत्री टीएस सिंहदेव ने पेसा कानून के लिए जागरूकता अभियान शुरू किया था और आपके भी मधुर संबंध है.
जवाब: बात किसी एक मंत्री की नहीं है. जब परसा केटेवासन कोल ब्लॉक राजस्थान सरकार को दिया गया. तब 2011 में राजस्थान में गहलोत सरकार थी. केंद्र में मनमोहन सिंह थे और राज्य में रमन सिंह थे. लेकिन सभी ने मिलकर कोल ब्लॉक का आवंटन कर दिया. तो जब कॉरपोरेट के हितों की बात आती है, कॉर्पोरेट परस्ती की बात आती है तो सभी सरकारें एक जैसा काम करते हैं.
सवाल:छत्तीसगढ़ में भोले आदिवासियों को बरगलाने का भी आरोप है ?