कोरबा: पर्यावरण विभाग ने दिवाली के दिन पटाखे फोड़ने से कितना प्रदूषण फैला है. इसे जांचने के लिए पर्यावरण विभाग ने शहर के 3 स्थानों पर यंत्र फिट किया है. अब तक सिर्फ दिवाली के दिन ही प्रदूषण का स्तर जांचा जाता था, लेकिन इस वर्ष 3 दिन तक पटाखे फोड़ने से होने वाले प्रदूषण की जांच होगी.
पटाखों का उपयोग करने के लिए भी मापदंड तय किए गए हैं, जिसके लिए सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अनुसार लड़ी वाले पटाखों पर पूरी तरह से प्रतिबंध होगा, जबकि जो पटाखे 125 डेसीबल से ज्यादा की ध्वनि उत्पन्न करते हैं, वे पटाखे भी उपयोग नहीं किया जा सकेंगे.
सुप्रीम कोर्ट के तरफ से निर्देश
वहीं पटाखे फोड़ने के लिए रात के 8 से 10 बजे के मध्य का समय निर्धारित किया गया है. रात 10 बजे के बाद किसी भी तरह के पटाखे नहीं फोड़े जाएंगे. पटाखों के उपयोग से पर्यावरण को होने वाले नुकसान के आकलन के लिए शहर में रामपुर स्थित आईटीआई कॉलेज, पुराने शहर के गीतांजलि भवन और एनटीपीसी टाउनशिप में मशीनें लगाई गई हैं.
पटाखा बेचने वालों को हिदायत
वहीं पर्यावरण विभाग के वैज्ञानिक राजेंद्र वासुदेव ने बताया कि पटाखा विक्रेताओं को अधिक ध्वनि उत्पन्न करने वाले पटाखे नहीं बेचने की हिदायत दी जा रही है. साथ ही तहसीलदार और पुलिस टीम की ओर से लगातार मॉनिटरिंग की जा रही है. प्रदूषण का स्तर नापने के लिए तीन स्थानों पर मशीनें भी लगाई जा चुकी हैं, जो प्रत्येक 24 घंटे फिल्टर पेपर पर पैरामीटर प्रदूषण मापता रहेगा.